बुधवार, 4 जनवरी 2017

नोटबंदी से देश को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है।

नोटबंदी के दरम्यान एक बिहारी महिला की तबियत ख़राब होने से वह हजार-पांच सौ के पुराने नोट स्थानीय बैंक की शाखा में नहीं बदलवा पाई। बड़ी तकलीफ उठाकर वह दिल्ली आई। वह आरबीआई आफिस में रूपये जमा कराने पहुंची।आरबीआई वालोंने 'अर्धसत्य' के खलनायक [स्वर्गीय सदाशिवराव अमरापुरकर ] की तर्ज पर कहा - कल आना ! दूसरे दिन वह फिर आरबीआई दफ्तर पहुँची ,लेकिन फिर टरका दिया। महिला तीसरे दिन भी रु० लेकर पहुँची,किन्तु कोई रिस्पॉन्स मिला ,उसने वहीँ अपने बाल नोंच लिए,कपडे फाड़ लिए। वह अपने बच्चों के साथ रोती -चीखती -चिल्लाती रही,आरबीआई वालों को गालियां भी देती रही। उसे  दिल्ली की कुख्यात पुलिस ने हवालात में बंद कर दिया। उस अबलाकी दुर्दशा पर न तो किरण वेदी ने उफ़ किया ,ना स्मृति ईरानी खिसिआई , ना नारीवादी गुर्राए ,ना आसमान फटा ,और ना अभीतक धरती थर्राई! इस घटना के बाद मोदीजी की जनविरोधी नीतियों और उनकी नोटबंदी योजना से मुझे भी कोई शिकायत नहीं रही ,क्योंकि इतने कष्ट उठाने के बाद भी जब उस पीड़ित महिला ने नोटबंदी के खिलाफ या मोदीजी खिलाफ एक शब्द नहीं बोला तो किसी परेशानी के मुझे क्या गरज आन पड़ी कि  मोदीजी और उनके नोटबंदी जैसे चोंचलों पर अपना वक्त बर्बाद करूँ ? लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो मोदी सरकार की इस  नोटबंदी से देश को फायदा बहुत कम हुआ और नुकसान  बहुत ज्यादा हुआ है। मोदीजी अगर अपनी चूक मान लेते तो उनका कुछ नहीं घटता। बल्कि बौद्धिक जगत में उनकी कुछ साख ही बढ़ती। विरोधी भी मान जाते कि बन्दे का कलेजा ५६ इंच का न सही किन्तु  कुछ तो बढ़ा है  !

उत्तर प्रदेश में 'समाजवाद' सिर्फ एक परिवार विशेष तक सीमित रह गया था. अब 'सपा' के अंदर जो कुछ हो रहा है  ,वह 'समाजवाद' की ऐंसी -तैसी करने के लिए काफी है। वैसे भी इस 'कुनबा' समाजवाद से यूपी अथवा देश को कोई उम्मीद नहीं थी ! यदि आज अखिलेश के साथ पार्टी का बहुमत है तो भी वे उस गुनाह से नहीं बच सकते जो उन्होंने और उनके प्रिय काका रामगोपाल ने 'अवैध' अधिवेशन बुलाकर किया है। भले ही मुलायम अब अकेले हैं,किन्तु यूपी की जनता और समाजवादी आंदोलन के समर्थक  यह कभी नहीं भूल सकते कि अतीत में 'समाजवाद'के लिए मुलायमसिंह ने 'संघर्ष' का शानदार इतिहास लिखा है।

यह अकाट्य सत्य है कि 'नोटबंदी' से देश को एक रूपये का भी फायदा नहीं हुआ और न आइंदा होगा,किन्तु यह भी अटल सत्य है कि यूपी विधान सभा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है।जो लोग मोदी जी की नीतियों के खिलाफ हैं और निरंतर आलोचना कर रहे हैं,वे यह नोट कर लें कि देशकी जनता  'नोटबन्दी' के खिलाफ नहीं है।  इंडिया टुडे के एक्सिस ओपिनियन पोल के अनुसार यूपी में  भाजपा को स्पष्ट बहुमत [२०६ -२१६] सीट् मिल रही हैं। दूसरे नंबर पर सपाको १०० से कम सीट मिलने वाली है। तीसरे नम्बर पर 'बहिनजी'का कुनबा होगा ,उन्हें सिर्फ ६०-६५ सीट मिलेंगी। बाकी पार्टियों का पाटिया उलाल होने जा रहा है। हालाँकि मुख्यमंत्री के रूप में अभी भी अखिलेश यादव पहले नम्बर पर बने हुए हैं,किन्तु उनका 'यादवी कुल कलह'से उबर पाना मुश्किल है। यदि इंडिया टुडे का एक्सिस पोल सही सावित होता है तो बाकी के राज्यों में भी भाजपा को सफलता मिल सकती है। इसका असर आगामी २०१९ के लोक सभा चुनाव पर पढ़ेगा।  यदि इण्डिया टुडे का एक्सिस पोल गलत सावित हो भी जाए तो भी यह सौ फीसदी सच है कि पीएम मोदी के व्यक्तिगत आकर्षण और वोट बैंक पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही पड़ा है। उनके द्वारा लगातार गलत निर्णय लेने के वावजूद ,लोगों को तकलीफ होने के वावजूद,कतार में मर जाने के वावजूद वांछित जनाक्रोश का अतापता नहीं है। मैंने स्वयम व्यक्तिगत तौर पर नोटबंदी पर विभिन्न लोगों से उनका अभिमत पूँछा ,अधिकांस का जबाब एक समान था 'देश के लिए थोड़ी तकलीफ तो चलती है !

चुनाव में 'धर्म' ,जाति और सम्प्रदाय पर  सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से भाजपा को कोई फर्क नहीं पडेगा।क्योंकि मोदी जी जबसे पीएम बनेहैं उन्होंने कभी अच्छे दिनों का वादा किया ,कभी विकास का वादा किया ,कभी कालेधन और नोटबंदी का नाटक किया उन्हें सुप्रीम कोर्ट के वर्डिक से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। क्योंकि सपा और बहिनजी की कृपा से यूपी में अधिकान्स हिन्दू वोट भाजपा की ओर ध्रुवीकृत हो चुका है। यूपी की जनता ने बिहार से अलग स्टेण्ड ले लिया है। एमपी में नोटबंदी से किसान बरबाद हो गए ,छग -रायपुर के किसान मुफ्त में सब्जी लुटा रहे हैं राजस्थान,गुजरात में हाहाकार मची है ,किन्तु हरजगह उपचुनाव और स्थानीय निकायों में भाजपा जीत रही है। विपक्ष ने नोटबंदी का पुरजोर विरोध किया ,मोदी सरकार की गलत नीतियों का खूब जमकर विरोध किया किन्तु जनता का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मोदी के साथ है। आगामी २०१९ के लोक सभा चुनाव के बाद भाजपा को शिवसेना की जरूरत नहीं होगी। देश की अधिकांस जनता को  विपक्ष पर विश्वास नहीं है। यह आकलन इंडिया टुडे द्वारा किये गए एक्सिस पोल की वजह से नहीं है ,बल्कि सपा,बहिनजी तृणमूल तथा अन्य पार्टियों की पतली हालत देखकर कोई भी इस सिथति को समझ सकता है।  श्रीराम तिवारी !



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें