मंगलवार, 29 जनवरी 2013

दो कौड़ी के आदमी को हीरो बनाने से बाज़ आओ ....

   हिंदी के महानतम कवि अब्दुल रहीम खान-ए -खाना लिख गए है:-

   जो रहीम ओउछो बढे,तो अति ही इतराय।
   प्यादे से फर्जी भयो,टेड़ो टेड़ो जाय।।

   इन पंक्तियों में कवि वर रहीम ने उन   ओछे [संकीर्ण मानसिकता के ] लोगों की हकीकत बयान की है   जो  किसी खास अवसर या देश-काल -परिस्थिति के कारण ऊँचा मुकाम हासिल कर लेते हैं किन्तु वे अपनी वास्तविक आंतरिक  संरचना में ऊँचे नहीं उठ पाते। जैसे की शतरंज में प्यादा कभी-कभी विपक्षी के पाले में अवसर पाकर मनमाफिक ओहदा -वजीर,हाथी ,ऊंट, घोडा बन कर इतराने लगता है। इसी तरह समाज में कुछ अयोग्य  लोग किन्ही खास परिस्थितियों के कारण  वो मुकाम पा  जाते हैं जिसके लायक वो नहीं होते और जन-साधारण ही नहीं बल्कि असाधारण योग्यता के नर-नारी भी  इन अमरवेली  रुपी   कु -पात्रों को अपना आदर्श -नायक-महानायक मान बैठते हैं उनको अपना दिल दे बैठते हैं। जिस तरह गधे के द्वारा शेर  की  खाल ओड़कर डराने की पुरातन कहानी में कुपात्र को वन्यजीव सजा देते हैं वैसी सज़ा के हकदार हमारे आज के वे नायक या हीरो क्यों नहीं हो सकते ?  जिनकी  हरकतों से भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की दुनिया भर में बेइज्जती हो  रही है। जब देश की जनता किसी पर अपना भरपूर प्यार लुटा दे , जात-मज़हब से ऊपर उठकर उसकी कला को आदर करे, तो फिर वह शख्स 'आवाम का सब कुछ लूटने के बाद'  उसी  जनता पर कौमी भेदभाव का  आरोप लगाकर क्या हासिल करना चाहता है। क्या यह सच  नहीं की  पाकिस्तानी   गृह मंत्री का यह बयान की "भारत सरकार  शाहरुख खान की जान की हिफाजत करे" का दो टूक जबाब न देकर शाहरुख खान ने भारत की धर्मनिरपेक्ष जनता को  अपमानित ही नहीं बल्कि मायूस भी किया है।   पहले तो उसने वेवजह गैर जरुरी बयानबाजी कर 'आउट-लुक' में तथाकथित मज़हबी भेदभाव का कपोलकल्पित राग छेड़ा और बाद में जब पाकिस्तान के गृह मंत्री का घटिया बेतुका बयान आया तो चुप्पी साध गया। मुझे पाकिस्तानी नेताओं  से कोई शिकायत नहीं ,वे इस तरह की गन्दी हरकतों से दुनिया में पहले से ही मशहूर है। मुझे तो शाहरुख से शिकायत है कि :-
 
इस घर को आग लग गई ,घर के चिराग से ......अपना ही माल  खोटा   हो तो  परखने वाले को क्या दोष् दें .....
 
 क्या  यह उस   कलाकार का वह रूप है जो सत्ता के शिखर से भी जुड़ने को लालायित रहता है? जिसे पदम् श्री,पदम् भूषण [गनीमत है की नहीं दिया गया] राज्य सभा   सदस्य या  किसी  सामाजिक,सांस्कृतिक सम्मान से नवाजे जाने का प्रयोजन प्रस्तावित संभव हो सकता था। जिसे देश की बड़ी राजनैतिक पार्टियां अपने से जोड़ने को उत्सुक थीं। यह एक आदमी का सवाल नहीं यह  समूचे फिल्म उद्योग की हांड़ी का सवाल  है  अनेक  और भी हो सकते हैं जिनके दिलों में देश से ,धर्मनिरपेक्षता से ,भारतीय संविधान से ,न्याय व्यवस्था से  वितृष्णा हो सकती है ,शाहरुख तो  उस अपावन हांड़ी का  एक   कंकड़ मात्र है। आधुनिक भारतीय युवा वर्ग को , फेश्बुक धारकों को,दृश्य-श्रव्य-छप्य -पाठ्य  मीडिया को  इस का संज्ञान लेना ही होगा   और देश की करोड़ों जनता को इन नापाक लोगों से बचाना होगा जो जनता  को  'नायक'  बनकर ठगते है। सिर्फ राजनैतिक नेताओं को गालियाँ  देने ,उनके पुतले जलाने या राजनीती को गंदा बताने वालों  की सोच बदलनी होगी ,    जो लोग पानी पी-पी कर  नेताओं को गरियाते हैं जो लोग राजनीतिज्ञों के कार्टून बनाते हैं ,जो लोग नेताओं के खिलाफ  घटिया कव सड़क छाप कवितायेँ और चुटकुले सुनाते हैं वे शाहरुख़ खान जैसे लोगो की करनी-कथनी पर मौन क्यों हैं? कहाँ हो अन्ना हजारे? कहाँ हो रामदेव?कहाँ हो केजरीवाल-प्रशांत,किरण ,कहाँ हो देश के समस्त धर्मनिरपेक्ष  वुद्धिजीवी -साहित्यकारों,महाशेताओ? अब सभी अनजान बन कर कहाँ जा छिपे हो? क्या देशभक्ति का ठेका सिर्फ राजनीतिज्ञों ने ले रखा है?  शाहरुख जैसों की ओछी हरकत काबिले बर्दास्त नहीं हो सकती।
                   
 यह वही ओछी मानसिकता नहीं जिसे कविवर रहीम ने सेकड़ों साल पहले बखान किया था?

   जो लोग  अपने निहित स्वार्थ  के लिए देश को भी नीचा दिखने के लिए तैयार हो जाते है।  उनको देश के युवा ,खास  तौर  से युवतियां   और  आम  जनता किस बात के लिए हीरो मानकर बलैयां ले-लेकर अपने सर पर बिठा रहे हैं?
            इस मुल्क की अवाम दुनिया में सच्ची   धर्मनिरपेक्ष तो है किन्तु   बहुत भोली भी  है।दुनिया में शायद ही कोई ऐंसा  उदाहरण  मिलेगा  की बहुसंख्यक आवाम  का  नायक  -नायिका  ,नेता  या मुख्य न्यायधीश  अल्पसंख्यक हो।क्या पाकिस्तान [ लाली वुड ]क्या अमेरिका[हाली वुड] क्या हांगकांग क्या चीन और क्या इंग्लेंड कहीं भी ये उदाहरण नहीं  मिलेगा की दर्शक या आवाम के समाज का हीरो या हीरोइन   वहाँ के बहुसंख्यक समाज का न हो। यह भारत में ही हो सकता है की जनता एक ऐसे मामूली आदमी को जो अल्प्संखयक  भले ही हो किन्तु उसे भरपूर समर्थन और प्यार देती हैएक हिन्दू लड़की उससे शादी करती है ,उसके साथ घर  बसाती है और फिर वो मामूली आदमी अपनी नकली' कला '  का खोल उतारकर दुनिया के सामने ..हेंचू .....हेंचू .....करने लगता है . उसका बगलगीर पाकिस्तान क्यों हो गया? जो एक राष्ट्र नहीं बल्कि  आतंक-माफिया-ड्रग और हथियारों के जखीरे का  दूसरा नाम है। अभी-अभी भारत के दो शहीदों की धोखे से जान लेने  वाले दुर्दांत पाकिस्तानी हैवानों   के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला  और भारत की जिस  जनता  ने तुझ पर सब कुछ लुटा दिया , तुझे प्यार दिया, तेरी  सड़ी-गली गन्दी  फिल्मों पर पैसा और समय बर्बाद किया , जिसने कभी तुझे किसी हिन्दू नायक से कम सम्मान  नहीं दिया और जिसने तुझे फर्श से अर्श  तक पहुंचा दिया तूने उनके दिलों को  ठेस पहुंचाई है।शाहरुख खान!  में  तुम्हारी जगह होता तो पाकिस्तानी गृह मंत्री  रहमान खान के घटिया बयान का जबाब यों देता:-



"मुझे इस मुल्क [भारत ] ने जो दिया वो पूरी कायनात में किसी को कभी नहीं मिला"  अपनी  फ़िक्र करो मिया  रहमान खान! तुम मेरी हिफाज़त की चिंता छोडो ,मेहरवानी इतनी करो की पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी भेजना बंद करो  मेरे  मुल्क में। मुसलमान होने का इतना ही गरूर है तो उसे क्यों नहीं बचाया जो दुनिया में 'इस्लाम की नाक' था, पांच वक्त का नमाज़ी पक्का मुसलमान था! और आपके पाकिस्तान में ही शरण ले  रखी  थी जिसका नाम मुहम्मद-बिन-लादेन था।आपके मुल्क में जितने मुसलमान हैं उससे ज्यादा भारत में हैं और  उनकी चिंता फिकर करने वाले इस देश के हर घर में ,हर पार्टी में हर संस्था में मौजूद है। मुझे प्यार करने
  वाले  यहाँ केवल  फिल्म या राजनीती में ही नहीं बल्कि हमारे घर में  हमारे दिल में रहते है। विश्वाश न हो तो गौरी से पूँछ ली"  तुम हमारी चिंता छोडो और पकिस्तान के करोड़ों नंगे-भूंखे  अशिक्षित  बेरोजगारों  को' कसाब' बनाने से बाज़ आओ।  पाकिस्तान में तो  कोई हिन्दू [अल्प्संखयक] हीरो तो क्या चपरासी भी  नहीं बन सकता। क्या   कोई हिन्दू युवक   पाकिस्तान में किसी मुस्लिम लड़की से शादी करके   जिन्दा रह सकता है? क्या कोई गैर मुस्लिम पाकिस्तान में 'नायक' हो सकता है? नहीं!नहीं!!नहीं!!"
  
  चूँकि शाहरुख तुमने आउट लुक के मार्फ़त और गाहे-बगाहे बाज़-मर्तवा अपनी असली  औकात बताई है, दुनिया में मेरे भारत  को रुसवा किया है  इसलिए हम  तुझे  अपने दिल से बे-दखल करते हैं। देश के तमाम युवाओं और युवतियों से आह्वान करते हैं की जो वतन  के साथ बेबफाई करे फिर चाहे वो हिन्दू हो ,मुसलमान हो,ईसाई हो,सिख हो - उसे उसकी कला से  पहले  देशभक्ति से मूल्यांकित करंगे। जो मजहव के आधार पर मूल्यांकन की बात करेगा ,जात-पांत के आधार पर समाज को बांटने की बात करेगा ,जो विदेशी आक्रान्ताओं से गलबहियां डालकर भीतरघात करेगा वो देश के  युवाओं के दिल से वे दखल किया जाएगा।
                                                 कहने को तो  भारत  ने  सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक और   वैज्ञानिक  विकास   के अनेक कीर्तिमान स्थापित किये है किन्तु   आज़ादी के 65 सालों  बाद भी   जिस तरह भारत की जनता ने अपने नैतिक मूल्यों और स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों को क्षति  पहुंचाई है ;अपनी  राष्ट्रीय अस्मिता को  मलिन किया है    वो दुनिया  की बदतरीन  मिसाल है।   भारत की जनता ने हर क्षेत्र में खोटे  सिक्कों  की पूजा की है,  जिस तरह पहले तो हम  राजनीति में दवंगों-लफंगों और पूंजीपतियों के दलालों को नेता बना  देते हैं , चुनाव में बारबार जिताने के बाद  अपनी और वतन की किस्मत पर रोते रहते है . यह दलों का नहीं दल-दल का देश  बन चूका  है। हर रोज एक नई  राजनैतिक पार्टी कुकुरमुत्ते की तरह उग आती है।हम भारत के जन-गण 'सर्वे भवन्तु सुखिन :" की  तरह                 आर्थिक क्षेत्र में  67  खरबपति  ,कुछ  सेकड़ा अरबपति , कुछ लाख करोडपति और कुछ करोड़ लखपति पैदा किये हैं  और  बाकी सब कंगाल। इसी तरह भारत की फ़िल्मी दुनिया में - तथाकथित 'बालीवुड' में -दो-चार महानायक ,[ महानायिकाएं]- ],एक-दो  दर्ज़न  नायक- नायिकाएं ,दो-चार गायक-गायिकाएं ,दस-बीस लेखक-निर्माता और निर्देशक  बाकी सब फटेहाल-कंगाल।
  हज़ारों वर्षों की गुलामी की मानसिकता  से छुटकारा पाने  के लिए इस देश की जनता को कुछ कठोर आत्मनुशाशनों  का अनुशीलन करना ही होगा। हमे नायक-नायिका वाद से मुक्त होकर कला फिल्मों  को बढ़ावा देना होगा।,प्रगतिशील -धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित मनोरंजन और तत्सम्बन्धी साहित्य सृजन का पथ -अनुगमन करना होगा।युवा शक्ति को यह पहचानना ही होगा की देश के करोड़ों शोषितों,वंचितों [हिन्दू-मुसलमानों-ईसाइयों-सिखों]- सभी जात-धरम -मज़हब के दीं दुखी जनों के साथ कौन खड़ा है और पाकिस्तान के हाथों कौन खेल रहा है?

   देश की जनता को शाहरुख़ खान ने जो सबक दिया है  वो देश की आवाम और युवा शक्ति को नसीहत दे   यही अनुरोध और देश भक्तिपूर्ण अभिलाषा के साथ,


         क्रांतिकारी अभिवादन सहित ... श्रीराम तिवारी








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