पुरवा गाती रहे , पछुआ गुन - गुन करे ,
मानसून की सदा मेहेरवानी हो .
सावन सूना न हो ,भादों रीता न हो,
नाचे वन -वन में मोर,मीठी वाणी हो ..
यमुना कल-कल-करे,गंगा निर्मल बहे,
कभी रीते न रेवा का पानी हो .
दायें कच्छ का रन ,बाएं अरुणांचल ,
ह्रदय गोदावरी-कृष्णा कावेरी हो ..
माँ की तस्वीर हो,माथे कश्मीर हो,
धोये चरणों को सागर का पानी हो .
उपवन खिलते रहें ,वन महकते रहें,
खेतों -खलिहानों में हरियाली हो ..
बीतें पतझड़ के दौर ,झूमे आमों में बौर,
फलें -फूलें दिगंत,गाता आये वसंत,
हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो ..
महिमा उनकी रहे,रन में बलि-बलि गए,
कर गए यों न्यौछावर जवानी हो .
हिल -मिल करना जतन ,कभी उजड़े न ये चमन,
अमर रहे चंद्रशेखर की शहादत निशानी हो ..
श्रीराम तिवारी
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