शनिवार, 8 जुलाई 2017

धनलोलुप नवधनाढ्य परिवारों से देश को खतरा है। 


संविधान की मंशानुसार विधिक रूप से भारत 'संघीय गणराज्य' है, अर्थात राज्यों का संघ है। संविधान की मंशानुसार यह धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी-गणतंत्र भी है। किन्तु वर्तमान पूँजीवादी भृष्ट व्यवस्था में न तो धर्मनिरपेक्षता बची है ,न समाजवाद का कोई चिन्ह मौजूद है और न कहीं पर गणतंत्र साबुत बचा है!जो कुछ भी इस देश में चल रहा है,वह सब भेड़िया धसान शासन तंत्र है,जिसकी लाठी उसकी भैंस है। कोई भी पूंजीवादी पार्टी दूध की नहाई नहीं है !जो अपने आपको समाजवादी कहते हैं वे महाभ्रुष्ट लालू यादव परिवार ,मुलायम परिवार, राकांपा परिवार के रूप में कुख्यात हो रहे हैं। जो अति भॄस्ट क्षेत्रीय क्षत्रप हैं वे भी माया परिवार,करूणानिधि परिवार,रेड्डी परिवार,बादल परिवार,मोमता परिवार,राणे परिवार ,वीरभद्र परिवार, हुड्डा परिवार ओवेसी परिवार ,आजम खां परिवार और फारुख अब्दुला परिवार जैसे धूर्त नव धनाढ्य भृष्ट परिवारों में शुमार हो  रहे हैं। दरअसल देश को कांग्रेस से या गाँधी नेहरू परिवार से कोई खतरा नहीं।इस देश को संघ परिवार से भी उतना खतरा नहीं,जितना इन महापातकी गैरजिम्मेदार और धनलोलुप नवधनाढ्य परिवारों से देश को खतरा है। सीबीआई और ईडी को न केवल लालू यादव परिवार पर बल्कि हर उस राजनेतिक परिवार पर छापा डालना चाहिए जो कोई कामधंधा नहीं करता और केवल राजनीति की ताकत से धन बटोरता रहता है।

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