२२-२३ मार्च को जब सारा संसार 'आईएसआईएस' के ब्रिटश माड्यूल्स द्वारा लंदन पर जघन्य और हिंसक हमले के खिलाफ लामबन्द हो रहा था ,एक स्वर से इस दरिंदगी की भर्त्सना कर रहा था ,तब भारतीय मीडिया शुतरमुर्ग की भूमिकामें फोकट की जुगाली कर रहाथा। भारतीय मीडिया के विमर्श के केंद्र में या तो यूपी का 'योगीराज' था या नवजोतसिंह सिद्धू और शिवसेना के कुख्यात सांसद गायकवाड़की जिद के चर्चे थे। भारतका प्रगतिशीलऔर बुद्धिजीवी वर्ग हो या राजनैतिक विपक्ष हो, इस दौर में दोनोंको मोदीजी एवम योगीजी का राजयोग सता रहा है।
किसी इरफ़ान हबीब ने, किसी रोमिला थापर ने, किसी ओबेसी ने, किसी आजमखान ने ,किसी तीस्ता शीतलबाड़ ने, किसी लोहियावादी ने और किसी वामपंथी बुद्धिजीवी ने लंन्दन पर हुए नृसंश हमले की शाब्दिक निंदा भी नहीं की।कायदे से हरेक सच्चे मुसलमान का भी यह फर्ज था कि वह लंदन के इस हत्याकांड की निंदा करता, चूँकि अभी कुछ महीनों पहले ही लंदन की बहुमत ब्रिटिश जनताने एक अल्पसंख्यक मुसलमान को मेयर चुना है।और यह दुनिया जानती है कि 'आईएसआईएस' के कट्टरवादी इस्लामिक आतंकवाद से तमाम सभ्यताओं और कोमों को खतरा है। भारत के बहुसंख्यक हिन्दू भी इन घटनाओं से खासे प्रभावित हैं। चूँकि मोदीजी ,योगीजी और संघ परिवार वाले तथा भाजपा के अन्य नेता इस मुद्दे पर अंदर-अंदर हवा देते रहते हैं और उधर कांग्रेस,कम्युनिस्ट या अन्य धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय-क्षेत्रीय दल -केवल मोदी-मोदी या नोटबंदी ही जपे जारहे हैं। यही कारणहै कि यूपीके इस चुनाव में जितनी उम्मीद खुद मोदीजी या भाजापा को नहीं थी उससे अधिक सफलता उन्हें मिली है।
दुनिया जानती है कि कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से सर्वाधिक खतरा किसे है ? अभी अभी पाकिस्तान दिवस पर भारत के कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे फहराये गए। उधर सीमा पार आतंकियों ने लाहौर कराची में भारत को खूब गालियां दीं।विपक्ष के हरल्ले जमानतखोर नेताओं को समझना चाहिए कि इन भारत विरोधी निरंतर घटनाओं की वजह से ही उत्तरभारत की हिंदी भाषी जनता का देशप्रेम और राष्ट्र्वाद हिलोरें ले रहा है। और उसी कट्टरपंथी आतंकवाद को जबाब देने के लिए यूपी की जनता ने भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दिया है। उसी इस्लामिक आतंक का प्रतिसाद पाकर मोदी जी और योगीजी गदगदायमान हो रहे हैं। मोदीजी ने तो फिर भी लन्दन के आतंकवादी हमले की निंदा तुरन्त करदी! किन्तु सपा ,वसपा और कांग्रेस जैसे हरल्ले दलों तथा विचारशील व्यक्तियों को कुछ सूझ ही नही रहा है। वे तो केवल मोदी सिंड्रोम अथवा फास्जिम फोबिया में तल्लीन हैं।
वेशक इस्लामिक आतंकवाद से दुनिया की तमाम सभ्यताओं और कोमों को गंभीर खतरा है। लेकिन भारत के गरीब हिंदुओं को सबसे ज्यादा खतरा है। चूँकि दुनिया के अमीर लोग हमेशा दर्जनों हथियारबन्द रक्षकों से घिरे होते हैं, इसलिए उन्हें किसी से कोई खतरा नहीं।युद्ध की वस्था में या आतंकवादी भीषण नर संहार में दोनों ओर से जो सर्वाधिक नर -नारी मारे जाते हैं वे अधिकांस असुरक्षित सर्वहारा या निम्न मध्यम वर्ग के ही हुआ करते हैं।
इसके अलावा इस्लामिक आतंकवाद से खुद इस्लाम को ही सबसे अधिक खतरा है ! लेकिन इसका तातपर्य यह नहीं कि कट्टरपंथ से लड़नेके बजाय 'इस्लाम' को कोसा जाए ! जो लोग इस्लामिक आतंकवाद को धरतीका सबसे बड़ा खतरा मानते हैं वे सही हैं। लेकिन जो लोग सिर्फ इस्लामिक आतंकवाद को ही खतरा मानते हैं वे गलत हैं। दरसल इस्लाम का सारतत्व उतना ही मानवीय और अमनपसन्द है ,जितना कि भारत का सनातन धर्म या दुनिया का कोई और धर्म-मजहब ! वेशक हरेक धर्म मजहब की कट्टरता पर अंकुश होना चाहिए। चूँकि भारत मेंअसली लोकतंत्र है इसलिए यहाँ किसी भी कट्टरता को वोट के द्वारा खत्म किया जा सकता है। किन्तु इस्लामिक वर्ल्ड में हर जगह न केवल आपसी मारामारी है, अपितु वे लंदन ,पेरिस ,मुम्बई कहीं भी मरने -मारने को आतुर रहते हैं !इसलिए भारत के हिंदुओं -मुसलमानों को असली खतरे को ठीक से समझना होगा। शायद यूपी की जनता ने इस बार ठीक से समझ लिया है। योगी जी और मोदीजी की किसी कार्यशैली या नीति के खिलाफ लिखना बोलना तो जैसे अब जनता के खिलाफ बोलना हो चूका है। इसीलिये इस दौर में मोदीजी या हिंदुत्व के खिलाफ जो जितना ज्यादा बोल रहा है उसे उतने ही कम वोट मिल रहे हैं। श्रीराम तिवारी
किसी इरफ़ान हबीब ने, किसी रोमिला थापर ने, किसी ओबेसी ने, किसी आजमखान ने ,किसी तीस्ता शीतलबाड़ ने, किसी लोहियावादी ने और किसी वामपंथी बुद्धिजीवी ने लंन्दन पर हुए नृसंश हमले की शाब्दिक निंदा भी नहीं की।कायदे से हरेक सच्चे मुसलमान का भी यह फर्ज था कि वह लंदन के इस हत्याकांड की निंदा करता, चूँकि अभी कुछ महीनों पहले ही लंदन की बहुमत ब्रिटिश जनताने एक अल्पसंख्यक मुसलमान को मेयर चुना है।और यह दुनिया जानती है कि 'आईएसआईएस' के कट्टरवादी इस्लामिक आतंकवाद से तमाम सभ्यताओं और कोमों को खतरा है। भारत के बहुसंख्यक हिन्दू भी इन घटनाओं से खासे प्रभावित हैं। चूँकि मोदीजी ,योगीजी और संघ परिवार वाले तथा भाजपा के अन्य नेता इस मुद्दे पर अंदर-अंदर हवा देते रहते हैं और उधर कांग्रेस,कम्युनिस्ट या अन्य धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय-क्षेत्रीय दल -केवल मोदी-मोदी या नोटबंदी ही जपे जारहे हैं। यही कारणहै कि यूपीके इस चुनाव में जितनी उम्मीद खुद मोदीजी या भाजापा को नहीं थी उससे अधिक सफलता उन्हें मिली है।
दुनिया जानती है कि कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से सर्वाधिक खतरा किसे है ? अभी अभी पाकिस्तान दिवस पर भारत के कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे फहराये गए। उधर सीमा पार आतंकियों ने लाहौर कराची में भारत को खूब गालियां दीं।विपक्ष के हरल्ले जमानतखोर नेताओं को समझना चाहिए कि इन भारत विरोधी निरंतर घटनाओं की वजह से ही उत्तरभारत की हिंदी भाषी जनता का देशप्रेम और राष्ट्र्वाद हिलोरें ले रहा है। और उसी कट्टरपंथी आतंकवाद को जबाब देने के लिए यूपी की जनता ने भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दिया है। उसी इस्लामिक आतंक का प्रतिसाद पाकर मोदी जी और योगीजी गदगदायमान हो रहे हैं। मोदीजी ने तो फिर भी लन्दन के आतंकवादी हमले की निंदा तुरन्त करदी! किन्तु सपा ,वसपा और कांग्रेस जैसे हरल्ले दलों तथा विचारशील व्यक्तियों को कुछ सूझ ही नही रहा है। वे तो केवल मोदी सिंड्रोम अथवा फास्जिम फोबिया में तल्लीन हैं।
वेशक इस्लामिक आतंकवाद से दुनिया की तमाम सभ्यताओं और कोमों को गंभीर खतरा है। लेकिन भारत के गरीब हिंदुओं को सबसे ज्यादा खतरा है। चूँकि दुनिया के अमीर लोग हमेशा दर्जनों हथियारबन्द रक्षकों से घिरे होते हैं, इसलिए उन्हें किसी से कोई खतरा नहीं।युद्ध की वस्था में या आतंकवादी भीषण नर संहार में दोनों ओर से जो सर्वाधिक नर -नारी मारे जाते हैं वे अधिकांस असुरक्षित सर्वहारा या निम्न मध्यम वर्ग के ही हुआ करते हैं।
इसके अलावा इस्लामिक आतंकवाद से खुद इस्लाम को ही सबसे अधिक खतरा है ! लेकिन इसका तातपर्य यह नहीं कि कट्टरपंथ से लड़नेके बजाय 'इस्लाम' को कोसा जाए ! जो लोग इस्लामिक आतंकवाद को धरतीका सबसे बड़ा खतरा मानते हैं वे सही हैं। लेकिन जो लोग सिर्फ इस्लामिक आतंकवाद को ही खतरा मानते हैं वे गलत हैं। दरसल इस्लाम का सारतत्व उतना ही मानवीय और अमनपसन्द है ,जितना कि भारत का सनातन धर्म या दुनिया का कोई और धर्म-मजहब ! वेशक हरेक धर्म मजहब की कट्टरता पर अंकुश होना चाहिए। चूँकि भारत मेंअसली लोकतंत्र है इसलिए यहाँ किसी भी कट्टरता को वोट के द्वारा खत्म किया जा सकता है। किन्तु इस्लामिक वर्ल्ड में हर जगह न केवल आपसी मारामारी है, अपितु वे लंदन ,पेरिस ,मुम्बई कहीं भी मरने -मारने को आतुर रहते हैं !इसलिए भारत के हिंदुओं -मुसलमानों को असली खतरे को ठीक से समझना होगा। शायद यूपी की जनता ने इस बार ठीक से समझ लिया है। योगी जी और मोदीजी की किसी कार्यशैली या नीति के खिलाफ लिखना बोलना तो जैसे अब जनता के खिलाफ बोलना हो चूका है। इसीलिये इस दौर में मोदीजी या हिंदुत्व के खिलाफ जो जितना ज्यादा बोल रहा है उसे उतने ही कम वोट मिल रहे हैं। श्रीराम तिवारी
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