सोमवार, 31 दिसंबर 2018

चीत्कार करुण क्रंदन क्यों,?

नेताजी मरणोपरांत जब स्वर्ग को सिधारे,
शहीदों ने उनको प्रेम से गले लगा लिया।
पूछी कुशलक्षेम अमन की अपने वतन की,
कहो वत्स-स्विस बैंक में कितना जमा किया?
ये आग, ये धुआं, चीत्कार करुण क्रंदन क्यों,
इन निर्धनों का झोपड़ा, किसने जला दिया?
वेदना से भीगी पलकें, शर्म से झुकी गर्दन,
अपराध बोध पीड़ित ने, सच-सच बता दिया।
वंदनीय हे अमर शहीदों ! आपके अपनों ने ही
आपकी शहादत का ये घटिया सिला दिया !

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