गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

बजट के दोहे !

  
   खाद-बीज का    क्या हुआ,   कहाँ  गरीब किसान .

     कोरा बजट चिदम्बरम ,    कैसे हो    कल्याण ..


   सस्ता श्रम जो लूटते , ठेकेदार तमाम .

    उन पर ना बंदिश कोई,  क्या खास क्या आम ..



   महंगाई  की मार है, रुके विकाश के काम .

   राजकोष   खाली पड़ा, वित्त श्रोत सब जाम ..


 विश्व बेंक की नीतियाँ ,एमएनसी के काम .

वित्त मंत्री कर चले,केवल   उनके  काम ..



   पूंजीवादी तंत्र में    , कितना ही करो सुधार .

नीति-नियत बदले बिना ,होगा ना उद्धार ..


  श्रीराम तिवारी





    

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

शहीद चंद्रशेखर आजाद अमर रहें !

       
       पुरवा   गाती   रहे  , पछुआ  गुन - गुन  करे ,

       मानसून  की सदा मेहेरवानी  हो .


       सावन सूना न हो ,भादों रीता न हो,

       नाचे वन -वन में मोर,मीठी वाणी हो ..


        यमुना कल-कल-करे,गंगा निर्मल बहे,

         कभी रीते न रेवा का पानी हो .


         दायें कच्छ का रन ,बाएं अरुणांचल ,

        ह्रदय गोदावरी-कृष्णा कावेरी हो ..


       माँ  की तस्वीर हो,माथे कश्मीर हो,

      धोये चरणों को सागर का पानी हो .


       उपवन खिलते रहें ,वन महकते रहें,

       खेतों -खलिहानों में हरियाली हो ..


      बीतें पतझड़ के दौर ,झूमे आमों में बौर,

      कुंके कुंजन में कोयलिया  कारी  हो .


      फलें -फूलें दिगंत,गाता आये वसंत,

      हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो ..


   महिमा उनकी रहे,रन में बलि-बलि गए,

  कर गए  यों न्यौछावर जवानी हो .


 हिल -मिल करना जतन ,कभी उजड़े न ये चमन,

अमर रहे चंद्रशेखर की शहादत निशानी हो ..


     श्रीराम तिवारी  


गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

जय- जय -जय -जनतंत्र की ...!

         

       एकल विफल सब बड़े दल , नहिं  सत्ता में ठौर .

      ध्रुवीकरण ध्रुव सत्य है, गठबंधन का दौर ..



      राजनीति  पर अर्थ के ,रहे गिद्ध  मंडराय  .

    धर्म -काम या मोक्ष को,साधन लिया बनाय ..



       प्रजातंत्र में कथन है , जनता है सिरमौर .

       अवसरवादी खा  गए ,मेहनतकश का कौर ..

   
          राजनीति अब हिन्द की , पुन : गई गर्माय .

         अगले आम चुनाव की ,  चिंता रही  सताय  ..


        कोई बड़ा न देश से , व्यक्ति -धरम-समाज .

        सच्चा नेता है  वही , करे  दीन  के काज ..


        वंशवाद बैरी  बुरा ,    ज्यों   सामंती    क्रूर

        व्यक्तिपूजा   जो करे   ,  वो प्रजातंत्र से दूर ..



    प्रजातंत्र को चाहिए ,जनता की   जयकार .

    जाति -धरम -भाषा  निरत ,समता की दरकार ..


    जनता का हित करे ना ,अपना स्वार्थ  सधाय .

     जिनके ह्रदय कपट छल ,  वो मंत्री पद पाय ..


      जय -जय- जय -जनतंत्र की, जय गणतंत्र महान .

     भारत-भारती का करो,मिलकर मंगल गान ...


                      श्रीराम तिवारी


        

   

बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

ज्यों नदी बिन नीर...[दोहे]....!

            
         जनाक्रोश की तपिश  से,  सत्ता हुई हलकान .

        अगले आम चुनाव की , भनक  सुनी है कान ..



     ज्यों  चन्दा बिन चांदनी,और नदी बिन नीर .

      तेसई  शासक नीति बिन,ज्यों दूध बिन खीर ..



  दूरंदेशी  राष्ट्र - हितु  , जन- गण  का कल्याण .

  राहुल जी आगे बढ़ो,   चमचे     करे    बखान ..


      अफजल गुरु फांसी हुई, शिंदे हो गए शेर .

      हिन्दू मत-ध्रुवीकरण, भये विपक्षी ढेर ..


    टस  से मस  न नीतियाँ ,ज्यों अंगद का पाँव .

    मन मोहन जी दे रहे,निर्धन जन को घाव ..


हिचकोले खाने लगी, यूपीए की नाव .

  राहुल गाँधी के सभी,निष्फल होते   दांव ..


  अनगढ़ बजट चिदंबरम ,लोक लुभावन रूप .

  पूँजी के बाज़ार में,कहीं छाँव कहीं  धूप ..


   कांग्रेस की नीतियाँ , अर्थतंत्र      अनुदार .

   चितवत चकित चुनाव की,महिमा अपरम्पार ..


     विश्व बैंक आका हुआ ,  कार्पोरेट  को छूट .

    श्रम शोषण की छूट है, लूट सको तो लूट ..


   लोक लुभावन बजट से, मिले चुनावी जीत .

    लोकतंत्र में अभी तक , चली आई यह रीत ...


    जन-गण - मन की  सोच में ,  ना  होगा  बदलाव .

     भारत -जन को तब तलक   ,सहने होंगे घाव ..


        श्रीराम तिवारी ....!

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

भारत के वर्किंग क्लास की दो दिवसीय आम हड़ताल के निहितार्थ ....!

भारत  के केन्द्रीय श्रम संगठनों  की  व्यापक एकता का मंजर  बीस -इक्कीस फरवरी-2 013  को सारी दुनिया देखेगी . देश के ग्यारह  केन्द्रीय श्रम संगठनों  के नेत्रत्व में  , सभी स्वतंत्र फेडरेशन ,राज्य सरकार के कर्मचारी  ,बैंक,बीमा, बी एस   एल एन एल  के कर्मचारी तमाम सार्वजानिक उपकर्मों के मजदूर-कर्मचारी, ,गुडगाँव से लेकर मानेसर तक ,कश्मीर से कन्याकुमारी तक,त्रिपुरा से लेकर कच्छ के रन तक -  विराट एतिहासिक राष्ट्र व्यापी 'आम हड़ताल' का शंखनाद  आज  मध्यरात्रि से करने जा रहे हैं . 
                                                  
                                               प्रमुखत : सीटू ,एटुक ,इंटक और भारतीय मजदूर संघ इस महासंघर्ष के सूत्रधार है।भारतीय ट्रेड यूनियन आन्दोलन के इतिहास में यह पहला अवसर है कि  देश की सभी विचारधारा की  यूनियनो  ने  केंद्र और राज्यसरकारों की 'मजदूर विरोधी ' नीतियों और आम जनता के सवालों को लेकर   व्यापक  एकता कायम  कर विगत  कई महीनो से शांतिपूर्ण प्रदर्शन,हस्ताक्षर  अभियान चला रखे थे.  संयुक धरना,भूंख हड़ताल तथा रेलियाँ की हैं . लेकिन  केंद्र की यूपीए सरकार और विभिन्न राज्यों की अधिकांस सरकारों ने देश की आवाम को  न तो महंगाई ,वेकारी,छटनी से निजात   दिलाई  और न ही उन्हें चिकित्सा सुविधा,पेन्सन,सार्वजनिक वितरण व्यवस्था  के माध्यमों में शामिल किया उलटे जन-कल्याणकारी योजनाओं को जान बूझकर ध्वस्त किया और विश्व बैंक के अजेंडे को आगे  बढाने में घातक परिणामों के लिए सक्रिय भूमिका अदा की. हद तो तब हो  गई जब कांग्रेस समर्थित यूनियन -इंटक के राष्ट्रीय महासचिव श्री  संजीव रेड्डी जी ने अपनी ही यूपीए  सरकार को इस बाबत आगाह किया की यदि उनके  सुझाओं  को अमल में लाने की कोशिश की जाए तो देश की मेहनतकश जनता को कुछ राहत मिल जायेगी  तो प्रधानमंत्री जी और यूपीए चेयर पर्सन श्रीमती सोनिया गाँधी  ने  उनके सुझावों को रद्दी की टोकरी में  फेंक दिया . इसी तरह विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा और  एन डी  ऐ की सरकारों से जब  उन्ही की विचारधारा वाले 'भारतीय मजदूर संघ' ने श्रम  कानून के पालन की बात ,मंहगाई कम करने हेतु टैक्स कम करने की बात,अस्थाई मजदूरों को स्थाई करने की बात की तो उन्हें अपमानित किया गया, उनकी खिल्ली  उड़ाई गई 'कहा गया क्या 'वामपंथियों की भाषा  बोल रहे हो?
                           बात सही भी है  कि विगत कई  सालों से केवल सीटू  और एटक तथा अन्य वामपंथ समर्थक  श्रम संघ ही   इन मुद्दों को लेकर संघर्ष करते आ रहे थे.  जब सार्वजनिक उप्केमों पर हमले हुए तो वे इनके साथ आ गये.  जब मनमोहन सिंह जी के नेत्रत्व में यूपीए प्रथम के दौरान ये प्रतिगामी नीतियाँ लागू करने या महंगाई  बढाने की कोशिश की जाती थी तो उस समय 'वामपंथ' का बाहरी समर्थन वीटो का काम करता था और मनमोहन सरकार को वो सब नहीं करने दिया गया जो वे इस यूपीए द्वतीय के दौरान करते चले जा रहे है। सरकारी संपदा को निजी हाथों में बेचने के लिए अटल जी के                                            नेत्रत्व में एनडीए सरकार जितनी गुनाहगार थी   उससे ज्यादा गुनाहगार ये यूपीए द्वतीय की मनमोहनी सरकार है   जिसने अमीरों को तो  अरबो-खरबों डालर  की छूटें दीं हैं और गरीब को राशन की दूकान से खाद्यान   देने में बेईमानी की है. यहाँ तक की  माननीय  सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी सम्मान नहीं किया   जिसमे कहा गया था की अति दरिद्रों को वो अनाज  मुफ्त  में बाँट दिया जाए जो खुले आसमान  के नीचे बारिस में   खराब होने को  है.  पेट्रोल डीजल केरोसिन की तो बात छोडो रसोई गेस पर भी  सब्सिडी को  राजकोषीय घाटे का मुख्य कारण साबित करने में जुटे है। केंद्र राज्यों के कर्मचारियों /अधिकारीयों के संचित पेन्सन कोष को शेयर बाज़ार का हिस्सा बनाने ,अधिकांस ठेकेदारों से कराने,शिक्षा स्वास्थ और जनकल्याण  पर राज्य केंद्र की जिम्मेदारी नितांत शून्य तक पहुंचाने के  घातक  षड्यंत्र  को न केवल वामपंथी ट्रेड  यूनियनो  ने बल्कि कांग्रेस की  इंटक  और भाजपा की बी एम् एस ने भी  पहंचान लिया है और इसीलिये २ ० -२ १ फरवरी -२० १ ३   की दो दवसीय हड़ताल का सभी श्रम संघों ने एकजुट होकर आह्वान किया है.
                                           इस आम हड़ताल के माँग  पत्र  का  बिन्दुवार विवरण निम्नानुसार है-:

[१] मंगाई रोको -सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मज़बूत बनाओ ,उपभोक्ता वस्तुओं के वायदा व्यापार पर रोक लगाओ, किसी भी श्रमिक को कम से कम मजदूरी  1000  रूपये प्रतिमाह करो.

[२] स्थाई प्रकृति के कार्यों में ,निरंतर चलने वाले सरकारी कामों का ठेकाकरण बंद करो. ठेके पर काम करने वाले मजदूरों   को सम्बंधित उद्द्योग का नियमित मजदूर मानकर तदनुसार वेतन,चिकित्सा और सेवा निव्रत्ती   उपरान्त के हक दिए जावे


[३]  सरकार और उद्द्योग् पतियों द्वारा श्रम कानूनों का यथोचित पालन किया जावे.

[४]असंगठित क्षेत्र के , पेकेज्धारी  युवाओं को  ,आई टी सेक्टर  में कार्यरत युवाओं को  को,मीडिया और फिल्म उद्योग सहित तमाम मजदूरों के लिए राष्ट्रीय सामजिक कोष बनाया जाए,भविष्य निधि ,पेंशन,प्रोविडेंट फंड,सुनिश्चित किया  जाये.

[५] किसी भी उद्द्योग्पति को सरकार की ओर से दिए जाने वाले राहत या प्रोत्साहन को उस उद्योग के श्रमिकों  के हितों के अनुरूप जोड़ा  जाए .

  [६]केंद्र और राज्य सरकारें अपने अधीनस्थ सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश या निजीकरण करने  या आउट सोर्सिंग  करने -कराने से सर्वथा दूर रहे।

[७]'अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ '   के दिशा निर्देशों का पालन किया जाए .

[८] बंद पड़े कारखानों,  मिलो और और सार्वजनिक उपक्रमों को पुनर्जीवित कर देश की संपदा को संरक्षित किया जाए और इनमें   युवाओं को रोजगार दिया जाये.

[९] सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सर्वसमावेशी और सर्व सुलभ बनाया जाये. खद्द्यान्न के नकदीकरण से देश का विकाश नहीं होगा  लोगों को काम दिया जाए और काम का दाम दिया जाये.


   इस मांगपत्र पर  कोई ध्यान देने के बजाय संघर्ष रत  श्रमिक /कर्मचारी/अधिकारी वर्ग  को ये मनमोहन सरकार धमका रही है
                              मजदूर संघर्ष के लिए अडिग हैं। ये एतिहासिक हड़ताल  भारत के इतिहास  में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जायेगी  और पूंजीवाद के पराभव   का पैगाम भी देती रहेगी .
          
     इन्कलाब  जिंदाबाद ....!    हड़ताली साथी लाल सलाम ......!!
    
      श्रीराम तिवारी  

सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

आजकल नौजवानो के तेवर लगते हैं बदले-बदले....

      न नीति इनकी बदली न नियत उनकी बदली,

     जब भी आते हैं वोट मांगने तो लगते हैं बदले-बदले।


     माना कि  गलियाँ बाज़ार हुई,   शहरों   की रौनक बढ़ी,

     कस्बों    के भी  आकार -  प्रकार  कुछ    बदले-बदले।।



      पीने का स्वच्छ  पानी भी  नहीं सेकड़ों -हजारों  गाँवों में,

     किसान- मजदूर के  दिन अभी  नहीं लगते  बदले-बदले।।


     क्रय  शक्ति  जिस -जिस की बढती गई जैसे-जैसे,

     बन  चुका  बाज़ार का हिस्सा ,रंग  ढंग  बदले-बदले।


      बहुसंख्यक वंचित  अभी भी विज्ञान के वरदान से

     जाने  कितने हुए बाज़ार से बाहर  निधन -दबे-कुचले।।


     गरीबों  के श्रम  को चूसकर  न इतरायें अमीर-बुर्जुआ ,

    आजकल   नौजवानों  के भी  तेवर  लगते हैं बदले-बदले।



          श्रीराम तिवारी     

    

 


   


    

    


     


       

    
     

    

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

Arundhati ka nazriya nakaaraatmak hai.

 अब वक्त आ गया है की भारतीय लोकतंत्र की खामियों को  दुरुस्त  करने  की आकांक्षी समस्त  शक्तियाँ एकजुट हों  किंतु  भारतीय लोकतंत्र मे जो दुनिया मे सबसे बेहतरीन तत्व हैं ,मूल्य हैं यदि उनकी हिफ़ाज़त कोई करता है तो उसकी तारीफ़ की जानी चाहिए.  वर्तमान राष्ट्रपति जी ,गृह मंत्री जी ओर सरकार  कब कह रही की हमने तीर मारा! कांग्रेस ने भी कोई शेखी नहीं बघारी  ,विपक्ष भी वर्तमान दौर मे संतुलित प्रतिक्रिया दे रहा है किंतु मीडिया तथाकथित  बुद्धिजीवी  ओर पत्रकार अपने अधकचरे  गैरजिम्मेदार वमन ' से देश की अस्मिता पर आक्रमण पर तुले है  जो दुनिया मे भारत की नकारात्मक  छवि पेश करने के  कारक हो सकते है. अरुंधती जी ही नहीं ओर भी तत्व हैं जो वर्तमान पूंजीवादी  अधोगामी व्यवस्था   पर आक्रमण करने के बजाय 'भारत राष्ट्र'  के ह्रदय पर वार कर रहे हैं. उस अंगरक्षक की तरह जो राजा के शरीर की मक्खी भगाने के लिए राजा के शरीर पर ही वार कर देता है. प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी जी को धन्यवाद की उन्होने प्रस्तुत विमर्श मे उचित हस्तक्षेप किया. 

           shriram tiwari..

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

. ये क्यों नहीं कहते की देश को बचाएँगे ? (कविता)

                   
         कोई कहे  सत्ता  सिंहासन पर बिठा दो मुझे,

       अयोध्या   का राम मंदिर मैं ही बनवाऊंगा।

     कोई कहे देश की कमान मुझे सौंप दो ,

विकास की गंगा सारे देश में बहाऊंगा।।

     
            कोई कहे सोचो  मैं तो कब से हूँ वेटिंग में,

      मौका एक दे दो तो कुछ करके दिखाऊंगा।

 कोई करे चिंतन-मनन जीत-हार का,

जनता नाराज है कैसे जीत पाऊंगा।।


          कोई   कहे गांधीवाद;कोई कहे पूंजीवाद,

      कोई कहे वालमार्ट  देश में  बसाऊंगा।

   कोई कहे रामराज;कोई कहे शिवशाही,

कोई  कहे   देश में    समाजवाद लाऊंगा।।


           कोई कहे जाति  पे, कोई कहे  खाप  पे,

        कोई कहे भाषा पे वोट मैं जुटाऊंगा।

    कोई कहे पंथ  के ,कोई कहे मज़हब  के ,

  कोई कहे नस्ल के कांटे  मैं   उगाऊँगा ।।


                 कोई  कहे अगड़ों की ,कोई  कहे  पिछड़ों की,
         
              कोई कहे दलितों को आगे  बढ़ाऊंगा  ।।

            कोई कहे खंड-खंड     बिखरा  विपक्ष है,

          धर्मनिरपेक्षता  की चाल फिर  चलाऊंगा।।

कोई  जपे  लोकपाल,कोई  करे भंडाफोड़,

कोई कहे गठबंधन  धर्म मैं निभाऊंगा।

कोई कहे  सीबीआई, मुक्त  करो  सत्ता से,

कोई कहे देश की तरुणाई  को जगाऊंगा।।


 कोई कहे   देश की  संपदा को बेच- डालो,

राजकोष  घाटा  मैं   पूरा कर   जाऊँगा।


  डाल - डाल  नेता  तो  जनता भी  पात-पात ,

     कोई नहीं कहता     कि  देश को बचाऊंगा।


           श्रीराम तिवारी