शुक्रवार, 17 मई 2024

मोदीवाद नमो नम :

 इन पंक्तियों के पोस्ट किये जाने से आगामी 25 साल तक यदि मोदीवादी भाजपा का शासन बना रहा तो उस समय कुछ इस तरह की धार्मिक कहानियों का जन्म होगा -

सूत जी बोले - हे मुनियों, मैं आपसे तीनों लोकों में विख्यात श्री नरेन्द्र मोदीजी और उनके कृपा पात्र अमित शाह तथा गुरु गोरखनाथ जी के परम भक्त योगी आदित्यनाथ के प्रवल प्रताप का माहात्म्य फिर से कहता हूँ ध्यान लगाकर सुनो !
एक बार की बात है ! कलियुग में जम्बूद्वीपे आर्यावर्ते भारतवर्ष मे कांग्रेस नामक जर्जर दल के पापाचार से आजाद मुल्क की दुखी जनता में त्राहि त्राहि मच गयी थी........
राजीव गांधी की हत्या के उपरान्त कांग्रेस की विदेशी मूल की विवश अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने भावावेश में एक ऐसे बुजुर्ग अर्थशास्त्री को सत्ता सौप दी,जो अपनी जटाओं को पगड़ी में समेट कर रखते थे! उसके मनमोहिनी स्वरूप ने जनता को ऐसा रिझाया की 2g 3g 4g जैसे घोटाले हो गए और जनता सोती ही रह गयी..!
परन्तु उसी भारत भूमि में अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जैसे संत यह घोर अन्याय देखकर अत्यंत विचलित हो उठे, उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर घोर तपस्या की,...............!
रामदेव ने सलवार पहनकर ऐसी कठोर तपस्या की थी क़ि उनकी एक आँख अधिक चलने लगी! किंतु अन्ना महाराज की तपस्या का फल अरविंद केजरीवाल नामक उनका कपटी शिष्य, मनीष सिसोदिया,किरण वेदी,सत्येंद्र जैन नामक यक्ष_ यक्षिणी ले उड़े! इस कथा को हम बाद में कहेंगे !अभी तो ओम् नमो नरेंद्राय नम : की कथा कहनी है सो सुनो .......................।
सत्ता की अटल आडवानी आराधना और संघ की कठोर तपस्या से कारपोरेट खजांची अडानी अंबानी अत्यधिक प्रसन्न हुए- प्रकट होकर बोले कहो वत्स क्या मांगते हो?
अन्ना महाराज तो लोकपाल ही मागते रहे,किंतु बाबा रामदेव ने कहा कि हे महानतम् धन्नासेठो- इस मनमोहनी यूपैया अत्याचारों से भारतवर्ष की जनता को बचाओ प्रभु!यह तो राजमाता सोनिया के साथ मिलकर भय भूख और भ्र्ष्टाचार को इस पुण्य भूमि को बढ़ाये जा रहा है...............!
मॉडर्न पूंजीवादी भगवानों ने कहा- हे कलियुगी पूंजीवादी संतो-हम तुम्हारे कष्टों का निवारण नही कर सकते,किंतु भारत वर्षे,गुजरात प्रांते,गांधी नगर धामे,चीफ मिनिस्टरम,श्री नरेन्द्र मोदीजी बैठे हुए हैं,वे ही इस कलिकाल में कल्कि अवतार हैं! उनके बारे में फ्रांस देश के नास्ट्रेदमस नामक ज्योतिषी भी लिख गए हैं .........अब वो ही इस जनता का दुःख दर्द दूर करेंगे!
ऐसे आप्त वचन सुनते ही रामदेव और अन्ना महाराज का मन मयूरा नाच उठा !उन दोनों ने भारत की कोटि कोटि जनता में यह शुभ समाचार पुहंचा दिया, जनता ख़ुशी से पागल हो उठी! 70 सालो का अन्धकार जो आँखों में छाया हुआ था ,नरेन्द्र मोदी नामक दिये के प्रकाश से पल में हट गया और चारों ओर हर हर मोदी मोदी घर घर मोदी की महा आरती प्रारंभ!
किंतु शैतान को और आसुरी शक्तियों को यह उजाला रास नही आया सो पहले तो उन्होंने किसान आंदोलन के बहाने लाल किले पर हमला कर दिया,और इससे पहले कि किसान शांत हो पाते,कोरोना नामक महामारी ने पूरी मानवता पर हमला बोल दिया !
चूंकि भाजपा के लिये बंगाल सहित कई राज्यों के चुनाव बहुत जरूरी थे,अत: उसके बड़े नेता- धन बल बुधिबल तथा बाहुबल से चुनाव जीतने में लगे रहे! नतीजे में माया मिली न राम ! बंगाल में अराजक त्रणमूल फिर जीत गई! गनीमत रही कि यूपी के महात्मा योगी आदित्यनाथ ने न केवल लोकसभा,न केवल,विधान सभा में विजय का एकछत्र झंडा गाड़ दिया! योगीजीका भविष्य उज्जवल है, और उनके कारण न केवल यूपी का बल्कि अखंड भारत का और पूरी धरती का भविष्य उज्ज्वल है! उनका महात्म्य *योगी पुराण*में अलग से कहा जाएगा!
दुनिया में जब कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे विश्व को गिरफ्त में ले लिया। जब वैक्सीन,आक्सीजन रेमडेसिवर और दवाओं के बिना जनता हाहाकार कर रही थी, तब श्री नरेंद्र मोदी ने फॉरमेस्टिकल कंपनियों को सोते से जगाया, मेडीकल सेक्टर को चाक चौबंद किया।यदि वे यह नही साधते और बैक्सीन का डबल डोज मुफ्त लगवाने की व्यवस्था नही करते तो भारत आधी आबादी समाप्त हो जाती!
जब रूस यूक्रेन युद्ध के कारण सारी दुनिया का बजट गड़बड़ा गया,तब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी एस जयशंकर ने बड़ी चतुराई से अमरीकी प्रतिबंध के बावजूद लाखों गैलन रूसी क्रूडआयल आयात कर डाला! भारत में पेट्रोलियम उत्पादों का सरप्लस स्टाक तैयार कराया! जब समस्त यूरोप में ईधन गैस और पेट्रोल के लिए हाहाकार मचा,तब भारत ने अपना रिफाइंड स्टाक निर्यात कर भरपूर विदेशी मुद्रा कमाकर भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया!
जब मारीशस,श्रीलंका,बंगलादेश,नैपाल को पेट्रोल की जरुरत पड़ी,तब भारत ने उनकी मदद की !पाकिस्तान ने भारत से दुश्मनी करके कई मौको पर भारत से वाणिज्यिक व्यवसाय ठप्प कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी ! यदि मूर्ख पाकिस्तान आतंकवाद बंद कर देता, भारत से दोस्ती करके चलता तो दोनों पड़ोसी मुल्क यूरोप अमरीका चीन के मुहताज नही होते!
नरेंद्र मोदी के कार्य काल में कितने हाई वे रोड, कितने एक्सप्रेस रोड बने? कितने पुल बने? कितने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट चलाये गये?कितने सिचाई साधन बने? कितने बुजुर्गों के खातों में, कितने किसानों के खातों में,रुपया पहुंचा? कितने गरीबों के मकान बने ?ये आंकड़े आप कभी भी कहीं भी गूगल सर्च इंजन पर देख सकते हैं!
मोदी सरकार के प्रयासों से भारत हर छेत्र में तरक्की करता रहा! तीनों सेनाओं को मजबूती मिली,गरीबोंको सालों मुफ्त खाद्यान्न मिलता रहा, कृषि क्षेत्र में गेहूं,चावल,चाय,सब्जियों का रिकार्ड उत्पादन बढ़ा।खेलों में, शिक्षा में और अंतरिक्ष में भारत काफी आगे बढ़ता रहा !
किंतु भाजपा की प्रांतीय सरकारों में कुछ कमियाँ रहीं,जिसकी बजह से कांग्रेस सहित तमाम थकेले हरल्ले दलों को बीच बीच में चुनावी संजीवनी मिलती रही।दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, कर्नाटक में नरेंद्र मोदी की पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा!
भाजपा में क्या खामियां थीं? वही जो कांग्रेस में ७० सालतक रहीं!वही भ्रष्टाचार,भाई भतीजावाद कमीशनखोरी, रिश्वतखोरी, मेंहगाई, वेरोजगारी और LPG की नव्य पूंजीवाद परस्त नीतियां जो मनमोहनसिंह ने लाग की थी,जिनसे यूपीए के काल में जनता परेशान रही!
किंतु मोदी जी ने आतंकवाद,अलगाव,राष्ट्रवाद जैसे बड़े मुद्दों पर भारत की जनता को जोड़ा! पूरी भाजपा और संघ परिवार नरेंद्र मोदी के साथ जुडे रहे!अत: तमाम विरोधों के बावजूद, केंद्र में भाजपा की सरकार 25 साल तक अनवरत शासन करती रही! भारत ताकतवर होकर महाशक्ति बनता चला गया और जनता पहले से भी ज्यादा खुश हाल होती चली गई!
इति श्री श्रीराम तिवारी विरचित जम्बूद्वीपे, आर्यावर्ते,भारतवर्षे,लोकतंत्रात्मक धर्मनिरपेक्ष गणत्रांत्रिक राष्ट्रे, यशस्वी नरेंद्र दामोदरदास मोदी कालेन भारत कथायाम् अध्याय: समाप्त! ओम् नमो! ओम् भारतवर्षाय नमः, ओम् दिल्लीश्वराय नमः, ओम् नरेंद्राय नम:.. जय श्रीराम नमः,जय हिंद जय महाकालेश्वराय नमः।
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संगठित धर्म आपको भेड़ बनाते हैं,

 आज अगर कोई एक ऐसा शब्द है जिसके मायने अपने मूल अर्थ से एकदम ही उलट गए हों तो वो है - धर्म। इस शब्द का जो अर्थ था, जो भाव था, जो प्रयोजन था,

आज उससे एकदम ही विपरीत है। जैसे कि किसी को 180 डिग्री पर पलटा दें।
क्योंकि आज हमारे लिए धर्म मतलब है संगठित धर्म। जबकि इस "धर्म" का सारे ही संगठित धर्मों से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि ये तो उनसे उतना ही विपरीत है जितने पूरब और पश्चिम। इन संगठित धर्मों में आप सभी को गिन सकते हैं - हिन्दू, इस्लाम, ईसाइयत, इत्यादि और आज के परिपेक्ष्य में तो सनातन भी।
धर्म धारणाओं, पूर्वाग्रहों से मुक्त करता है जबकि संगठित धर्म आपको धारणाओं पर, पूर्वाग्रहों पर, पहले से लिखी सुनी बातों पर, किताबों पर चलना सिखाते हैं चाहे वो अप्रासंगिक और व्यक्ति, समय या क्षेत्र अनुसार हों या ना हों। संगठित धर्म आपको भेड़ बनाते हैं, और धर्म आपको इंसान।
तो धर्म क्या है? धर्म एक भारतीय शब्द है जिसका शब्दार्थ है - धारण करना जो बहुतों को पता भी है।
कहाँ धारण करना? व्यवहार में धारण करना।
क्या धारण करना? जो सही है।
क्या सही है? जो हितकर है।
किसके लिए हितकर है? खुद के लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए, अस्तित्व के अधिक से अधिक हिस्से के लिए।
क्या हितकर है ये कौन बताएगा? ये विवेक बताएगा, चेतना बताएगी, कॉमन सेंस बताएगी।
कैसे बताएगी? एक उदाहरण लीजिए कि सभी देशों के कानून में किसी की जान लेने को गलत माना गया है और इसपर दंड का प्रावधान है। पर ये कानून तो मानव जाति के अस्तित्व में आने के सैकड़ों लाखों सालों के बाद अस्तित्व में आये।
फिर कानून को किसने बताया कि किसी की जान लेना गलत है? क्या किसी किताब ने? चलिए मान लिया कि किसी किताब ने बताया। पर फिर उस किताब को किसने बताया? जिसने वो किताब लिखी। पर फिर जिसने लिखी उसको किसने बताया कि किसी की जान लेना गलत है?
उसको उसके विवेक, उसकी चेतना और उसकी कॉमन सेंस ने बताया कि किसी की जान लेना गलत है। पर क्यों गलत है? क्योंकि किसी की जान लेने को स्वीकार्य करना मतलब पूरी मानव जाति के अस्तित्व को खतरे में डालना। और सब कुछ इस अस्तित्व को बचाने और उसे इवॉल्व करने का ही संघर्ष है।
पर ये कॉमन सेंस क्या है? ये चेतना का वो हिस्सा है जो मानव जाति के लाखों करोड़ों साल की जीवन यात्रा का अनुभव है। उसके किन कर्मों पर उसे ठोकरें मिलीं, दुख मिला, किन कर्मों पर उसे आनंद मिला, सब कुछ उसकी चेतना में निहित है, एकदम संचित निचोड़ जैसा। ये बिल्कुल परफेक्ट कार्य करती है। और यही उसके डीएनए के माध्यम से आने वाली जनरेशन्स में ट्रांसफर होती रहती है।
एक बात बहुत बार आपने सुनी होगी कि यदि 24 घंटे के लिए कानून हटा दिए जाएं तो लोग इतनी नफरत से भरे हुए हैं कि एक दूसरे की जान ले लेंगे। कानून के डर ने ही इन्हें रोका हुआ है। पर ये बिल्कुल गलत और अज्ञानता भरी बात है। कानून तो बाद में आये, इंसान पहले आया। और ऐसा होता तो इंसान पहले ही एक दूसरे को खत्म कर चुका होता। पर ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि इंसान कानून से भी पहले अपनी कॉमन सेंस पर चलता रहा है, सहअस्तित्व के नियमों पर चलता रहा है।
इसी कॉमन सेंस को भारत में पुरातन काल में धर्म बोला जाता था। आपने कई जगह ये विवरण या वाक्य भी सुने होंगें कि ये धर्म है, ये अधर्म है।
मतलब सार यही है कि जो सही है, हितकर है, विवेकानुसार है वो धर्म है और जो गलत है, अहितकर है और विवेकविरुद्ध है वो अधर्म।

मैं ही जीतूंगा

 एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा…

वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.
जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.
पर आगे किस्मत में क्या लिखा है … ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .
कुत्ता तेजी से दौडने लगा.
पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.
और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..
जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..
तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.
तो क्या…!
गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था… ?
और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !
और ये देखकर
निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..
अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो
आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता …
उदाहरण जानवरों की है लेकिन इंसानों के सोचने वाली बात है
तात्पर्य …
१. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो.
२. अपनों को आगे बढने का मौका दो, उन्हें मदद करो.
३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे.
४. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो.
ऐसा नही है कि जो हर काम में आगे रहतें हैं वे मूर्ख होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी जवाबदारी का एहसास हरदम बना रहता है
लडाई हो चुकने पर पहले क्षमा मांग लेतें हैं, वो इसलिये नही, कि वे गलत थे बल्कि उन्हें अपने लोगों की परवाह होती है इसलिये.⭐
जो तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही… बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये⭐
जो खूब फेस बुक ट्विटर व्हाट्स एप पोस्ट भेजते रहतें हैं वो इसलिये नही कि वे निरे फुरसती होतें हैं …
#साभार:-अखंड भारत सनातन संस्कृति
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