गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

जय- जय -जय -जनतंत्र की ...!

         

       एकल विफल सब बड़े दल , नहिं  सत्ता में ठौर .

      ध्रुवीकरण ध्रुव सत्य है, गठबंधन का दौर ..



      राजनीति  पर अर्थ के ,रहे गिद्ध  मंडराय  .

    धर्म -काम या मोक्ष को,साधन लिया बनाय ..



       प्रजातंत्र में कथन है , जनता है सिरमौर .

       अवसरवादी खा  गए ,मेहनतकश का कौर ..

   
          राजनीति अब हिन्द की , पुन : गई गर्माय .

         अगले आम चुनाव की ,  चिंता रही  सताय  ..


        कोई बड़ा न देश से , व्यक्ति -धरम-समाज .

        सच्चा नेता है  वही , करे  दीन  के काज ..


        वंशवाद बैरी  बुरा ,    ज्यों   सामंती    क्रूर

        व्यक्तिपूजा   जो करे   ,  वो प्रजातंत्र से दूर ..



    प्रजातंत्र को चाहिए ,जनता की   जयकार .

    जाति -धरम -भाषा  निरत ,समता की दरकार ..


    जनता का हित करे ना ,अपना स्वार्थ  सधाय .

     जिनके ह्रदय कपट छल ,  वो मंत्री पद पाय ..


      जय -जय- जय -जनतंत्र की, जय गणतंत्र महान .

     भारत-भारती का करो,मिलकर मंगल गान ...


                      श्रीराम तिवारी


        

   

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