मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

आधुनिक लक्ष्मी बनाम नव्य उदारवाद...

    ओपेक  यु ए  ई  में,उत्तर अमेरिका में,आसियान ई ई सी में अब तू  बसत  है .
    पेंटागन बना  तेरा नया काल भेरों  देवी, पेट्रोलियम  तेरे ह्रदय   में बसत है ..

    वाणिज्यी करण भूमंडलीकरण में,श्रम के लुटेरों कि धाक तू धरत है .
    आतंकी पैदा करें,धरती हलाल करें,तेल के कुओं  का क्यों उन्हें ही वरद है.

     स्विस बैंक खातों में,सत्ता के अहातों में,कार्पोरेट कम्पनी के दिल में बसत  है .
    आतंक में,माफिया में,डकैती-ठगी में देवी,आर्थिक घपलों में  तेरीही बखत है.

    कामनवेल्थ  गेम्स  में,टूजी स्पेक्ट्रम में,आदर्श सोसायटी में तूँ ही तूँ दिखतहै .
   राजा हो राडिया,बैजल हो येदुरप्पा,भ्रष्टन  पर तू मेहरबान  सी  दिखत है

    पूंजीवाद में है नव्य अवतार वाद केपिटल  नाम से बाजार सब  जपत है .
 जहाँ पे हो रिश्वत,चोरी-चकारी देवी,वहां तू न होवे ऐसो  कैसे हो सकत है ..

         श्रीराम तिवारी
     संयोजक जन काव्य भारती
१४-ड़ी,एस -४,स्कीम -७८
 विजयनगर ,इंदौर ,पिन ४५२०१०
 ०७३१-२५७५७७७ ,९४२५४८०७२२

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