सोमवार, 13 दिसंबर 2010

भारत की चीन पर विजय...

इस आलेख का शीर्षक पढ़कर जिन्हें रंचमात्र भी खेल भावना का अहसाश होगा वे अवश्य ही इग्व्वान्ग्ज्हू एसियाद में भारत की खेल सम्बन्धी स्थिति और चीन का विराट अश्वमेधी अभियान के सन्दर्भ में आशावादी दृष्टिकोण पर खुश होंगे .कल १२ दिसंबर २०१०को भारत की शीर्ष बेडमिन्टन खिलाडी साइना नेहवाल ने त्रिस्तरीय गेम्स के संघर्षपूर्ण मुकाबले में चीन की शिझियाँ वांग को हराकर 'होंकोंग ओपन सुपर सीरिज "ख़िताब जीतकर करोड़ों भारतीयों के दिलों को राष्ट्रीय स्वाभिमान से संपृक्त कर दिया .२० वर्षीय साइना ने वांचाई में खेली गई इस विश्व स्तरीय स्पर्धा के फ़ाइनल में विश्व की शीर्ष वरीयता {तीसरी}प्राप्त चीनी खिलाडी को १५-२०,२१-१६,२१-१७,से मात देकर भारी उलटफेर कर दिखाया .साइना ने यह मुकाबला एक घंटे और ११ मिनिट में जीता .साइना की यह इस साल की तीसरी और व्यक्तिगत करियर की चौथी शानदार उप्लोब्धि है .

साइना ने विगत ओक्टोबर में कामन वेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीतने से पहले "इंडियन ओपन ग्रापी " "सिगापुर ओपन सीरीज "और इंडोनेशियन सुपर सीरिज 'के अंतर राष्ट्रीय खिताबों पर

कब्ज़ा करके भारत का न केवल मान बढाया बल्कि सदियों से दमित-शोषित - पराजित भारतीय जन -गन को वर्तमान प्रतिस्पर्धी युग के अनुरूप बेहतरीन उत्प्रेरक प्रदान किया है .अब भारत की जनता का सच्चा और देशभक्त तबका हर क्षेत्र में नेतृत्व करने को बाध्य होगा .यह एक अकेले साइना नेहवाल के एकल प्रयास का प्रश्न नहीं है .

भारत के कतिपय कट्टर दक्षिणपंथी लोग खेलों को अंतर राष्ट्रीय परिदृश्य पर पाकिस्तान बनाम भारत के नजरिये से देखते रहे और उसी की ये परिणिति है की आम तौर पर हम क्रिकेट ,हाकी या अन्य किसी भी खेल में पाकिस्तान के खिलाड़ियों को भारतीय खिलाड़ियों के हाथों पराजित किये जाने पर क्षणिक आनंद में मग्न रहे और उधर चीन रूस कोरिया ,अमेरिका समेत एक दर्जन देश हमसे आगे निकलते चले गए . कुछ लोग चीन में खेलों के विकाश को नकरात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हुए अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं .जबकि प्रतेक अंतर राष्ट्रीय स्पर्धा के उपरान्त खेलों की मूलगामी समीक्षा की जाते रहनी चाहिए .चीन में ऐसा है होता है ...भारत में एक श्रंखला {क्रिकेट की ]जीतने के बाद या एक स्वर्ण पदक किसी अंतर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्राप्त करने के बाद द्वारा उसे हासिल कर पाने की सम्भावना काम ही हुआ करती है .साइना नेहवाल ने यह कर दिखाया ..लगातार तीन टॉप की स्पर्धाओं में नंबर वन होना निश्चय ही भारत के गौरव की अभीवृधि तो है ही साथ ही यह देश के युवाओं और देशप्रेमी जनता को सन्देश भी की प्रतिभाओं को तराशने बाबत उचित सहयोग प्रदान करें .

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