निरंतर तदर्थवादी थेगड़े लगाऊ पूँजीवादी आर्थिक नीतियों के कारण ,सस्ते चुनावी हथकंडों के कारण ,जातीय आरक्षण की वैमन्सयता के कारण और पड़ोसी देश -चीन पाकिस्तान की चालों से भारत असुरक्षित हो चला है। भृष्ट राजनीति और अनैतिक व्यापार से भारत का अंदरूनी लोकाचार भी पतित को चुका है। विकास केवल भाषणों और नारों में ही है। असल में तो आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक चेहरा बदरंग हो गया है ।केंद्र की उपेक्षा के चलते अधिकांस राज्य सरकारें कंगाली की कगार पर हैं ! नोटबंदी ,१००% एफडीआई और वस्तु एवं सेवा कर में २८ % बृद्धि से सरकार को भी कोई उम्मीद नहीं, तभी तो पीएम महोदय, दुनिया भर में आर्थिक 'उधारी' के लिए,हथियारों के लिए और आतंकवाद के खिलाफ विश्व बिरादरी के समर्थन के लिए रत दिन भटक रहे हैं !
संत कबीर ने सात सौ साल पहले कहा था :-कस्तूरी कुंडल बसे ,मृग ढूंडे वन माहिँ ! ऐंसे घट घट राम हैं ,दुनिया देखे नाहिं !! कबीर की इस साखी अथवा दोहे का मतलब शायद ही मोदीजी को मालूम हो! क्योंकि यदि उन्हें इस दोहे का मतलब मालूम होता तो वे देश की समस्याओं का हल देश में ही ढूंडते ! इस तरह खर्चीली और उबाऊ विदेशी यात्राओं को तोबा करते। यदि इसमें कुछ भी सफलता मिलती तो सैकड़ों बार भूमंडल की निरर्थक परिक्रमा क्यों करते?उनके आर्थिक सिपहसालारों को और 'वजीर-ऐ-खजाना' जेटली जी को भी शायद यह नहीं मालूम कि संत 'कबीर' साहब क्या संदेश दे गए हैं ?काश वे जानते होते !
भृष्टाचार के खिलाफ यदि मोदी जी बाकई गंभीर हैं,तो उन्हें एक महत कार्य करना चाहिए। केवल लालू यादव या अखिलेश -मुलायम परिवार ही नहीं बल्कि विगत ७० साल में जो लोग ,राज्यों या केंद्र की सत्ता में रहे हैं -उन सबके आर्थिक सर्वेक्षण किये जाएँ। जो जो संदेहास्पद हो उन सबके यहाँ वेशक छापे डाले जाएँ !अधिकांश पटवारी,रेवेन्यू अफसर, तहसीलदार,वकील, डाक्टर, मंत्री , अफसर ,कलैक्टर, एसपी,आईजी ,कमिश्नर, सेक्रेटरी,राजदूत, सरकारी बिभागों के आला अफसरों ,इत्यादि के निजी और पारिवारिक समपत्ति के आंकड़े देखे जाएँ! पता चल जाएगा कि हर शाख पै उल्लू बैठा है या नहीं !और आजादी का मजा कौन लूट रहा है? खास तौर से पुलिस विभाग, आरटीओ विभाग ,एक्ससाइज,पीडब्ल्यूडी,इनकम टेक्स बिभाग ,सेल टेक्स और अन्य कमाऊ विभागों के वर्तमान एवं रिटायर अफसरों की सम्पत्ति का मीजान भी किया जाये! ८०% भॄस्ट निकलेंगे ! इन सबकी सम्पत्ति का एक खास हिस्सा राजसात किया जाए ! वैसे भी उदारीकरण की नीतियों ने भारत को उधारीलाल बना दिया है !विदेशों से भीख मांगने के बजाय देशी चोटटों के खीसे में हाथ क्यों न डाला जाए !स्विस बैंकों का पैसा ,माल्याओं का पैसा ,दाऊद का अकूत पैसा ,अम्बानी -अडानी का पैसा ,पैसा ही पैसा ,फिर काहे को गरीब किसानों को आत्महत्या पर मजबूर कर रहे हो साहिब जी ?
भारत एक ऐंसा अमीर देश है जिसमें आर्थिक असमानता प्रचंड है। पूंजीपतियों और धर्म मजहब के ठेकदारों पास बहुत रुपया है। सब कुछ जिसका उधारी के बिना काम नहीं चलता। मोदी जी के पास इतना प्रचंड बहुमत है कि वे देशहित में सम्पत्ति हस्तनांतरण का क़ानून बना सकते हैं !सभी धनाढ्यों,बड़े जमींदारों पास बैंकों पास डूबत खातों का जो अकूत पैसा सड़ रहा है। इसी तरह केरल के स्वामी पद्मनाभ मंदिर में ,तिरुपति बालाजी ,शिरडी साईँ और तमाम बकफबोर्ड इत्यादि जैसे धर्मादा संसथानों में और देश भर के अनेक धर्म स्थलों,मंदिरों,मस्जिदों,गुरुद्वारों,गिरजाघरों और मठों में अकूत धन भरा पड़ा है। यदि इनसे राजसात में कोई अड़चन है, तो बिना ब्याज के रकम तो उधार मांगी ही जा सकती है। उपरोक्त स्त्रोत और संसाधनों से इतना धन जुट सकता है कि भारत को अमेरिका , इजरायल,जापान,जर्मनी या किसी अन्य देश से उधार नहीं मांगना पड़ेगा ! वामपंथ को भी इस संदर्भ में उचित मांग उठाकर जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए।
उपसंहार :-
संत कबीर ने सात सौ साल पहले कहा था :-कस्तूरी कुंडल बसे ,मृग ढूंडे वन माहिँ ! ऐंसे घट घट राम हैं ,दुनिया देखे नाहिं !! कबीर की इस साखी अथवा दोहे का मतलब शायद ही मोदीजी को मालूम हो! क्योंकि यदि उन्हें इस दोहे का मतलब मालूम होता तो वे देश की समस्याओं का हल देश में ही ढूंडते ! इस तरह खर्चीली और उबाऊ विदेशी यात्राओं को तोबा करते। यदि इसमें कुछ भी सफलता मिलती तो सैकड़ों बार भूमंडल की निरर्थक परिक्रमा क्यों करते?उनके आर्थिक सिपहसालारों को और 'वजीर-ऐ-खजाना' जेटली जी को भी शायद यह नहीं मालूम कि संत 'कबीर' साहब क्या संदेश दे गए हैं ?काश वे जानते होते !
भृष्टाचार के खिलाफ यदि मोदी जी बाकई गंभीर हैं,तो उन्हें एक महत कार्य करना चाहिए। केवल लालू यादव या अखिलेश -मुलायम परिवार ही नहीं बल्कि विगत ७० साल में जो लोग ,राज्यों या केंद्र की सत्ता में रहे हैं -उन सबके आर्थिक सर्वेक्षण किये जाएँ। जो जो संदेहास्पद हो उन सबके यहाँ वेशक छापे डाले जाएँ !अधिकांश पटवारी,रेवेन्यू अफसर, तहसीलदार,वकील, डाक्टर, मंत्री , अफसर ,कलैक्टर, एसपी,आईजी ,कमिश्नर, सेक्रेटरी,राजदूत, सरकारी बिभागों के आला अफसरों ,इत्यादि के निजी और पारिवारिक समपत्ति के आंकड़े देखे जाएँ! पता चल जाएगा कि हर शाख पै उल्लू बैठा है या नहीं !और आजादी का मजा कौन लूट रहा है? खास तौर से पुलिस विभाग, आरटीओ विभाग ,एक्ससाइज,पीडब्ल्यूडी,इनकम टेक्स बिभाग ,सेल टेक्स और अन्य कमाऊ विभागों के वर्तमान एवं रिटायर अफसरों की सम्पत्ति का मीजान भी किया जाये! ८०% भॄस्ट निकलेंगे ! इन सबकी सम्पत्ति का एक खास हिस्सा राजसात किया जाए ! वैसे भी उदारीकरण की नीतियों ने भारत को उधारीलाल बना दिया है !विदेशों से भीख मांगने के बजाय देशी चोटटों के खीसे में हाथ क्यों न डाला जाए !स्विस बैंकों का पैसा ,माल्याओं का पैसा ,दाऊद का अकूत पैसा ,अम्बानी -अडानी का पैसा ,पैसा ही पैसा ,फिर काहे को गरीब किसानों को आत्महत्या पर मजबूर कर रहे हो साहिब जी ?
भारत एक ऐंसा अमीर देश है जिसमें आर्थिक असमानता प्रचंड है। पूंजीपतियों और धर्म मजहब के ठेकदारों पास बहुत रुपया है। सब कुछ जिसका उधारी के बिना काम नहीं चलता। मोदी जी के पास इतना प्रचंड बहुमत है कि वे देशहित में सम्पत्ति हस्तनांतरण का क़ानून बना सकते हैं !सभी धनाढ्यों,बड़े जमींदारों पास बैंकों पास डूबत खातों का जो अकूत पैसा सड़ रहा है। इसी तरह केरल के स्वामी पद्मनाभ मंदिर में ,तिरुपति बालाजी ,शिरडी साईँ और तमाम बकफबोर्ड इत्यादि जैसे धर्मादा संसथानों में और देश भर के अनेक धर्म स्थलों,मंदिरों,मस्जिदों,गुरुद्वारों,गिरजाघरों और मठों में अकूत धन भरा पड़ा है। यदि इनसे राजसात में कोई अड़चन है, तो बिना ब्याज के रकम तो उधार मांगी ही जा सकती है। उपरोक्त स्त्रोत और संसाधनों से इतना धन जुट सकता है कि भारत को अमेरिका , इजरायल,जापान,जर्मनी या किसी अन्य देश से उधार नहीं मांगना पड़ेगा ! वामपंथ को भी इस संदर्भ में उचित मांग उठाकर जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए।
उपसंहार :-
हालांकि भारतीय वामपंथ अब हाराकिरी याने आत्महत्या की ओर अग्रसर है !तभी तो मोदी सरकार की निरर्थक विदेश यात्राओं पर चुप है। मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों की मुखाल्फत करने के बजाय,पूँजीवादी शोशण के खिलाफ लडने के बजाय ,भारतीय वामपंथ कभी लालू जैसे महाचोर के पक्ष में खड़े हो जाते हैं ,कभी बुरहान बानी जैसे आतंकी की मौत पर सवाल खडा करते हैं, कभी जे एन यु के फच्छर में फंसते हैं। कभी धर्मनिर्पक्षता के बहाने बहुसंख्यक हिन्दू कौम का ही उपहास करते रहते हैं !वे आतंकवाद के सवाल पर, पाकिस्तान और चीन की घटिया हरकतों के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं ! वे कभी गौ हत्या बनाम् बीफकांड को लेकर फटे में टांग अडा देते हैं !शायद इसीलिये आधुनिक भारतीय युवा और छात्र मार्क्सवाद जैसे बेहतरींन वैज्ञानिक दर्शन को समझने के लिये बिलकुल तैयार नही हैं !सौ में से ९९ युवा आज मोदी मोदी कर् रहे हैं ! जिसे यकीन न हो वो एमपी,राजस्थान,महाराष्ट्र ,यूपी और उड़ीसा ,बंगाल में में खुद जाकर जनमत संग्रह कर ले !
:-श्रीराम तिवारी !
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