गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

बजट के दोहे !

  
   खाद-बीज का    क्या हुआ,   कहाँ  गरीब किसान .

     कोरा बजट चिदम्बरम ,    कैसे हो    कल्याण ..


   सस्ता श्रम जो लूटते , ठेकेदार तमाम .

    उन पर ना बंदिश कोई,  क्या खास क्या आम ..



   महंगाई  की मार है, रुके विकाश के काम .

   राजकोष   खाली पड़ा, वित्त श्रोत सब जाम ..


 विश्व बेंक की नीतियाँ ,एमएनसी के काम .

वित्त मंत्री कर चले,केवल   उनके  काम ..



   पूंजीवादी तंत्र में    , कितना ही करो सुधार .

नीति-नियत बदले बिना ,होगा ना उद्धार ..


  श्रीराम तिवारी





    

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