बेरोजगारों को मंदिर मस्जिद नहीं ,
रोजगार और राशन -पानी चाहिये!
बदनसीब मुर्दों को बैंकों खाता नहीं,
बदन पर दो गज कफ़न ही चाहिए!!
हरएक को शिक्षा का समान अधिकार,
और हर हाथ को काम मिलना चाहिए!
प्रजातंत्र में दलगत जुबानी जंग ही नहीं,
व्यवस्था भी लोकतांत्रिक होनी चाहिए!
देश की एकता अखंडता अक्षुण्ण रहे,
और वतन पर आंच नहीं आनी चाहिए!!
इस सिस्टम में किंचित यह संभव नहीं कि,
हरएक के मनकी मुराद पूरी होनी चाहिये
किंतु न्यूनतम संसाधनों की आपूर्ती सतत,
देश के हर नागरिक तक पहुंचनी चाहिए!
सौभाग्य से इस धरा पर वह सब मौजूद है,
जो जिंदा रहने वास्ते प्राणीमात्र को चाहिये!
शोषण,उत्पीड़न केवल इंसानी फ़ितरत है
इसीलिए अन्याय का प्रतिकार होना चाहिये!!
बार बार के पूंजीवादी सत्ता परिवर्तन से-
मुनाफाखोरों को न जाने कितना चाहिये !
कालेधन वालों को संरक्षण क्यों मिलता रहा
गड़बड़ी कहां पर है यह स्पष्ट होना चाहिए।।
श्रीराम तिवारी
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