शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

हिन्दुस्तान अख़बार में 'इंकलाब ज़िंदाबाद' पर रवीश की राय


http://livehindustan.com/news/deshlocal/guestcolumn/0-62-153839.html

2 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई कामरेड!
    बधाई कामरेड!

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  2. आदरणीय अरुण आदित्य के सानिध्य का असर है....इस बहुमान का श्रेय का बालाजी ओर जनवाद की जमात को भी जाता है ...

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