सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

एक हो जाओ कि अभी भी वक्त बाकी है !

 तड़प दिल में जरूरी है आंखों में नमी होना,

किसी की आरज़ू में लाजिमी है बेबसी होना।

अब समझ आया कि बेखौफ सच क्यों बोलो?
नहीं चाहिए अब इसमें ज़रा सी भी कमी होना।

अंधेरी रात उस पर भी घुमड़ आयी काली घटा,
जरूरी है अब भयानक बिजलियों का कोंधना।

चिरागों को खबर कर दो ये आंधियों का दौर है,
कोई मतलब नहीं बिना आंखों रोशनी का होना ।

हिंदुओ एक हो जाओ कि अभी भी वक्त बाकी है
जरूरी है इतिहास से सबक सीखकर सजग होना।

जिनके जुल्म से अतीत में बहते रहे दरिया लहू के,
किसीभी हालमें बाजिब नहीं विश्वास उनपर करना।

नहीं तुम पोंछ सकते गर किसी की आंख के आंसू,
गले मिल साथ में रो लो यही है ज़िन्दगी का होना।

लिखा था 'आहत*' होना मेरी तक़दीर में शायद,
बहुत मुश्किल हुआ है आदमी का आदमी होना।

*श्रीराम तिवारी
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अकेले चलने की बात तो सिर्फ भ्रमपूर्ण है!

 अकेले चलना भी सीखना ही होता है, जो हमें, वही सिखा सकता है, जो वास्तविक रूप में अकेले चल रहा हो।

तथाकथित रूप से, अकेले चलने की बात तो सिर्फ भ्रमपूर्ण है, क्योंकि, उस चलने में न जाग्रति है, न श्रद्धा, न भक्ति, न आनंद है, न शांति, न प्रेम, न मस्ती, न करुणा है, सिर्फ और सिर्फ फिजूल के दुखों से भरा, कांटों से भरा, थकाऊ और उबाऊ और उदास, तथाकथित जीवन ही है।
हम साधारण जीवन की बात करें, तो, जीवन में आते हैं, तो, अपने शरीर को अकेले के दम पर खड़ा या चला नहीं पाते, जो चलना जानते हैं, वे ही हमें चलना और जीना सिखाते हैं, तो,
अति जीवन या ऊर्ध्वगामी जीवन में हम कैसे अकेले चल सकते हैं!!!!!!!
फिर कह रहा हूं, कि, बात आपकी 100% सही है, लेकिन, अकेले चलना सीख लेने के बाद, समाधि के बाद, उससे पहले नहीं।
यदि समाधि से पहले अकेले चलना सही होता, तो, बुद्ध संघ का निर्माण नहीं करते।
आपकी पोस्ट के विचारानुसार तो, मैं कहूंगा, कि, वे सारे लोग, जो पूरा जीवन, जीवित सतगुरु के संपर्क में नहीं आ पाते हैं, सानिध्य और सत्संग का लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं, वे अकेले ही चल रहे हैं, तो क्या आपको लगता है कि बुद्ध के साथ चलने वालों से अधिक ठीक थे, वे लोग, जो बुद्ध या महावीर के साथ नहीं चले!!!!!!!!!!!!!!!
अकेले चलना सबसे अच्छी बात है, लेकिन, पहले, हमें एक्सपर्ट के साथ चलकर, अकेले चलना सीखना होगा।
समाधि ही समाधान है, सुलझाव है, उसके पहले तो सिर्फ उलझाव ही उलझाव है। पहले, हमें चलना ही होगा किसी न किसी उपलब्ध जीवित बुद्ध के साथ। तभी अर्थ है अन्यथा सब व्यर्थ है।

उपलब्ध या एनलाइटैंड आदमी की पहचान आसान नहीं है और गलत हो सकती है। गुरु को खोजने की जल्दबाजी की जगह साधक को जहां कहीं से भी ज्ञान की किरण मिले उसे ग्रहण कर आगे बढ़ना चाहिए अपने सीमित विवेक पर श्रद्धा रखते हुए।
"One Step Enough For Me"
Newman के एक भजन की ये पंक्तियां मननीय हैं।
साधक गलती करने से डरे नहीं।अपनी और दूसरों की गलतियों से सीख लेने की मानसिकता हो तो शायद ही किसी गुरु की जरूरत पड़े।
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ED.IT, CBI और बुलडोजर

 कांग्रेस और नास्तिक (I.N.D.I.A) दलों के बगैर सपोर्ट के भाजपा तीसरी बार सत्ता में आ गई है।आगे भी प्रचंड बहुमत की उम्मीद है,वशर्ते ED.IT, CBI और बुलडोजर की कार्रवाई सभी भृष्ट व्यक्ति और दलों पर समान रूप से जारी रहे!

गैलीलियो ने कहा था

 गैलीलियो ने कहा था कि:-

"पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है !"
चूंकि गैलीलियो सिद्धांत बाईबिल की अवधारणा से भिन्न था,अत: चर्च ने उन्हें धर्मविरोधी कहा और उससे ईसाइयत को खतरा बताकर दंडित भी किया ! किंतु 400 साल बाद पोप ने खुद अपने पूर्वजों की इस गलती के लिए दिवंगत गैलीलियो से माफी मांग ली।
बाकी धर्म-मजहब के लोगों में यदि साहस है तो वे भी अपने अतीत की ऐतिहासिक भूलों के लिये संसार से माफी मांगकर भूल सुधार का साहस दिखाएं!और वे साबित करें कि उनका धर्म - मजहब भी इसानियत की पक्की बुनियाद पर खड़ा है,जो विज्ञान विरुद्ध नही है। अपितु वह साइंस की कसौटी पर खरा उतरने की कूबत भी रखता है! :-श्रीराम तिवारी

बुधवार, 23 अक्तूबर 2024

जय गुरू गोरखनाथ जी

  ऐसा मुख्यमंत्री 1947 के बाद से न अब तक हुआ है न होगा, सबको चुनौती है आज तक जितने मुख्यमंत्री हुए हैं और जितने वर्तमान समय में हैं उनको भी अपना संक्षिप्त परिचय देना चाहिए

बहुत से लोग सोचते हैं कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भगवा पोशाक पहनते हैं*
*इसलिए एक "सन्यासी" हैं,*
लेकिन उनके बारे में जो तथ्य सामने आए हैं वो ये हैं -अवश्य पढ़ें
●अजय मोहन बिष्ट (ओरिजिनल नाम) सन्यास के बाद
योगी आदित्यनाथ
आयु-52 वर्ष
जन्म स्थान- पंचूर गाँव,गढ़वाल, उत्तराखंड
●एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से तत्कालीन संयुक्त उत्तर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक अंक (100%)
●योगी जी गणित के छात्र हैं, जिन्होंने बीएससी गणित स्वर्ण पदक के साथ उत्तीर्ण किया है।।
●भारतीय सेना की सबसे पुरानी गोरखा रेजीमेंट के आध्यात्मिक गुरु हैं। * नेपाल में योगी समर्थक का विशाल समूह है जो योगी को गुरु के रूप में पूजते हैं।
●मार्शल आर्ट में अद्भुत उत्कृष्टता। चार लोगों को एकसाथ हराने का रिकार्ड।
●उत्तर प्रदेश के जाने-माने तैराक। कई विशाल नदियां पार की।
●एक लेखा विशेषज्ञ जो कंप्यूटर को भी हरा देता है। प्रसिध्द गणितज्ञ शकुंतला देवी ने भी योगीजी की तारीफ की।
●रात में केवल चार घंटे की नींद। रोजाना सुबह 3:30 बजे उठ जाते हैं।
●योग, ध्यान गोशाला, आरती, पूजा प्रतिदिन की दिनचर्या है।
●दिन में दो बार ही खाते हैं..
पूर्णतः शाकाहारी। भोजन में शामिल रहता है कन्द, मूल, फल और देशी गाय का दूध।
●वह अब तक किसी भी कारण से कभी अस्पताल में भर्ती नहीं हुए..
●योगी आदित्यनाथ एशिया के सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव प्रशिक्षकों में से एक हैं उन्हें वन्यजीवों से बहुत प्रेम है।।
●योगी का परिवार अभी भी उसी स्थिति में रहता है जैसा उनके सांसद या मुख्यमंत्री बनने के पहले रहता था।
●योगी सालों पहले सन्यास लेने के बाद सिर्फ एक बार घर गए हैं।
●योगी का सिर्फ एक बैंक अकाउंट है और कोई जमीन संपत्ति उनके नाम नहीं है और न ही उनका कोई खर्च है।
●अपने भोजन कपडे का खर्च वो स्वयं के वेतन से करते हैं और शेष पैसा राहत कोष में जमा कर देते हैं।
*ये है योगी आदित्यनाथ की प्रोफाइल..*
* योगी जी के सोने वाले कमरे मे कोई AC या रूम कूलर नही है केवल एक सीलिंग फैन है
* योगी जी एक लकडी के तख्त पर एक कम्बल उसके उपर चादर बिछाकर सोते है no Dunlop cushion & pillow
भारत में एक सच्चे लीडर की प्रोफाइल ऐसी ही होनी चाहिए।
ऐसे संत ही भारत को फिर से विश्व गुरु बना सकते हैं।
यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो आगे भेज दीजिए
*जय श्री महाकाल* *जय गुरू गोरखनाथ जी*
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