लहर सदा स्थिर नहीं , यह जानत सब कोय ।
जहाँ पै हो धुर्वीकरण ,जीत उधर ही होय ।।
जीत उधर ही होय , जहाँ है धनबल -भुजबल।
कैसे होय विकाश , वतन जब लुटता पल-पल ।।
जनमत करे निदान ,नीति-नियत खोटी जब होई।
चहुँ दिश भृष्टाचार , सुशासन कैसे होई।।
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भारत नीति नियत यह , हो भय भूँख निदान ।
किन्तु निवेश की ललक लखि ,लपका सकल जहान।।
लपका सकल जहांन ,जो भूंखे हैं दौलत के ।
करें तिजारत मुल्क , वैश्वीकरण के झटके ।।
एफ डी आई निर्बाध , बैंक बीमा या गोदी।
डूब रहे नवरत्न, देखते शी जिनपिंग संग मोदी।।
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साम्प्रदायिकता बढ़ी ,जात -पाँत की बात।
पाकिस्तान का भी नहीं , रोक सके प्रतिघात।।
रोक सके प्रतिघात , जटिल सीमा का मसला।
हाफिज सईद दाऊद , करें भारत पर हमला।।
सिस्टम है खूंखार ,बढ़ाता घोर विषमता।
व्यापा जातिवाद , फैलती साम्प्रदायिकता।
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श्रीराम तिवारी
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