एक प्रश्न यह उठता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में जब इतने संप्रदाय थे। शिव, शक्ति, विष्णु, सूर्य गणेश इत्यादि सब की उपासना अलग-अलग होती थी, तो फिर आज सभी देवी देवता एक ही मंदिर में विराजमान क्यों दिखते हैं? इसका श्रेय जाता है, आदि शंकराचार्य को और उनके अद्वैतवाद को।
इसीलिए आज का हिंदुत्व अथवा सनातन धर्म उन्हीं को समर्पित है। इसमें किसी भी संप्रदाय के लिए पराये पन का कोई भाव नहीं है। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने अद्वैत वेदांत से यात्रा आरंभ की थी। रामानुज,मध्वाचार्य,रामानंद,महर्षि अरविंद , रमण महर्षि और स्वामी विवेकानंद ने उस दर्शन को समृद्ध कर आज के हिंदुत्व याने सत्य सनातन धर्म (नव्य वेदांत) को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सभी भारतीय संप्रदायों की गौरवमयी कहानी में आज जानिए अद्वैत संप्रदाय की संपूर्ण गाथा जो कि एक पूर्ण संप्रदाय है और आज का सनातन धर्म इसी पर आधारित है।#PMNarendraModi
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