शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

Arundhati ka nazriya nakaaraatmak hai.

 अब वक्त आ गया है की भारतीय लोकतंत्र की खामियों को  दुरुस्त  करने  की आकांक्षी समस्त  शक्तियाँ एकजुट हों  किंतु  भारतीय लोकतंत्र मे जो दुनिया मे सबसे बेहतरीन तत्व हैं ,मूल्य हैं यदि उनकी हिफ़ाज़त कोई करता है तो उसकी तारीफ़ की जानी चाहिए.  वर्तमान राष्ट्रपति जी ,गृह मंत्री जी ओर सरकार  कब कह रही की हमने तीर मारा! कांग्रेस ने भी कोई शेखी नहीं बघारी  ,विपक्ष भी वर्तमान दौर मे संतुलित प्रतिक्रिया दे रहा है किंतु मीडिया तथाकथित  बुद्धिजीवी  ओर पत्रकार अपने अधकचरे  गैरजिम्मेदार वमन ' से देश की अस्मिता पर आक्रमण पर तुले है  जो दुनिया मे भारत की नकारात्मक  छवि पेश करने के  कारक हो सकते है. अरुंधती जी ही नहीं ओर भी तत्व हैं जो वर्तमान पूंजीवादी  अधोगामी व्यवस्था   पर आक्रमण करने के बजाय 'भारत राष्ट्र'  के ह्रदय पर वार कर रहे हैं. उस अंगरक्षक की तरह जो राजा के शरीर की मक्खी भगाने के लिए राजा के शरीर पर ही वार कर देता है. प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी जी को धन्यवाद की उन्होने प्रस्तुत विमर्श मे उचित हस्तक्षेप किया. 

           shriram tiwari..

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