सरसरी तौर पर कोई सामान्य बुद्धि का मानव -
भी समझता है कि कौन सा वर्ग है इस देश में दानव ,
जो केवल आवारा वित्तीय पूँजी का गायक है .
पूंजीवादी -दक्षिणपंथी -जातिवादी - क्षेत्रीयतावादी -
दलों का विध्वंशक द्वन्द केवल वर्चस्व वादी और ,
नितान्त सत्ता हस्तांतरण का अभीष्ट फलदायक है .
नव-धनाड्य उच्च मद्द्य्म् वर्ग का सभ्रांत लोक ,
प्रतिक्रियावादी-साम्प्रदायिक निहित स्वार्थी भद्रलोक ,
एवं भूस्वामियों के लिए यह भ्रष्ट तंत्र बेहद आरामदायक है .
सत्ता के दलालों का वित्तपोषक-सरमायेदार वर्ग ,
जिसके लिए यत्र-तत्र -सर्वत्र केवल स्वर्ग ही स्वर्ग ,
' भारत दुर्दशा ' के दुखांत नाटक का ये वर्ग खलनायक है .
धनबल-बाहुबल-छल-बल से चुने गए जन -प्रतिनिधि -
नहीं जानते नीति-रीति और राष्ट्र विकाश की -विधि ,
नैतिकता विहीन ये वर्ग गैरजिम्मेदार और नालायक है .
इतिहास के किसी खास दौर में भले ही बन जाए कोई ,
ऐरा - गैरा -नत्थुखेरा किसी खास गेंग का नायक कोई ,
अन्ततोगत्वा तो देश की प्रबुद्ध जनता ही महानायक है .
लोकतंत्र में हुआ करती आवाम- धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र -आकांक्षी ,
कार्यक्रम और नीतियाँ हुआ करती कौम के लिए महत्वाकांक्षी ,
खेद है कि इस दौर में इन मूल्यों की अनुपस्थती वेहद कष्टदायक है .
श्रीराम तिवारी
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