रविवार, 2 जुलाई 2017

मुर्गा नही भी होगा तब भी सुबह होगी

  1. प्रधानमंत्री मोदी जब विदेशी दौरों पर होते हैं,तब सत्ता के दलालों के द्वारा विग्यापनों के रूप में कुछ प्रमुख समाचार पत्रों ,टीवी चैनलों और मीडिया के मालिकों को दलाली भेज दी जातीहै ! मीडिया वाले भी बड़े बफादार हैं,वे देश की सारी समस्याओं को किनारे रखकर यह दिखाना शुरू कर देतेहैं कि देखिए मोदी जी का विदेशों में कितना जलवा है?वे क्या क्या आसमानी तारे तोडकर तोडकर भारत ला रहें हैं !सबको मालामाल किया जा रहा है!
    देश  का कुपढ़ वर्ग जन मानस मीडिया के इस झूठ को कभी नहीं पकड़ पाता,कि विदेशों.में जलवा मोदी का नहीं बल्कि हमारे इस महान भारत देश के प्रधानमंत्री का है! जो पहले भी था और आगे भी रहेगा। मुर्गा नही भी होगा तब भी सुबह अवश्य होगी !

  2. मोदी की जगह यदि आप मायावती ,मुलायम या किसी अन्य को प्रधानमंत्री बनाकर विदेश भेजोगे तो भी इतना ही जलवा उनका भी रहेगा।।स्वाधीनता के पूर्व जब महात्मा गाँधी विदेश जाते थे तो गुलाम भारतके एक बड़े जननायक के तौर पर उनका भी खूब जलवा था। लोग
    धोती से लिपटे और लाठी लेकर चलते एक 40-45 किलो वजन के दुबले पतले आदमी को देखने लाखों लोग उमड़ पड़ते थे। देश आजाद हुआ और पंडित नेहरू पहले प्रधानमंत्री के तौर पर अमेरिका गए, तो तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति न केवल उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट पहुँचे,बल्कि प्लेन के लैंड करते ही नेहरूजी के उतरने के पूर्व ही वे उनकी सीटतक पहुंच गए। उनका जो भव्य स्वागत हुआ ,वो नेहरू का नहीं बल्कि आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का था।
  3. ततकालीन पीएम श्री राजीव गाँधी को बारिश से बचाने अमरीका का राष्ट्रपति छाता पकड़े खड़ा रहा !तब तक खड़ा रहा जब तक राजीव अपनी कार में बैठकर रवाना नहीं हो गए।। वो भी तो एक प्रधानमंत्री का सम्मान था। फर्क इतना है कि उस समय के नेताओं को ब्रान्डिंग की आवश्यकता नहीं होती थी. और तब ये घटिया प्राइवेट न्यूज़ चैनल भी नहीं थे।लेकिन अब भारत के प्रधानमंत्री के विदेश दौरों उसी तरह प्रचारित किये जा रहे हैं जैसे कोई कलाकार अपनी फ़िल्म का प्रमोशन कर रहा हो।।हर दौरे के पहले दो ढ़ाई सौ लोगों की टीम का उस देश पहुँच जाना,स्थानीय उद्योगपति की मदद से वहाँ निवासरत भारतीय समुदाय को डिनर/लंच के नाम पर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में आमंत्रित करना,लोगों से नारे लगवाना,फ़ोटो सेशन और वो सब कुछ जो शाहरुख या सलमान करते हैं,अपनी पिक्चर के लिए। सत्ता से विदेशी दौरों का परिणाम पूँछो तो पीएम भी चुप और पीएमओ भी!

  4. समर्थक तो इसी बात पे फूल के गुब्बारा हुए जा रहें हैं कि आज साहेब अमरीकी व्हाइट हाउस में डिनर करेंगें।।अरे कुबुद्धियो!! अमेरिका तो दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा व्यापारी है !और भारत उसका सबसे बड़ा ग्राहक!!अब कोई बड़ा ग्राहक दुकान पर आएगा तो उसे चाय-नाश्ता कराओगे या नहीं ? यह सब गुणगान करने के लिए मीडियाको तो सरकारी विज्ञापन के खूब पैसे मिलतेहैं। लेकिन सत्ता के अंध भक्तों को क्या मिलेगा ?क्या वही जो आड्वा्नी को मिला ! याने ठनठन गोपाल या बाबाजी का घंटा !
  5. बुन्देलखण्डी में कहावत मशहूर है "बैठा बानियां का करे ,इधर को बांट उधर करे " मतलब किसी व्यापारी की दुकान पर जब बेचने का माल ही न हो तो कोई ग्राहक क्यों आयेगा ?और जब कोई ग्राहक ही न आये तब बेचारा बणिक तराजु के बांट इधर से उधर तो करेगा ही!ठीक इसी तरह जब भारत के वर्तमान56 इंच वाले शासक, देश के युवा - वेरोजगारों को नौकरी नही दे सके ,गरीबों और बुजूर्गं लोगों को इलाज नही दे सके ,किसानों का दर्द नही समझ सके ,विदेश से कालाधन नही ला सके ,मेंहगाई नही रोक सके , काष्मीर में धारा 370 नही लगा सके ,आतंकवाद और भ्रूषटाचार नही रोक सके और चींन पाकिस्तान जैसे पडोसियों से देश की सीमाओं की रक्षा भी नहीं कर सके तो कभी नोटबन्दी ले आये कभी जी एस टी ले आये ! और उस पर तुर्रा यह कि विदेशी दौरे करते हुए केवल ताश के पत्ते फेंट रहे हैं !ये शायद भारत की जनता की गहरी नींद का असर भी है !इसीलिये अब सत्ता धारी नेता जनता को मूर्ख बनाने में सफल हो रहे हैं !

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