भारत की उच्च मध्यम वर्गीय युवा पीढ़ी पर्याप्त एडवांस और स्मार्ट है, उसे मेंहगाई, बेरोजगारी और रुपये के अवमूल्यन की फिक्र नहीं ! इस पीढ़ी में जो योग्य हैं, वे पद प्रतिष्ठा, धन मान अर्जित कर लेते हैं! अमेरिका, इंग्लैंड एडवांस मुल्कों और वे मल्टीनेशनल कंपनियों में छा रहे हैं !
किंतु निम्न वर्ग के जो अर्ध शिक्षित बेरोजगार हैं, अधुनातन तकनीकी में अकुशल हैं, उनमें से कुछ वे अपराध जगत ज्वाइन कर लेते हैं! कदाचित मोदीयुगीन भारत में भूखा कोई नही रहता !जगह जगह लंगर भंडारे चलते रहते हैं । तथाकथित 80 करोड़ *गरीब*मुफ्त का मलीदा जीम रहे हैं! यह सर्वहारा के शोषण और शोषित समाज वाले भारत में 'वर्ग संघर्ष'को भोंथरा कर रहे हैं ! अब LPG/PPP और वैश्विक अस्थिरता के दौर में चारों तरफ बाजारबाद फैल चुका है! आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( AI) के अवतरण से मेहनतकश जनता के हाथों का काम छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है।
बहरहाल भारत की आधी आबादी आरक्षण के मजे ले रही है! आधी आबादी जो भाजपा के साथ है, भले ही इस कतार में नंगें भूखे हों किन्तु उनके लिये रोटी कपड़ा मकान महत्वपूर्ण नही,बल्कि उन्हें देश की सुरक्षा,संप्रभुता,अखंडता की चिंता है ! आधुनिक नव बुद्धिजीवियों को अहिंसा धर्म निरपेक्षता सदाचार पर अवलंबित हिंदुओं की फिक्र होने लगी है!
अपनी मौत से कुछ दिन पहले सुप्रसिद्घ लेखक और वामपंथी विचारक डॉ नामवरसिंह ने माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी और गृहमंत्री श्री राजनाथसिंह से अपनी इस आत्म वेदना का इजहार किया था! कश्मीरी हिंदुओं और बांग्लादेश या पाकिस्तान में हिंदुओं के खात्मे से न केवल दक्षिणपंथी हिंदू बल्कि धर्मनिरपेक्ष वामपंथी भी बिचलित हैं!
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