अधिकांश धर्मप्राण हिन्दू जन अपने हिन्दू संगठन या हिन्दूवादी नेताओं में अगाध अंध श्रद्धा रखते हैं। ऐंसे अंधश्रद्धालु हिन्दू जन अपने हिंसक और बैर बढ़ाऊ धार्मिक नेताओं को चुनावों के माध्यम से राजनैतिक सत्ता सौंप देते हैं। इस प्रवृत्ति को असंवैधानिक तो नहीं कहा जा सकता ,क्योंकि अरब राष्ट्रों की कटटर मजहबी सरकारें तो इनसे कई गुना साम्प्रदायिक और अलोकतांत्रिक हैं। फिर भी भारतीय धर्मनिरपेक्ष संविधान में निहित लोकतंत्र की अवधारणा अनुसार, भारत की राजनीती में यह जातीय मजहबी आचरण नितांत निंदनीय है। हिंदूवादी नेता यथार्थवाद ,प्रगतिवाद और साइंस के जन्मजात विरोधी होने से देश और समाज को प्रतिगामी राह पर धकेलते जाते हैं। यही वजह है कि चीन और पाकिस्तान से सीमाओं पर चल रही तकरार को सैन्यबल अथवा कूटनीति से निपटाने के बजाय,ये हिंदूवादी साम्प्रदायिक नेता आवाम को सलाह दे रहे हैं कि आध्यत्मिक मन्त्र शक्ति से चीन और पाकिस्तान को भस्म करने का आयोजन करें ! भारत की दिगभ्रमित आवाम को और अल्पसंख्यक समुदाय को समझना होगा कि संघ परिवार से सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि पूरे मुल्क को खतरा है।
अधिकाँस अल्पसंख्यक जन समुदाय और धर्मनिपेक्षतावादी लोग हिन्दुओं की किसी भी प्रकार की एकजुटता ,उनके संगठनों और उनकी प्रतिगामी बातों का तो विरोध करते हैं ,किन्तु वे अल्पसंख्यक संगठनों और उनके मजहबी नेताओं का रंचमात्र प्रतिवाद नहीं करते। वे हिन्दू धर्म को तो आरएसएस की जागीर समझकर उनपर संदेह करते हैं,किन्तु अपने कटटरपंथी मुल्ला मौलवियों से विज्ञान आधारित बहस मुसाहिबा नहीं करते। अधिकांश हिन्दू संत ,महात्मा,महामंडलेश्वर और शंकराचार्य लोग हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई,बौद्ध ,जैन पारसी- सभी धर्मों का आदर करना सिखाते हैं। जबकि देवबंदी अथवा अन्य अल्पसंख्यक उलेमा और उनके अनुयायी केवल इस्लाम का ही अनुशीलन और आदर सिखाते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय की नजरमें खुदके याने अल्पसंख्यकों के जुझारू संगठन तो ठीक हैं,और सिमी जैसे संगठनों की अवैध गतिविधियों भी ठीक हैं,लेकिन मोहन भागवत या नरेंद्र मोदी ठीक नहीं। अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ कटटरपंथी ही नहीं बल्कि अमनपसंद आमजन भी अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर तो खूब हल्ला करते हैं ,लेकिन गोधरा काण्ड,सिम्मी,अलकायदा और आईएसआईएस की हरकतों पर चुप्पी साध लेते हैं। अधिकांश अल्पसंख्यक नरनारी मजहबी तौर पर शोर शराबा और राजनीतिक आक्रामकता का भौंडा प्रदर्शन करते रहते हैं। इस तरह की मानसिकता से हिन्दू कौम भी 'हर हर मोदी' चिल्लाने लगती है। हिन्दू -मुस्लिम कौम के तत्ववादी धड़े यदि आपस में इसी तरह अड़े रहे, तो देश का जो होगा सो होगा किन्तु दोनों कौम की भावी पीढ़ियों का भविष्य भी अच्छा नहीं होगा।
जो लोग वर्तमान मोदी सरकार को चरम हिंदूवादी मान रहे हैं वे जरूरत से ज्यादा वितंडा खड़ा कर रहे हैं। पाकिस्तान और चीन की चालों से मौजूदा सरकार खुद बेहद आक्रान्त है। जो लोग इस सरकार या उसके समर्थकों की डींगों से आहत हैं वे यह ख़याल में लाएं कि जिनके नेतत्व का आलम यह है कि सीमा पर हर रोज आधा दर्जन जवान शहीद हो रहे हों और नेता यज्ञ,अनुष्ठान ,मन्त्र जाप से शत्रु देश को पराजित करने के लिए ज्योतिष विभाग और को स्तर क्या है ?चीन और पाकिस्तान से निपटना है तो 'इतिहास' से सीखो ...
अधिकाँस अल्पसंख्यक जन समुदाय और धर्मनिपेक्षतावादी लोग हिन्दुओं की किसी भी प्रकार की एकजुटता ,उनके संगठनों और उनकी प्रतिगामी बातों का तो विरोध करते हैं ,किन्तु वे अल्पसंख्यक संगठनों और उनके मजहबी नेताओं का रंचमात्र प्रतिवाद नहीं करते। वे हिन्दू धर्म को तो आरएसएस की जागीर समझकर उनपर संदेह करते हैं,किन्तु अपने कटटरपंथी मुल्ला मौलवियों से विज्ञान आधारित बहस मुसाहिबा नहीं करते। अधिकांश हिन्दू संत ,महात्मा,महामंडलेश्वर और शंकराचार्य लोग हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई,बौद्ध ,जैन पारसी- सभी धर्मों का आदर करना सिखाते हैं। जबकि देवबंदी अथवा अन्य अल्पसंख्यक उलेमा और उनके अनुयायी केवल इस्लाम का ही अनुशीलन और आदर सिखाते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय की नजरमें खुदके याने अल्पसंख्यकों के जुझारू संगठन तो ठीक हैं,और सिमी जैसे संगठनों की अवैध गतिविधियों भी ठीक हैं,लेकिन मोहन भागवत या नरेंद्र मोदी ठीक नहीं। अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ कटटरपंथी ही नहीं बल्कि अमनपसंद आमजन भी अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर तो खूब हल्ला करते हैं ,लेकिन गोधरा काण्ड,सिम्मी,अलकायदा और आईएसआईएस की हरकतों पर चुप्पी साध लेते हैं। अधिकांश अल्पसंख्यक नरनारी मजहबी तौर पर शोर शराबा और राजनीतिक आक्रामकता का भौंडा प्रदर्शन करते रहते हैं। इस तरह की मानसिकता से हिन्दू कौम भी 'हर हर मोदी' चिल्लाने लगती है। हिन्दू -मुस्लिम कौम के तत्ववादी धड़े यदि आपस में इसी तरह अड़े रहे, तो देश का जो होगा सो होगा किन्तु दोनों कौम की भावी पीढ़ियों का भविष्य भी अच्छा नहीं होगा।
जो लोग वर्तमान मोदी सरकार को चरम हिंदूवादी मान रहे हैं वे जरूरत से ज्यादा वितंडा खड़ा कर रहे हैं। पाकिस्तान और चीन की चालों से मौजूदा सरकार खुद बेहद आक्रान्त है। जो लोग इस सरकार या उसके समर्थकों की डींगों से आहत हैं वे यह ख़याल में लाएं कि जिनके नेतत्व का आलम यह है कि सीमा पर हर रोज आधा दर्जन जवान शहीद हो रहे हों और नेता यज्ञ,अनुष्ठान ,मन्त्र जाप से शत्रु देश को पराजित करने के लिए ज्योतिष विभाग और को स्तर क्या है ?चीन और पाकिस्तान से निपटना है तो 'इतिहास' से सीखो ...
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