पद पी .एम् .संजीविनी,केवल एक अनार .
इक दर्जन बीमार हैं , कैसे हो उपचार ..
सत्ता मृग मारीचिका , जनादेश अनुमान .
कनबतियां ख़बरें बनी ,ख़बरें बनी उड़ान ..
नित नई कठिन चुनौतियां ,मुल्क हुआ हैरान .
महंगाई -आतंक तो , और चढ़े परवान ..
पुलिस -दमन -शोषण-घुटन,घृणित तंत्र नाकाम .
मूल्यहीनता चरम पर , भ्रमित हुई आवाम ..
सत्ता की शीला हुई ,जातिवाद का जाम .
धर्मनिपेक्षता की नर्तकी , मुन्नी हुई बदनाम।।
आडवानी- मोदी खड़े , खड़े मुलायम वीर .
दस -जनपथ की ललक में ,हुए नितीश अधीर ..
नहिं विचार नहिं नीति कोई ,नहीं विकाश के काम .
मनमोहन की ऊँघ से ,राहुल भये बदनाम ...
श्रीराम तिवारी
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