पेंटागन बना तेरा नया काल भेरों देवी, पेट्रोलियम तेरे ह्रदय में बसत है ..
वाणिज्यी करण भूमंडलीकरण में,श्रम के लुटेरों कि धाक तू धरत है .
आतंकी पैदा करें,धरती हलाल करें,तेल के कुओं का क्यों उन्हें ही वरद है.
स्विस बैंक खातों में,सत्ता के अहातों में,कार्पोरेट कम्पनी के दिल में बसत है .
आतंक में,माफिया में,डकैती-ठगी में देवी,आर्थिक घपलों में तेरीही बखत है.
कामनवेल्थ गेम्स में,टूजी स्पेक्ट्रम में,आदर्श सोसायटी में तूँ ही तूँ दिखतहै .
राजा हो राडिया,बैजल हो येदुरप्पा,भ्रष्टन पर तू मेहरबान सी दिखत है
पूंजीवाद में है नव्य अवतार वाद केपिटल नाम से बाजार सब जपत है .
जहाँ पे हो रिश्वत,चोरी-चकारी देवी,वहां तू न होवे ऐसो कैसे हो सकत है ..
श्रीराम तिवारी
संयोजक जन काव्य भारती
१४-ड़ी,एस -४,स्कीम -७८
विजयनगर ,इंदौर ,पिन ४५२०१०
०७३१-२५७५७७७ ,९४२५४८०७२२
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