फूल अनगिन खिलें वो चमन चाहिए,
शोर काफी हुआ कुछ अमन चाहिए .
प्यार करुना की क्यारीं बना वाग्वाँ,
बम बारूद के थर नहीं चाहिए ..
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सब्ज पत्तीं भी हों लाली फूलों पै हो ,
ज़र्रा -ज़र्रा शहादत असर चाहिए .
खंतियाँ खोद जिनकी जवानी खटी,
एक कांदा -दो रोटी उन्हें चाहिए ..
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मस्त सत्ता के मद चूर हो बेखबर ,
चीर हरता -दुशाशन नहीं चाहिए .
बैरी अंदर घुसे बैरी बाहर खड़े ,
जिनको सोता हुआ न वतन चाहिए ...
श्रीराम तिवारी
शोर काफी हुआ कुछ अमन चाहिए .
प्यार करुना की क्यारीं बना वाग्वाँ,
बम बारूद के थर नहीं चाहिए ..
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सब्ज पत्तीं भी हों लाली फूलों पै हो ,
ज़र्रा -ज़र्रा शहादत असर चाहिए .
खंतियाँ खोद जिनकी जवानी खटी,
एक कांदा -दो रोटी उन्हें चाहिए ..
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मस्त सत्ता के मद चूर हो बेखबर ,
चीर हरता -दुशाशन नहीं चाहिए .
बैरी अंदर घुसे बैरी बाहर खड़े ,
जिनको सोता हुआ न वतन चाहिए ...
श्रीराम तिवारी
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