बुधवार, 11 जून 2025

'जियत मरत झुकि-झुकि परत'

 "अमिय हलाहल  मद भरे ,श्वेत स्याम रतनार। 

जियत मरत झुकि-झुकि परत,जेहिं चितवत इक बार।।"


रीतिकालीन कवि:- रसलीन 

  

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