विगत 2-3 साल से श्रीमती जी को ब्रॉकल अस्थमा की क्राऩिक बीमारी की वजह से डॉक्टरों के निर्देशानुसार किचन में जाना बंद हो गया !वैसे तो झाड़ू पोछा,बर्तन और कपड़े धोने के लिये दो-दो बाइयां पहले से लगा रखीं थीं ,किंतु श्रीमती जी ने खाना बनाने के लिये एक 'रोटी वाली बाई' भी रख ली!
उन्होंने रोटी वाली को काम दैने से पहले उसका इंटरव्यू लिया और पूछा -
- खाली रोटी बनाने का क्या लेती हो ?
रोटी वाली ने पलटकर पूरी प्रश्नावली पेश कर दी!
-आप कितने सदस्य हैं ?
-रोटियाँ एक समय या दोनों समय चाहिये ?
- कितनी रोटियां बनवाएंगी ?
श्रीमती जी से सारी जानकारी लेने के बाद रोटी वाली ने कुछ शर्तो के साथ जवाब दिया-
'बारह रोटी का 17 सौ रूपया'
'बारह रोटी का 17 सौ रूपया'
सुनकर श्रीमती जी चौंक गई.......
उन्होंने मन ही मन हिसाब लगाया तो उन्हें पता चला कि इस दर से तो वे पिछले 45 साल में 8-10 लाख रूपयों की सिर्फ रोटियां ही बेल चुकी हैं!
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जब कभी महिलाओं के श्रम का इतिहास लिखा जायेगा, एक बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा.....
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