भारत में मंदिरों-मस्जिदों की कमी नही, हर इलाके में बेहतर अस्पताल और JNU जैसी यूनीवर्सिटीज चाहिये!
◆क्रिकेटर युवराजसिंह ने केन्सर का इलाज विदेश में कराया। मनीषा कोईराला ने भी विदेश में इलाज करवाया। सोनियाजी और स्व.सुषमा स्वराज भी विदेश में इलाज करवाती रहीं,स्व. अनंत कुमार ने विदेश में ही इलाज करवाया। वो बात अलग है कि वे असमय ही स्वर्ग सिधार गये!
◆गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.मनोहर पर्रिकर, हिन्दी फिल्मों के अभिनेता इरफान खान बीमार हुए और भारत मे पर्याप्त इलाज न होने के कारण विदेश गये।इनमें से एक हिंदू है दूसरा मुस्लिम,न मंदिर काम आया न मस्जिद.
◆भारत में न मन्दिरों की कमी है और न ही मस्जिदों की।
◆दुनिया के सबसे शक्तिशाली ईश्वर शायद भारत में ही होंगे, फिर ये लोग इलाज करवाने विदेश क्यों गये ?
◆जी हां... यह एक सच है कि शरीर में रोगों का इलाज विज्ञान द्वारा होता है, और भारत विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ा है वरना इन सभी को विदेश क्यों जाना पड़ता?
◆यदि हमें कोई क्रानिक या गंभीर बीमारी है तो सही इलाज और पैसे के अभाव में हमारा बेमौत मरना तय है, और बहाना होगा कि - ''समय पूरा हो गया''।
◆दरअसल अच्छे अस्पताल, अच्छे स्कूल, इनकी ओर वैज्ञानिक दृष्टिकोण, इनकी जरूरत आम आदमी को ज्यादा है। लेकिन यह पैसे वाले हमें मन्दिर मस्जिद में बाँटकर खुद विदेश चले जाते हैं।
◆अत: सभी राजनैतिक दल जब कभी वोट मांगने आएं तो आप अपने लिए मंदिर- मस्जिद नहीं बल्कि अच्छे और सस्ते अस्पताल माँगिये,JNU, IIT,AIMS जैसी यूनीवर्सीटीज और शैक्षणिक संस्थान मांगिये तथा शिद्दत से रोजगार भी माँगिए!
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