शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

[कुण्डलियाँ ] डूब रहे नवरत्न, देखते शी जिनपिंग संग मोदी !


     लहर  सदा  स्थिर नहीं  , यह जानत सब कोय ।

      जहाँ   पै  हो  धुर्वीकरण ,जीत उधर ही  होय ।।


    जीत  उधर ही  होय , जहाँ है धनबल -भुजबल।

    कैसे  होय विकाश  , वतन जब लुटता  पल-पल ।।


     जनमत  करे निदान  ,नीति-नियत  खोटी जब होई।

     चहुँ दिश  भृष्टाचार ,    सुशासन   कैसे    होई।।



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     भारत  नीति  नियत यह ,  हो भय भूँख  निदान  ।

    किन्तु  निवेश की ललक लखि  ,लपका सकल जहान।।

     लपका सकल जहांन ,जो  भूंखे हैं दौलत  के ।

     करें तिजारत मुल्क , वैश्वीकरण के  झटके ।।

    एफ  डी आई  निर्बाध , बैंक  बीमा  या  गोदी।

     डूब रहे नवरत्न,  देखते शी  जिनपिंग  संग मोदी।।

  

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    साम्प्रदायिकता  बढ़ी ,जात -पाँत  की बात।

    पाकिस्तान  का भी नहीं , रोक सके प्रतिघात।।

    रोक सके प्रतिघात ,  जटिल सीमा  का  मसला।

     हाफिज सईद  दाऊद ,   करें भारत पर हमला।।

    सिस्टम है खूंखार ,बढ़ाता  घोर  विषमता।

     व्यापा   जातिवाद ,   फैलती  साम्प्रदायिकता।

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  श्रीराम तिवारी



 

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