बुरा न मानो होली है:-
तस्वीर नंबर एक:
-विगत 10 वर्षों में भारत का जितना विकास हुआ, उतना मानव इतिहास में कभी नही।आज आप किसी भी गांव में चले जाइए, दलित आदि वासी,हरिजनों पिछड़े वर्ग के सभी मोहल्ले पक्के मकानों से लवरेज हैं। गांव-गांव, शहर-शहर में नल बिजली,स्कूल,पक्की सड़कें,पहाड़ों को चीरकर बनाये गये बड़े फोर लेन,सिक्स लेन राष्ट्रीय राजमार्ग,देशभर में सिंचाई सुविधाओं की बदौलत बन रहे नये नये कृषि फार्म, नगरीय बाजारों की रौनक और गांव के हर घर में टीवी,हर हाथ में मोबाइल, हर घर पर लहराता हुआ भगवा ध्वज बता रहा है कि भारत निश्चित ही एक दिन वैश्विक महाशक्ति बन कर रहेगा।
तस्वीर नंबर दो:-
मैं ऐंसे दर्जनों निर्धन परिवारों को जानता हूँ, जिन्हें एस सी/एसटी होते हुए भी न तो आरक्षण सुविधा प्राप्त है, न उनके पास BPL कार्ड है,न राशन कार्ड है और उनके खाते में सरकार की तरफ से आज तक एक धैला नही आया और न कभी आएगा! ऐंसे ही गांवों शहरों में तथाकथित अंगड़े और सवर्ण गरीब बेशुमार हैं।यह इसलिए कि अधिकांस राशन कार्ड,जॉब कार्ड,मनरेगा कार्ड, बीपीएल कार्ड उन दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को मिलते रहे हैं जो राजनैतिक दल सत्ता में रहे हैं!
विगत दिनों अखबार में पढ़ा था कि छापे के दौरान एक विधायक के पास परिवार के हर सदस्य के नाम अलग अलग 7 बीपीएल कार्ड पाए गए!अब यदि केंद्र सरकार या राज्य सरकार की ओर से कोई सहायता किसी मद में सरकारी रुपयों के रूप में आयेगा तो वह इन विधायक जी जैसे चोट्टों के बेनामी खातों में ही जाएगा!
इस तरह केंद्र सरकार की सिर्फ 50% सहायता राशि ही सही हाथों में पहुँच पाएगी! किंतु बाकी 50% सहायता राशि उन चोट्टों के हाथ में जाएगी जो पहले से ही मुफ्त खोरी कर रहे हैं!इस तरह राजनैतिक पक्षपात के कारण देश के जो करोड़ों सवर्ण दलित आदिवासी वास्तविक गरीब -अभी तक बंचित हैं,जो कभी कोई सरकारी सहायता प्राप्त नही कर सके,उनके हाथ में तब तक फूटी कौड़ी नही आनेवाली,जब तक सरकार द्वारा प्रत्येक से उसकी हैसियत के हिसाब काम नही लिया जाता और हरएक को उसकी आवश्यकता नुसार नही दिया नही जाता। बोलो-भारतीय लोकतंत्र की जय !