सामंतवाद और पूंजीवाद में एक विचित्र समानता है कि दोनों ही व्यवस्थाओं में जब कोई वर्ग खुशहाल होता दिखाई देता है तो उस वर्ग पर राज्य की टेड़ी नजर पड़े बिना नही रहती! विगत 30-40 सालों में पंजाब हरियाणा का किसान अपनी मेहनत और आधुनिकीकरण के कारण थोड़ा संपन्न हुआ है !चूँकि कार्पोरेट लॉबी ने हर सेक्टर में बाजारीकरण का चरम स्थापित कर लिया है, केवल खेती किसानी में उसकी पकड़ नही थी, अब मोदीजी की मेहरबानी से इस क्षेत्र के मालिक भी अदानी अंबानी होने जा रहे हैं!
मोदी जी के राज में इंडिया और भारत के बीच असमानता की खाई और चौड़ी होती जा रही है ! यह विराट दूरी सिर्फ आर्थिक क्षेत्र या जीवन की गुजर-बसर तक सीमित नहीं है !अपितु यह सामाजिक,आर्थिक सांस्कृतिक और न्यायिक क्षेत्रों तक पसरी हुई है !अभी हाल ही में सोहराबुद्दीन मर्डर (एनकाउंटर) केश में सभी आरोपी मुक्त होने और राफैल संबंधी केग की रिपोर्ट 'संयुक्त संसदीय समिति' के समक्ष बिना रखे ही सुप्रीम कोर्ट ने जल्दबाजी में तत्संबंधी याचिकाएं खारिज कर कोई बेहतर कीर्तिमान नही बनाया है!
देश में प्रतिगामी आर्थिक सुधारों और मोदी राज के आविर्भाव के उपरान्त विगत साढ़े चार सालों में महज इतनी तरक्की हुई है कि देश में पहले 15 पूंजीपति अर्थात मिलियेनर्स थे अब 68 मिलिय्र्नार्स हो गए हैं ! याने कुछ तरक्की तो अवश्य हुई है ! पहले 2014 में गरीबी की रेखा से नीचे 29 करोड़ निर्धन जन थे,अब 2021 में 40 करोड़ हो चुके हैं !तरक्की हुई की नहीं? यही बात शिक्षा और स्वास्थ्य,सुरक्षा तथा मानवीय जीवन स्तर के सन्दर्भ में भी मूल्यांकित की जाये तो तरक्की की तस्वीर और भी भयावह नजर आएगी !
जनताको पक्ष विपक्ष के गठबंधन या नेताओं के चेहरे देखकर अपना अभिमत नहीं बनाना चाहिये बल्कि. नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर विरोध या समर्थन करना चाहिये!
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