बुधवार, 10 जुलाई 2013

वर्तमान दौर का भारतीय ' तंत्र' आत्मघाती है ..![kavita]

         

       सरसरी तौर  पर कोई सामान्य बुद्धि का मानव -

      भी समझता है कि कौन सा वर्ग है इस देश में  दानव ,

       जो  केवल  आवारा वित्तीय पूँजी का गायक है .


       पूंजीवादी -दक्षिणपंथी -जातिवादी - क्षेत्रीयतावादी -            

       दलों का  विध्वंशक द्वन्द  केवल वर्चस्व वादी और ,

       नितान्त सत्ता हस्तांतरण  का अभीष्ट  फलदायक है  .


     नव-धनाड्य उच्च मद्द्य्म् वर्ग का सभ्रांत लोक ,

     प्रतिक्रियावादी-साम्प्रदायिक निहित स्वार्थी भद्रलोक ,
   
     एवं भूस्वामियों के लिए यह  भ्रष्ट  तंत्र बेहद आरामदायक है .


      सत्ता के दलालों का वित्तपोषक-सरमायेदार वर्ग ,

      जिसके  लिए यत्र-तत्र -सर्वत्र केवल स्वर्ग ही स्वर्ग ,

     ' भारत दुर्दशा ' के दुखांत नाटक का ये वर्ग  खलनायक है .


     धनबल-बाहुबल-छल-बल से  चुने गए जन -प्रतिनिधि -

      नहीं जानते नीति-रीति  और राष्ट्र विकाश की -विधि ,

      नैतिकता विहीन ये  वर्ग गैरजिम्मेदार और नालायक है .


       इतिहास के किसी खास दौर में भले ही बन जाए कोई ,

       ऐरा - गैरा -नत्थुखेरा किसी खास गेंग का नायक कोई ,

      अन्ततोगत्वा तो देश की  प्रबुद्ध जनता  ही महानायक है .


       लोकतंत्र  में हुआ करती आवाम-  धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र -आकांक्षी ,

        कार्यक्रम और नीतियाँ  हुआ करती  कौम  के लिए महत्वाकांक्षी ,

       खेद है   कि  इस दौर में  इन मूल्यों की अनुपस्थती  वेहद कष्टदायक है .


                  श्रीराम तिवारी

    


     

     

    

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