कोई कहे सत्ता सिंहासन पर बिठा दो मुझे,
अयोध्या का राम मंदिर मैं ही बनवाऊंगा।
कोई कहे देश की कमान मुझे सौंप दो ,
विकास की गंगा सारे देश में बहाऊंगा।।
कोई कहे सोचो मैं तो कब से हूँ वेटिंग में,
मौका एक दे दो तो कुछ करके दिखाऊंगा।
कोई करे चिंतन-मनन जीत-हार का,
जनता नाराज है कैसे जीत पाऊंगा।।
कोई कहे गांधीवाद;कोई कहे पूंजीवाद,
कोई कहे वालमार्ट देश में बसाऊंगा।
कोई कहे रामराज;कोई कहे शिवशाही,
कोई कहे देश में समाजवाद लाऊंगा।।
कोई कहे जाति पे, कोई कहे खाप पे,
कोई कहे भाषा पे वोट मैं जुटाऊंगा।
कोई कहे पंथ के ,कोई कहे मज़हब के ,
कोई कहे नस्ल के कांटे मैं उगाऊँगा ।।
कोई कहे अगड़ों की ,कोई कहे पिछड़ों की,
कोई कहे दलितों को आगे बढ़ाऊंगा ।।
कोई कहे खंड-खंड बिखरा विपक्ष है,
धर्मनिरपेक्षता की चाल फिर चलाऊंगा।।
कोई जपे लोकपाल,कोई करे भंडाफोड़,
कोई कहे गठबंधन धर्म मैं निभाऊंगा।
कोई कहे सीबीआई, मुक्त करो सत्ता से,
कोई कहे देश की तरुणाई को जगाऊंगा।।
कोई कहे देश की संपदा को बेच- डालो,
राजकोष घाटा मैं पूरा कर जाऊँगा।
डाल - डाल नेता तो जनता भी पात-पात ,
कोई नहीं कहता कि देश को बचाऊंगा।
श्रीराम तिवारी
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