बुधवार, 16 जनवरी 2013

पाकिस्तान के जंगखोरों .... होश में आओ !

 एक  खास वर्ग भारत  का   उस मुल्क   से युद्ध को  बेताब  है,

  जो    जमीन पर सीधे लेटकर नभ पर  करना  चाहता  पेशाब  है।

  जिसे  भौगोलिक- सामरिक- वैश्विक-राष्ट्रीय -समझ नहीं है,

  जो   नहीं जानते कि  मरे -मराये को मारना वीरता नहीं  है।

 उनकी सोच है कि हमला  कर देना ही समस्या का  निदान  है ,

  मानो  भारत का  दुश्मन तो  दुनिया में  केवल   पाकिस्तान   है।

   माना कि   पाकिस्तान  दुनिया में  बर्बरता की खुली किताब   है

    लेकिन  वो तो खुद ही  अपने सीने में खंजर घोंपने को बेताब  है।,


  केवल चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकारों को आँख दिखाना,

  पाकिस्तान की आदमखोर कौरवी सेना  के पाप छिपाना।

  अलकायदा - कट्टरपंथ  से- तालिवान से -    हाथ मिलाना ,

  अल्पसंख्यक -हिन्दू -सिख -ईसाई  -शियाओं  के  शीश कटाना।

 पाकिस्तानी  न्यायपालिका  तो  जैसे   खुद बन गई धृतराष्ट्र है,

 संसार में सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से यह एक   विकृत  राष्ट्र है।


सिंधियों,पख्तूनों, मुहाजिरों,बलूचों कश्मीरियों - बंगालियों  की हत्यारी,

खुनी   दरिंदी  , वहशी, इंसानियत  की  दुश्मन - ना-पाक सेना  सारी।

 अपने ही देश की आधी अधूरी डेमोक्रेसी को कुचलने के बहाने,

पाक सेना  रचती षड्यंत्र  सीमाओं पर  निरंतर  भारत को उकसाने।

भारत की सेना , भारत के  नेता , भारत की जनता और सरकार ,

पाक- की  मेहनतकश  शांतिप्रिय आवाम  से है  दोस्ती की तलबगार।
 
शांति-मैत्री ,सत्य-अहिंसा ,प्रजातंत्र -धर्मनिरपेक्षता -गुटनिरपेक्षता,

 और   अनेकता में एकता है  भारतीय संस्कृति की मूलभूत  विशेषता।

  विश्व के सर्वश्रेष्ठ मानवीय मूल्य भारत के ह्रदय में  विराजे हैं,

   जो इन  पर  वार  करेगा तो उसके लिए हम  भगतसिंह  और शिवाजी राजे हैं।


      श्रीराम तिवारी







   

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