मंगलवार, 16 सितंबर 2014

    
     प्रचार के विभिन्न  माद्ध्यमों  में कभी बड़ा हो-हल्ला  हुआ करता था ,कि 'संघ परिवार' वाले  तो  बड़े ही परोपकारी हैं  -कर्तव्यपरायण हैं ,राष्ट्रीय आपदाओं के वक्त जनता की मदद के लिए तैयार रहते हैं ।  इत्यादि-इत्यादि। सम्भवतः इसमें आंशिक सचाई भी हो , लेकिन  फिल्बक्त तो उनका यह परम   परहितकारी  - जन - कल्याणकारी रूप सिरे से ही  गायब है। चाहे मध्यप्रदेश में पहले ओला-पाला  और अब  सूखा पीड़ितों का सवाल हो ,चाहे देश भर में बढ़ रही महँगाई ,बेरोजगारी,हत्या-बलात्कार  और रिश्वतखोरी का सवाल हो,चाहे विदेशी बनाम स्वदेशी का सवाल हो ,चाहे राष्ट्रीयकरण बनाम निजीकरण का सवाल हो ! इन सवालों  पर तो संघ परिवार ने पहले से ही 'मुशीका' लगा रखा है, किन्तु जम्मू कश्मीर में हुए महाजलप्लावन के  दौरान 'संघ परिवार'  का औदार्य नदारद  क्यों रहा ?  यह समझ से पर है  ! जब मैंने  उत्सुकतावश एक  बुजुर्ग संघी  कार्यकर्ता'भाई जी ' से इस बाबत पूँछा  तो पहले तो वे  इस प्रश्न को टालते रहे। वे बार-बार मोदी सरकार द्वारा  जम्मू-कश्मीर के ततसंबंधी कार्यान्वन का गुणगान करने लगे , भूटान-नेपाल और जापान की यात्राओं का बखान करने लगे. किन्तु जब  बाढ़ पीड़ित जम्मू-कश्मीर में  संघ की  निष्क्रियता संबंधी यही प्रश्न बार-बार दूसरों ने भी दुहराया तो वे आक्रोशित होकर अपने असली रूप में आ गए।  उनका जबाब था कि  इन दिनों हम  दूसरे  अति महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त हैं। हम  'लव-जेहाद'  के खिलाफ लड़ रहे हैं। हम उज्जैन के विक्रम विश्वविद्द्यालय में  सेकुलर प्रोफेसरों  की ठुकाई कर रहे हैं।  मध्यप्रदेश या देश के किसी भी हिस्से में मौजूद कश्मीरी छात्रों को खोज-खोजकर आतंकी  सिद्ध करने में जुटे हैं।  हम देवी अहिल्या विश्व विद्द्यालय में ए बी वी पी बनाम भा ज यु मो के द्वन्द का हिंसक   ट्रायल करने में जुटे हैं। हम 'हिंदुत्व की गरवा संस्कृति' से मुसलमानों को दूर रखने के राष्ट्र व्यापी अभियान में  जुटे  हैं। उनके इस प्रशश्ति गान  का कारवाँ और  आगे   बढ़ता, इससे पहले ही एक दूसरे  बुजुर्ग श्रोता ने चुटकी ली और कहा-शायद यही वजह है कि विधान सभा के  मौजूदा  उपचुनावों में 'मोदी लहर' विश्रांति की ओर  अग्रसर है।इन चुनावों में  अधिकांस जगहों पर मृतप्राय विपक्ष 'फीनिक्स' पक्षी की मानिंद फिर से उठ खड़ो हो गया है ।   कांग्रेस ,सपा,टीआरएस ,और अन्य  'सेकुलर'  पार्टियां बिना कुछ किये धरे  ही या बदनाम होते हुए भी पुनः  उठ  खड़ी  हो रही हैं। उधर कश्मीर में भी जनता को  बचाने के लिए  संघ नहीं सेना नजर आ रही है.इस धत्ताविधान  से  रुष्ट होकर  ' भाई  जी 'इस अनौपचारिक चलित गोष्ठी से 'वाक आउट ' कर गए !
    
                                               श्रीराम तिवारी 

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