घर में करे जो चाकरी , या श्रम बेचन जाय ।
न्यूनतम वेतन न सही ,गुजर वसर तो पाय ।।
राजनयिक शोषण करे , निर्बल का अपमान ।
चिंता नहीं सरकार को , मेरा देश महान।।
नकली वीजा -कदाचरण, झूंठा सब व्यवहार ।
देवयानी जब जा फँसी , तब चिंतित सरकार ।।
अमेरिका से भिड़ लिए , नेता दक्षिण -वाम ।
फ़ोकट का पंगा लिया , जगत हँसाई काम ।।
श्रीराम तिवारी
नेता -अफसर -मंत्री या ,भ्रष्ट-पतित जो कोय ।
सावन के अंधे हुए , हरा -हरा सब होय।।
पूँजीवादी दलों में ,भ्रष्ट ऐयाश जो होय।
देख सफलता 'आप' की ,दुर्जन दुबला होय।।
बड़े- बड़े नेता डरे ,डरा संघ परिवार।
महिमा सुनकर 'आप' की ,डरा भ्रष्ट संसार।।
एनडीए- यूपीए डरे , फेंकू डरता होय।
नींद हराम युवराज की ,जियरा धक्-धक् होय।।
पूँजीवाद का करम है ,शोषक -शोषित द्वन्द।
साहस -श्रम -पूँजी हुए , धूल -धुंआँ उर धुंद ।।
बलिहारी इस तंत्र की , महिमा अपरम्पार।
चाल -चरित्र -चेहरा किये , सिस्टम ने खूंखार।।
मॅंहगाई गुरवत बढ़ी ,बढ़ा विकट व्यभिचार।
नदियां पर्वत खा रहे ,खनन माफिया मार ।।
नीति नियत नेता हुए ,दिशाहीन नादान।
अब आशा है 'आप' से , होगा मुल्क महान ।। [श्रीराम तिवारी के दोहे ]
श्रीराम तिवारी
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