शनिवार, 8 दिसंबर 2018

खेत पै किसानों को शीत लहर सतावे है!

प्रातःमें पसर गये धूल धुंध ओसकण,
पता ही नही कि कब दिन ढल जावे है!
अगहन की रातें ठंडी झोपड़ी में काटते,
खेत पै किसानों को शीत लहर सतावे है!!
कटी फटी गुदड़ी और घास फूस छप्पर ,
आशंका उजाड़ की नित जिया घबरावे है!
भूत भविष्य वर्तमान काल क्षण एक एक,
मौसम शीतलहर का सर्वहारा को सतावे है!!
गर्म ऊनी वस्त्र और वातानकूलित कोठियाँ ,
लक्जरी लाइफ भ्रस्ट बुर्जुआ ही पावे है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें