सोमवार, 31 दिसंबर 2018

गेहूँ के साथ घुन पिसे बिना कैसे रह सकता है?

वेशक 1984 की हिंसा सर्वत्र निंदनीय है!सज्जनकुमारको आजीवन कारावास मिला! किंतु कार्य कारण का सिद्धांत शाश्वत है!उस के अनुसार सवाल उठता है कि 1984 के सिख विरोधी दंगे हुये क्यों?और इंदिराजी के पागल हत्यारों को'शहीद' किसने बनाया?
विगत शताब्दी के उत्रार्ध में पंजाब के लाखों बेगुनाह हिंदु मारे गये! इस आतंकी हिंसा में सर्वाधिक वामपंथी और कांग्रेसी कार्यकर्ता ही मारे गये थे! इन हत्याओं के लिये कौन जिम्मेदार हैं?और उन हत्यारों के खिलाफ तब इन तथाकथित निर्दोष लोगोंने कभी एक शब्द क्यों नही कहा?भारत को तोड़ने का इरादा रखने वालों और विदेशी ताकतों के हाथों खेलने वालों तथा खालिस्तानिंयों को रुपया और हथियार सप्लाई करने वालों को आज कोई हक नहीं कि वे सज्जनकुमार के आजीवन कारावास पर खुशियां मनाये! जो खालिस्तानी सिख अपने आपको सवा लाख हिंदुओं के बराबर बताये,सज्जनकुमार यदि उसका चैलेंज कबूल करे तो वो दोषी कैसे हुआ? जहां तक सवाल निर्दोषों की मौत का है तो गेहूँ के साथ घुन पिसे बिना कैसे रह सकता है?

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