खाद-बीज का क्या हुआ, कहाँ गरीब किसान .
कोरा बजट चिदम्बरम , कैसे हो कल्याण ..
सस्ता श्रम जो लूटते , ठेकेदार तमाम .
उन पर ना बंदिश कोई, क्या खास क्या आम ..
महंगाई की मार है, रुके विकाश के काम .
राजकोष खाली पड़ा, वित्त श्रोत सब जाम ..
विश्व बेंक की नीतियाँ ,एमएनसी के काम .
वित्त मंत्री कर चले,केवल उनके काम ..
पूंजीवादी तंत्र में , कितना ही करो सुधार .
नीति-नियत बदले बिना ,होगा ना उद्धार ..
श्रीराम तिवारी
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