न्यूटन के सिद्धांत-'गति के तीसरे नियम' का साइंस के अलावा भी कोई जीवंत उदाहरण देखना हो तो वर्तमान दौर के राजनैतिक परिद्रश्य पर दृष्टिपात कीजिये .खास तौर से मध्यप्रदेश के वर्तमान क्षितिज पर।
वर्जनाओं के कंगूरे पर बैठकर 'हिन्दुत्व ' और राष्ट्रवाद का हो हल्ला मचाने वाले देश को , दुनिया को , और मीडिया को जितना ही भरमाने की कोशिश कर रहे हैं 'संघ परिवार 'की आंतरिक विकृति उतनी ही तीब्रता से दिन-प्रतिदिन उन्हें सांस्कृतिक कुपोषण और अनैतिक मानसिकता का शिकार बता रही है .वेशक कांग्रेस इन दिनों जातिवाद ,साम्प्रदायवाद ,आर्थिक उदारवाद और महाभ्रष्ट 'सिस्टम' के दल-दल में आकंठ डूबी एक नितांत जर्जर पार्टी हो चुकी है। इस कांग्रेस को तो सबने देखा -परखा है ,किन्तु देश के ' व्हाईट कालर्स ' खनन माफिया ,क्रिमिनल्स और साधू वेश में ढपोर शंख्यियो -यथास्थ्तीवादियों को यदि एक साथ देखना हो तो केवल 'संघ परिवार' और मध्यप्रदेश में उसकी अनुषंगी -भाजपा की ओर अवश्य देखें .
संघ परिवार और उसकी राजनैतिक दुहिता 'भारतीय जनता पार्टी ' चाहे नरेन्द्र मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपे ,चाहे आडवाणी जी को एनडीए की कमान सौंपे ,चाहे तथाकथित गुजरात माडल के विकाश को फोकस करे ,चाहे मध्य् प्रदेश के शिवराज माडल को पूरे देश के सामने फोकस करे ,चाहे अयोद्धया में 'श्रीराम लला जू ' के भव्य मंदिर निर्माण की कितनी ही उदघोषनाएँ की जातीं रहें , चाहे कांग्रेस एवं यूपीए सरकार की आर्थिक -सामाजिक - वैदेशिक इत्यादि प्रतिगामी नीतियों और उसके कुशासन की बिना पर जन-समर्थन जुटाने के लाख जतन करते रहें लेकिन बात "हनोज दिल्ली दूरस्त " से आगे नहीं बढ़ पा रही है अन्दर की खबर है कि कुछ भाजपा वालों ने कांग्रेस की कुंडली वनवाई है,शायद राहुल गाँधी की भी कुंडली बनवाई है और बनवाने वालों के लिए और पूरे देश के लिए प्रशन्नता की बात है कि कांग्रेस और राहुल दोनों को ही 2 0 1 4 के आम चुनाव में केंद्र की सत्ता का राजयोग नहीं है .
किन्तु 'पार्टी विथ डिफ़रेंस ' ,'चाल-चेहरा -चरित्र ', देशभक्ति-राष्टवाद और 'रामराज्य की उद्घोषक पार्टी- भाजपा की कुंडली में राजयोग है या नहीं ?एनडीए बचेगा या नहीं ?मोदी बनाम आडवाणी का द्वन्द थमेगा या विकराल रूप धारण करेगा ?ये सभी सवाल जनता के समक्ष अनुत्तरित क्यों रखे जा रहे हैं ? कार्पोरैट घरानों द्वारा संचालित एवं देशी-विदेशी पूँजी द्वारा नियंत्रित मीडिया इन सवालों को इस बहाने हवा में नहीं उड़ा सकता कि कांग्रेस चूँकि अब अलोकप्रिय हो चुकी है और अपने वर्गीय हितों के संरक्षण के लिए पूँजीवादी वैकल्पिक सत्ता प्रतिष्ठान जरुरी है ! इसीलिये भाजपा के किसी कद्दावर नेता विशेष को महिमा मंडित कर उनके पक्ष में जन- मानस तैयार कर अपने वर्गीय स्वार्थों की हिफाजत का इंतजाम किये चलो .देश जाए भाड़ में!देश में गरीबी बढती है तो उनके ठेंगे से! देश आर्थिक संकट में फंसता है तो फंसा करे ! चूँकि अभी तो कांग्रेस की कुंडली में ग्रहयोग सत्ता पुनर्प्राप्ति के अनुकूल नहीं हैं इसीलिये शातिर दलबदलू नेता की तरह पूंजीवादी लाबी की पुरजोर कोशिश है कि देश की राजनीती में उनकी पकड यथावत बनी रहे इसलिए 'जहां दम वहाँ हम ' के अनुसार अपनी सेटिंग की गई है . चूँकि संघ परिवार ने 'नमो जाप ' चला रखा है सो ये हिंदुत्व वादी पूंजीपति वर्ग भी उधर ज़रा ज्यादा ही झुका हुआ है .इस के बावजूद भाजपा और एनडीए में रंच मात्र निखार नहीं आ पा रहा है . वास्तव में यदि भाजपा की कुंडली वनवाई जाए तो भाजपा समर्थकों और नेताओं को भी कुछ खास ख़ुशी नहीं होगी . सुधीजन स्वयम निष्पक्ष होकर सार्वदेशिक और राजनैतिक वैबिद्ध्ता के दृष्टिकोण से सोचें कि ऐंसा क्या लिखा होगा भाजपा की कुंडली में जिसे जान लेने के बाद फिलवक्त तो हताशा ही हाथ लगेगी ?
यदि कुछ न सूझ पड़े तो मध्यप्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता'राघवजी' से पूंछो,अरविन्द मेनन से पूंछो ,अजय विश्नोई से पूंछो ,ध्रुब नारायण सिंह से पूंछो उनके बगलगीर तरुण विजय से पूंछो ,संजय जोशी से पूंछो और यदि इनसे उत्तर न मिले तो जूदेव ,बंगारू लक्षमन ,येदुरप्पा तथा कल्याण सिंह से भी पूंछो कि ' राम लला अभी तक टाट में क्यों है ?और भाजपाई नेता एवं नेत्रियाँ ठाठ में क्यों हैं ? 'इसके बरक्स वेशक कांग्रेस पार्टी या यूपीए ने कभी दावा नहीं किया कि वे दूध के धुले हैं ! निसंदेह कांग्रेस एक बूढी बीमार पार्टी हो चली है,उसकी स्वाधीनता संग्राम की पुण्याई लगभग खत्म होने को है , उसके कई नेताओं पर समय -समय पर भृष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, उसकी मनमोहनी आर्थिक नीतियाँ देश को बर्बाद कर रहीं हैं किन्तु यह अकाट्य सत्य है कि तमाम कांग्रेसियों ने देश को पैंसठ साल में जितना लूटा होगा उतना तो अकेले मध्यप्रदेश के भाजपाइयों ने 'शिवराज ' के नेतत्व में सिर्फ आठ साल में ही लूट मारा है . इतना ही नहीं नैतिकता के मामले में तो भाजपाई कांग्रेस से कोसों दूर आगे निकल गए हैं , हालांकि 'जर -जोरू -जमीन ' का अप हरण तो कांग्रेसी और भाजपाई दोनों ही बड़ी दबंगई से करते ही आ रहे हैं किन्तु' शुचिता ' का नारा लगाने वाले 'संघ 'अनुशाषित - भाजपाइयों का चारित्रिक पतन बेहद शर्मनाक है .
संघ -जनसंघ और भाजपा के संस्थापकों में से एक पुराने चार्टर्ड अकाउंटेंट,मध्प्रदेश के वित्त मंत्री - उन्यासी वर्षीय केविनेट मंत्री राघव जी ने न केवल कई महिलाओं के साथ बल्कि अपने पुरुष नौकरों के साथ भी कुक्र्त्य किया है . भले ही उनकी बीस से अधिक सी डी देखकर शिवराज ने उन्हें मंत्री परिषद् से हटा दिया है किन्तु पार्टी पर लगे दाग को धोने की हडबडाहट में वे भारी भूलें कर चुके हैं . जिस नोकर ने इस अत्याचार से निजात पाने के लिए पुलिस और सरकार की शरण माँगी उसके प्राणों पर आ बनी है . पोलिस ठाणे में ही उस पर प्राणघातक हमला हो चूका है .उधर राघव जी अपने धनबल ,जनबल और बाहुबल से अपनी अग्रिम जमानत जुटाने में लगे हैं . शिवराज अब स्वयम संदेह के घेरे में आते जा रहे हैं . वे न्याय के साथ नहीं दिख रहे बल्कि पार्टी और सरकार की छवि को बचाने के 'डेमेज कंट्रोल ' में अपनी पूरी ताकत से जुट गए हैं ,आपाधापी में वे जनता की मनोदशा और न्याय प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए न केवल राघव जी बल्कि अन्य तमाम दुराचारियों को भी इसी तरह से लगातार पालते -पोषते रहे हैं . एक केविनेट मिनिस्टर वर्षों से अपने नौकर के साथ अप्राकृतिक कुक्र्त्य करता रहा और मुख्य मंत्री को कुछ भी मालूम न हो यह संभव नहीं . यदि संभव है तो फिर मुख्य मंत्री के योग्य नहीं . शिवराज की वर्तमान दुर्दशा से श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को सबसे ज्यादा धक्का लगेगा. उन्होंने ही सबसे पहले शिवराज में राष्ट्रीय नेत्रत्व क्षमता देखी थी . इतना ही नहीं हर रोज उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को नरेद्र मोदी से बेहतर बताकर संघ परिवार और उसकी आनुषांगिक भाजपा में बैचेनी पैदा कर दी थी.आज जब मोदी 2 0 1 4 के अश्वमेध के लिए - अमित शाह ,बाब रामदेव , राजनाथ , अशोक सिंघल ,जेटली जैसे योद्धाओं और संघ परिवार को अपने पक्ष में राष्ट्र व्यापी प्रचार अभियानचलाने में लगा चुके हैं तब शिवराज उनके सामने पासंग भी नहीं लगते .
इन दिनों मध्यप्रदेश में रोज 6 0 महिलायें गायब हो रही हैं . हर रोज ओसतन 5 महिलाओं की ह्त्या होती है .ओसतन हर माह 2 0 नाबालिग लड़कियों से रेप हो रहा है .विगत त्रिमासिकी में एक सौ सत्तर महिलाओं और छोटी बच्चियों से दुश्क्र्त्य किया गया .विगत एक वर्ष में गरीबी और भूख मरी से पीड़ित 4 0 2 किसानो ने आत्म ह्त्या की ,3 2 युवतियां ज़िंदा जलाई गईं .8 3 नाबालिग किशोरियों से दुश्क्र्त्य किया गया .यह जानकारी मध्यप्रदेश के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने 8 जुलाई को स्वयम विधान सभा में दी .एक कांग्रेसी विधायक के पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने तत्सम्बन्धी जो जानकारियाँ दीं उसकी एक झलक ही हांडी के चावल के रूप में यहाँ प्रस्तुत की गई है .सम्पूर्ण व्रतांत इस प्रदेश का और सता रूढ़ भाजपा का बेहद शर्मनाक है . जहां तक विकाश के दावे का प्रश्न है विकाश तो हुआ है! लेकिन केवल नेताओं ,अफसरों और अमीरों का ,दिलीप सूर्यवंशियों का , सन्नी गौर एंड ब्रदर्स जैसे सत्ता के दलाओं का , ठेकदारों का , संघ और भाजपा से जुड़े अधिकांस 'स्टेक -होल्डर्स ' का . खायापिया सबने लेकिन पाप का घडा फूटेगा सिर्फ शिवराज के सर .उन्हें आगामी विधान सभा चुनाव में हेट्रिक बनाने की पूरी उम्मीद थी और अभी भी वे आशान्वित हैं किन्तु प्रदेश के मंत्री , और पार्टी पदाधिकारी जिस तादाद में बदनाम हो रहे हैं उसमें उन्हें अपने ही दल के किसी विभीषण के हाथ होने का अंदेशा सा होने लगा है . कहाँ तो चौवे चले थे छब्बे बनने किन्तु अब तो दुबे बनने की संभावना बढ़ती जा रही है . नरेन्द्र मोदी का हर प्रति द्वन्दी पिटता जा रहा है .बिहार में नीतीश संकट में हैं ,दिल्ली में आडवानी -सुषमा -यशवंत सिन्हा शोकग्रस्त हैं , मध्यप्रदेश में आडवाणी -सुषमा और अटल के खासमख़ास शिवराज सिंह चौहान पर भारी विपदा आन पडी है इस खबर से सबसे ज्यादा खुश मोदी ही हो सकते हैं ! शिवराज को अब दिल्ली की नहीं मध्य प्रदेश की चिंता सता रही होगी . शायद भाजपा के इस संकट से मध्प्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म हो जाये.
भाजपाई कर्नाटक खो चुके हैं ,बिहार में भाजपा और जदयू की फूट से दोनों का पराभव निश्चित है ,राजस्थान और छ ग में भाजपा और कांग्रेस 'नेक्टू नेक ' है, इन राज्यों में एनडीए के अलायन्स पार्टनर हैं ही नहीं . केरल बंगाल त्रिपुरा में वाम पंथ के कारण भाजपा का अभी तक खाता भी नहीं खुला है,. तमिलनाडु में भी कोई खास उपस्थति नहीं है महाराष्ट्र में गडकरी और मुंडे जैसे महान नेता हैं जिनके कुख्याति से सब परिचित हैं , आंध्र में वेंकैया जी तब कुछ नहीं कर पाए जब वे खुद भाजपा अध्यक्ष थे अब क्या कर पायेंगे ? उधर अकेले गुजरात के दम पर भारत भूमि के सर्वे सर्वा बनने के लिए व्यग्र नरेन्द्र मोदी न केवल कांग्रेस की आर्थिक नीतियों को दुहरा रहे हैं बल्कि कांग्रेस की तर्ज पर देशी-विदेशी पूंजीपतियों को सहला रहे हैं यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य . एनडीए की कुंडली में क्या लिखा है ये तो आदरणीय आडवाणी जी' नागपुर वालों' को पहले से ही बता आये हैं! अब यदि गोस्वामी तुलसीदास लिख गए हैं कि :-
फूलहिं फलहिं न बेत ,जदपि सुधा बरसहिं जलधि ....
तो क्या गलत लिख गए ? गुजरात में मोदी जी लाख कोशिश कर लें आधी सीटें भी लोक सभा की गुजरात में बचा पायें तो गनीमत ,क्योंकि उनके अतीत की काली परछाई पीछा छोड़ने को तैयार नहीं , गुजरात विकाश का ढपोरशंख केवल दो-चार शहरों में तो बजाया जा सकता है किन्तु गुजरात के गावों की हालात देश के अन्य प्रान्तों के गाँवों से जुदा नहीं है . भूंखमरी वेरोजगारी और शोषण जितना गुजरात में है उतना तो बिहार में भी नहीं . गुजरात की और देश की कारपो रैट लाबी भाजपा और मोदी के लिए रुपया तो जुटा सकती है किन्तु जनता को बेबकूफ बनाकर वोटों में इजाफा नहीं कर सकती . यदि ऐंसा संभव होता तो आज़ादी के बाद टाटा -बिडला -डालमियां और आज के इस दौर में -अम्बानी बन्धु ,अजीम प्रेमजी ,नारायनमूर्ती या सुनील मित्तल भारती देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति होते . नरेन्द्र मोदी हों ,राजनाथ हों ,कल्याणसिंह हों ,उमा भारती हों , अमित शाह या कोई भी तीस मार खां हों उत्तरप्रदेश में आज तो सेंध नहीं लगा सकता ! क्योकि कट्टर हिन्दू वोट दो-दो बार संगठित रूप से 'राम लला ' के नाम पर भाजपा को दिए जा चुके हैं . हो सकता है कुछ प्रतिबद्ध लोग अभी भी हों किन्तु उतने से हिंदुत्व के नाम की काठ की हांडी द्वारा नहीं चढने वाली . विगत बीस सालों में गंगा का पानी उतना गन्दला नहीं हुआ जितना उत्तरप्रदेश का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकृतीकरण हो चूका है। इसके लिए कांग्रस ,भाजपा और जातीवाद की राजनीती करने वाले तत्व भी बराबर के जिम्मेदार है .यूपी में हिन्दू हैं ,मुसलमान हैं , सवर्ण हैं ,यादव हैं ,पिछड़े हैं ,दलित हैंकिन्तु अब भारतीय बहुत कम हैं .हैं भी तोउनके लिए जात -पांत धरम-मजहब पहले देश बाद में . हिन्दू कट्टरवाद तो न के बराबर ही है , बहुत कम होंगे जो राम लला के नाम पर या हिंदुत्व के नाम पर वोट करेगें . वैसे भी अब तो सपा-बसपा के बीच यु पी की जनता का बटवारा हो चूका है . कांग्रेस को और खास तौर से भाजपा और मोदी को यूपी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिये. मध्यप्रदेश से भी अब शायद उतना रिस्पान्स नहीं मिलने वाला कि 'दिल्ली सुलतान'बन सकें ...!
श्रीराम तिवारी
वर्जनाओं के कंगूरे पर बैठकर 'हिन्दुत्व ' और राष्ट्रवाद का हो हल्ला मचाने वाले देश को , दुनिया को , और मीडिया को जितना ही भरमाने की कोशिश कर रहे हैं 'संघ परिवार 'की आंतरिक विकृति उतनी ही तीब्रता से दिन-प्रतिदिन उन्हें सांस्कृतिक कुपोषण और अनैतिक मानसिकता का शिकार बता रही है .वेशक कांग्रेस इन दिनों जातिवाद ,साम्प्रदायवाद ,आर्थिक उदारवाद और महाभ्रष्ट 'सिस्टम' के दल-दल में आकंठ डूबी एक नितांत जर्जर पार्टी हो चुकी है। इस कांग्रेस को तो सबने देखा -परखा है ,किन्तु देश के ' व्हाईट कालर्स ' खनन माफिया ,क्रिमिनल्स और साधू वेश में ढपोर शंख्यियो -यथास्थ्तीवादियों को यदि एक साथ देखना हो तो केवल 'संघ परिवार' और मध्यप्रदेश में उसकी अनुषंगी -भाजपा की ओर अवश्य देखें .
संघ परिवार और उसकी राजनैतिक दुहिता 'भारतीय जनता पार्टी ' चाहे नरेन्द्र मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपे ,चाहे आडवाणी जी को एनडीए की कमान सौंपे ,चाहे तथाकथित गुजरात माडल के विकाश को फोकस करे ,चाहे मध्य् प्रदेश के शिवराज माडल को पूरे देश के सामने फोकस करे ,चाहे अयोद्धया में 'श्रीराम लला जू ' के भव्य मंदिर निर्माण की कितनी ही उदघोषनाएँ की जातीं रहें , चाहे कांग्रेस एवं यूपीए सरकार की आर्थिक -सामाजिक - वैदेशिक इत्यादि प्रतिगामी नीतियों और उसके कुशासन की बिना पर जन-समर्थन जुटाने के लाख जतन करते रहें लेकिन बात "हनोज दिल्ली दूरस्त " से आगे नहीं बढ़ पा रही है अन्दर की खबर है कि कुछ भाजपा वालों ने कांग्रेस की कुंडली वनवाई है,शायद राहुल गाँधी की भी कुंडली बनवाई है और बनवाने वालों के लिए और पूरे देश के लिए प्रशन्नता की बात है कि कांग्रेस और राहुल दोनों को ही 2 0 1 4 के आम चुनाव में केंद्र की सत्ता का राजयोग नहीं है .
किन्तु 'पार्टी विथ डिफ़रेंस ' ,'चाल-चेहरा -चरित्र ', देशभक्ति-राष्टवाद और 'रामराज्य की उद्घोषक पार्टी- भाजपा की कुंडली में राजयोग है या नहीं ?एनडीए बचेगा या नहीं ?मोदी बनाम आडवाणी का द्वन्द थमेगा या विकराल रूप धारण करेगा ?ये सभी सवाल जनता के समक्ष अनुत्तरित क्यों रखे जा रहे हैं ? कार्पोरैट घरानों द्वारा संचालित एवं देशी-विदेशी पूँजी द्वारा नियंत्रित मीडिया इन सवालों को इस बहाने हवा में नहीं उड़ा सकता कि कांग्रेस चूँकि अब अलोकप्रिय हो चुकी है और अपने वर्गीय हितों के संरक्षण के लिए पूँजीवादी वैकल्पिक सत्ता प्रतिष्ठान जरुरी है ! इसीलिये भाजपा के किसी कद्दावर नेता विशेष को महिमा मंडित कर उनके पक्ष में जन- मानस तैयार कर अपने वर्गीय स्वार्थों की हिफाजत का इंतजाम किये चलो .देश जाए भाड़ में!देश में गरीबी बढती है तो उनके ठेंगे से! देश आर्थिक संकट में फंसता है तो फंसा करे ! चूँकि अभी तो कांग्रेस की कुंडली में ग्रहयोग सत्ता पुनर्प्राप्ति के अनुकूल नहीं हैं इसीलिये शातिर दलबदलू नेता की तरह पूंजीवादी लाबी की पुरजोर कोशिश है कि देश की राजनीती में उनकी पकड यथावत बनी रहे इसलिए 'जहां दम वहाँ हम ' के अनुसार अपनी सेटिंग की गई है . चूँकि संघ परिवार ने 'नमो जाप ' चला रखा है सो ये हिंदुत्व वादी पूंजीपति वर्ग भी उधर ज़रा ज्यादा ही झुका हुआ है .इस के बावजूद भाजपा और एनडीए में रंच मात्र निखार नहीं आ पा रहा है . वास्तव में यदि भाजपा की कुंडली वनवाई जाए तो भाजपा समर्थकों और नेताओं को भी कुछ खास ख़ुशी नहीं होगी . सुधीजन स्वयम निष्पक्ष होकर सार्वदेशिक और राजनैतिक वैबिद्ध्ता के दृष्टिकोण से सोचें कि ऐंसा क्या लिखा होगा भाजपा की कुंडली में जिसे जान लेने के बाद फिलवक्त तो हताशा ही हाथ लगेगी ?
यदि कुछ न सूझ पड़े तो मध्यप्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता'राघवजी' से पूंछो,अरविन्द मेनन से पूंछो ,अजय विश्नोई से पूंछो ,ध्रुब नारायण सिंह से पूंछो उनके बगलगीर तरुण विजय से पूंछो ,संजय जोशी से पूंछो और यदि इनसे उत्तर न मिले तो जूदेव ,बंगारू लक्षमन ,येदुरप्पा तथा कल्याण सिंह से भी पूंछो कि ' राम लला अभी तक टाट में क्यों है ?और भाजपाई नेता एवं नेत्रियाँ ठाठ में क्यों हैं ? 'इसके बरक्स वेशक कांग्रेस पार्टी या यूपीए ने कभी दावा नहीं किया कि वे दूध के धुले हैं ! निसंदेह कांग्रेस एक बूढी बीमार पार्टी हो चली है,उसकी स्वाधीनता संग्राम की पुण्याई लगभग खत्म होने को है , उसके कई नेताओं पर समय -समय पर भृष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, उसकी मनमोहनी आर्थिक नीतियाँ देश को बर्बाद कर रहीं हैं किन्तु यह अकाट्य सत्य है कि तमाम कांग्रेसियों ने देश को पैंसठ साल में जितना लूटा होगा उतना तो अकेले मध्यप्रदेश के भाजपाइयों ने 'शिवराज ' के नेतत्व में सिर्फ आठ साल में ही लूट मारा है . इतना ही नहीं नैतिकता के मामले में तो भाजपाई कांग्रेस से कोसों दूर आगे निकल गए हैं , हालांकि 'जर -जोरू -जमीन ' का अप हरण तो कांग्रेसी और भाजपाई दोनों ही बड़ी दबंगई से करते ही आ रहे हैं किन्तु' शुचिता ' का नारा लगाने वाले 'संघ 'अनुशाषित - भाजपाइयों का चारित्रिक पतन बेहद शर्मनाक है .
संघ -जनसंघ और भाजपा के संस्थापकों में से एक पुराने चार्टर्ड अकाउंटेंट,मध्प्रदेश के वित्त मंत्री - उन्यासी वर्षीय केविनेट मंत्री राघव जी ने न केवल कई महिलाओं के साथ बल्कि अपने पुरुष नौकरों के साथ भी कुक्र्त्य किया है . भले ही उनकी बीस से अधिक सी डी देखकर शिवराज ने उन्हें मंत्री परिषद् से हटा दिया है किन्तु पार्टी पर लगे दाग को धोने की हडबडाहट में वे भारी भूलें कर चुके हैं . जिस नोकर ने इस अत्याचार से निजात पाने के लिए पुलिस और सरकार की शरण माँगी उसके प्राणों पर आ बनी है . पोलिस ठाणे में ही उस पर प्राणघातक हमला हो चूका है .उधर राघव जी अपने धनबल ,जनबल और बाहुबल से अपनी अग्रिम जमानत जुटाने में लगे हैं . शिवराज अब स्वयम संदेह के घेरे में आते जा रहे हैं . वे न्याय के साथ नहीं दिख रहे बल्कि पार्टी और सरकार की छवि को बचाने के 'डेमेज कंट्रोल ' में अपनी पूरी ताकत से जुट गए हैं ,आपाधापी में वे जनता की मनोदशा और न्याय प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए न केवल राघव जी बल्कि अन्य तमाम दुराचारियों को भी इसी तरह से लगातार पालते -पोषते रहे हैं . एक केविनेट मिनिस्टर वर्षों से अपने नौकर के साथ अप्राकृतिक कुक्र्त्य करता रहा और मुख्य मंत्री को कुछ भी मालूम न हो यह संभव नहीं . यदि संभव है तो फिर मुख्य मंत्री के योग्य नहीं . शिवराज की वर्तमान दुर्दशा से श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को सबसे ज्यादा धक्का लगेगा. उन्होंने ही सबसे पहले शिवराज में राष्ट्रीय नेत्रत्व क्षमता देखी थी . इतना ही नहीं हर रोज उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को नरेद्र मोदी से बेहतर बताकर संघ परिवार और उसकी आनुषांगिक भाजपा में बैचेनी पैदा कर दी थी.आज जब मोदी 2 0 1 4 के अश्वमेध के लिए - अमित शाह ,बाब रामदेव , राजनाथ , अशोक सिंघल ,जेटली जैसे योद्धाओं और संघ परिवार को अपने पक्ष में राष्ट्र व्यापी प्रचार अभियानचलाने में लगा चुके हैं तब शिवराज उनके सामने पासंग भी नहीं लगते .
इन दिनों मध्यप्रदेश में रोज 6 0 महिलायें गायब हो रही हैं . हर रोज ओसतन 5 महिलाओं की ह्त्या होती है .ओसतन हर माह 2 0 नाबालिग लड़कियों से रेप हो रहा है .विगत त्रिमासिकी में एक सौ सत्तर महिलाओं और छोटी बच्चियों से दुश्क्र्त्य किया गया .विगत एक वर्ष में गरीबी और भूख मरी से पीड़ित 4 0 2 किसानो ने आत्म ह्त्या की ,3 2 युवतियां ज़िंदा जलाई गईं .8 3 नाबालिग किशोरियों से दुश्क्र्त्य किया गया .यह जानकारी मध्यप्रदेश के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने 8 जुलाई को स्वयम विधान सभा में दी .एक कांग्रेसी विधायक के पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने तत्सम्बन्धी जो जानकारियाँ दीं उसकी एक झलक ही हांडी के चावल के रूप में यहाँ प्रस्तुत की गई है .सम्पूर्ण व्रतांत इस प्रदेश का और सता रूढ़ भाजपा का बेहद शर्मनाक है . जहां तक विकाश के दावे का प्रश्न है विकाश तो हुआ है! लेकिन केवल नेताओं ,अफसरों और अमीरों का ,दिलीप सूर्यवंशियों का , सन्नी गौर एंड ब्रदर्स जैसे सत्ता के दलाओं का , ठेकदारों का , संघ और भाजपा से जुड़े अधिकांस 'स्टेक -होल्डर्स ' का . खायापिया सबने लेकिन पाप का घडा फूटेगा सिर्फ शिवराज के सर .उन्हें आगामी विधान सभा चुनाव में हेट्रिक बनाने की पूरी उम्मीद थी और अभी भी वे आशान्वित हैं किन्तु प्रदेश के मंत्री , और पार्टी पदाधिकारी जिस तादाद में बदनाम हो रहे हैं उसमें उन्हें अपने ही दल के किसी विभीषण के हाथ होने का अंदेशा सा होने लगा है . कहाँ तो चौवे चले थे छब्बे बनने किन्तु अब तो दुबे बनने की संभावना बढ़ती जा रही है . नरेन्द्र मोदी का हर प्रति द्वन्दी पिटता जा रहा है .बिहार में नीतीश संकट में हैं ,दिल्ली में आडवानी -सुषमा -यशवंत सिन्हा शोकग्रस्त हैं , मध्यप्रदेश में आडवाणी -सुषमा और अटल के खासमख़ास शिवराज सिंह चौहान पर भारी विपदा आन पडी है इस खबर से सबसे ज्यादा खुश मोदी ही हो सकते हैं ! शिवराज को अब दिल्ली की नहीं मध्य प्रदेश की चिंता सता रही होगी . शायद भाजपा के इस संकट से मध्प्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म हो जाये.
भाजपाई कर्नाटक खो चुके हैं ,बिहार में भाजपा और जदयू की फूट से दोनों का पराभव निश्चित है ,राजस्थान और छ ग में भाजपा और कांग्रेस 'नेक्टू नेक ' है, इन राज्यों में एनडीए के अलायन्स पार्टनर हैं ही नहीं . केरल बंगाल त्रिपुरा में वाम पंथ के कारण भाजपा का अभी तक खाता भी नहीं खुला है,. तमिलनाडु में भी कोई खास उपस्थति नहीं है महाराष्ट्र में गडकरी और मुंडे जैसे महान नेता हैं जिनके कुख्याति से सब परिचित हैं , आंध्र में वेंकैया जी तब कुछ नहीं कर पाए जब वे खुद भाजपा अध्यक्ष थे अब क्या कर पायेंगे ? उधर अकेले गुजरात के दम पर भारत भूमि के सर्वे सर्वा बनने के लिए व्यग्र नरेन्द्र मोदी न केवल कांग्रेस की आर्थिक नीतियों को दुहरा रहे हैं बल्कि कांग्रेस की तर्ज पर देशी-विदेशी पूंजीपतियों को सहला रहे हैं यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य . एनडीए की कुंडली में क्या लिखा है ये तो आदरणीय आडवाणी जी' नागपुर वालों' को पहले से ही बता आये हैं! अब यदि गोस्वामी तुलसीदास लिख गए हैं कि :-
फूलहिं फलहिं न बेत ,जदपि सुधा बरसहिं जलधि ....
तो क्या गलत लिख गए ? गुजरात में मोदी जी लाख कोशिश कर लें आधी सीटें भी लोक सभा की गुजरात में बचा पायें तो गनीमत ,क्योंकि उनके अतीत की काली परछाई पीछा छोड़ने को तैयार नहीं , गुजरात विकाश का ढपोरशंख केवल दो-चार शहरों में तो बजाया जा सकता है किन्तु गुजरात के गावों की हालात देश के अन्य प्रान्तों के गाँवों से जुदा नहीं है . भूंखमरी वेरोजगारी और शोषण जितना गुजरात में है उतना तो बिहार में भी नहीं . गुजरात की और देश की कारपो रैट लाबी भाजपा और मोदी के लिए रुपया तो जुटा सकती है किन्तु जनता को बेबकूफ बनाकर वोटों में इजाफा नहीं कर सकती . यदि ऐंसा संभव होता तो आज़ादी के बाद टाटा -बिडला -डालमियां और आज के इस दौर में -अम्बानी बन्धु ,अजीम प्रेमजी ,नारायनमूर्ती या सुनील मित्तल भारती देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति होते . नरेन्द्र मोदी हों ,राजनाथ हों ,कल्याणसिंह हों ,उमा भारती हों , अमित शाह या कोई भी तीस मार खां हों उत्तरप्रदेश में आज तो सेंध नहीं लगा सकता ! क्योकि कट्टर हिन्दू वोट दो-दो बार संगठित रूप से 'राम लला ' के नाम पर भाजपा को दिए जा चुके हैं . हो सकता है कुछ प्रतिबद्ध लोग अभी भी हों किन्तु उतने से हिंदुत्व के नाम की काठ की हांडी द्वारा नहीं चढने वाली . विगत बीस सालों में गंगा का पानी उतना गन्दला नहीं हुआ जितना उत्तरप्रदेश का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकृतीकरण हो चूका है। इसके लिए कांग्रस ,भाजपा और जातीवाद की राजनीती करने वाले तत्व भी बराबर के जिम्मेदार है .यूपी में हिन्दू हैं ,मुसलमान हैं , सवर्ण हैं ,यादव हैं ,पिछड़े हैं ,दलित हैंकिन्तु अब भारतीय बहुत कम हैं .हैं भी तोउनके लिए जात -पांत धरम-मजहब पहले देश बाद में . हिन्दू कट्टरवाद तो न के बराबर ही है , बहुत कम होंगे जो राम लला के नाम पर या हिंदुत्व के नाम पर वोट करेगें . वैसे भी अब तो सपा-बसपा के बीच यु पी की जनता का बटवारा हो चूका है . कांग्रेस को और खास तौर से भाजपा और मोदी को यूपी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिये. मध्यप्रदेश से भी अब शायद उतना रिस्पान्स नहीं मिलने वाला कि 'दिल्ली सुलतान'बन सकें ...!
श्रीराम तिवारी
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