रविवार, 8 जून 2014

सच्चाई शायद सच में अब वे असर हो गई !



     सच्चाई  शायद  सच में अब  वे असर हो गई।

     इसीलिये शैतानियत कुछ ज्यादा  ज़बर हो गई।।

     बानगी पेश की जमाने  ने अपनी कुछ इस तरह ,

     कि जो पोशीदा  भी न थी बात  वो खबर हो गई।

      किस्ती के डूबने का अनुमान तो था सभी को  मगर ,

      माझी की गफलत से  तूफ़ान  को खबर  हो गई।

     समझे  थे  दूर से साहिल जिसे  साथी 'श्रीराम ',

     मझधार में वो 'लहर'  भी जानलेवा  भँवर  हो गई।

     बिजली भी गिरी  है कमबख्त उसी  दरख्त पर ,

     परिंदों का वसेरा था जहाँ और  वहीँ कहर हो गई।

    सच्चाई  शायद सच में  अब वे असर हो गई।।


                श्रीराम तिवारी 

  
      

      

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