की महानता से कौन परिचित नही? अब यदि सौ साल तक *नो प्राफिट नो लॉस* के आधार पर मानवमात्र की सेवा करने पर गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी पुरस्कार मिलता है तो किसी भड़भूंजे को आपत्ति क्यों? गीता प्रेस गोरखपुर को सम्मान दिये जाने पर आपत्ति करने का अर्थ :-भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार, पूज्यनीय रामसुखदास, भाई जय दयाल गोयनका जैसे निर्विवाद महापुरषों का अपमान करना! सम्मान के विरोधियों को धिक्कार है!
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