मानसून बागी हुआ , हैं किसान बैचेन।
अच्छे दिन क्या खाक हैं, घड़ी बिकट दिन-रेन।।
बिजली संकट बढ़ चला ,महँगाई की मार।
कड़े फैसलों की धमक , देती है सरकार।।
सारे भारत में बढे ,हिंसा -रेप -व्यभिचार।
पाकिस्तानी फौज का , रुका न गोली बार।।
बिजली पानी प्याज की, किल्लत मची अपार।
अच्छे दिन कब आएंगे ,जनता करे पुकार।।
धूम मची फुटवाल की ,महाकुम्भ ब्राजील।
भारत के फुटवाल को , लिया क्रिकेट ने लील।।
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें