वर्तमान मीडिया पर दोहे :-
टी वी चेनल मीडिया ,सचिन क्रिकेट संन्यास।
'भारत रत्न 'ब्रह्मास्त्र अब ,कांग्रेस की आस।।
सुरा- सुंदरी- सम्पदा,सिस्टम के गुलफाम।
ख़ाक करे वो 'तहलका' , जो खुद नंगा हम्माम ।।
जिन हाथों में मीडिया ,नैतिकता के बोल ।
तरुण -तेज के कृत्य से ,खुली ढोल की पोल।।
सब चेनल में छा रहे ,आसाराम एंड सन्स।
इनसे पीड़ित लड़कियाँ ,भोग रहीं सब दंश।।
मोदी -राहुल -सोनिया ,मनमोहन- शिवराज।
दिग्गी- बैनी - बोलते ,अनचाहे अल्फाज।।
छप्य -दृश्य -पठ -मीडिया, पसर चुका चहुँ ओर।
प्रतिस्पर्धा क्षितिज पर ,विज्ञापन की भोर।।
पूंजीवादी मीडिया ,भृष्टाचार का बाप।
पीछे पड़ा जो 'आप' के , वो अन्ना अभिशाप।।
श्रीराम तिवारी -
१४-डी ,एस-४ ,स्कीम -७८
'अरण्य ' विजयनगर। इंदौर।
टी वी चेनल मीडिया ,सचिन क्रिकेट संन्यास।
'भारत रत्न 'ब्रह्मास्त्र अब ,कांग्रेस की आस।।
सुरा- सुंदरी- सम्पदा,सिस्टम के गुलफाम।
ख़ाक करे वो 'तहलका' , जो खुद नंगा हम्माम ।।
जिन हाथों में मीडिया ,नैतिकता के बोल ।
तरुण -तेज के कृत्य से ,खुली ढोल की पोल।।
सब चेनल में छा रहे ,आसाराम एंड सन्स।
इनसे पीड़ित लड़कियाँ ,भोग रहीं सब दंश।।
मोदी -राहुल -सोनिया ,मनमोहन- शिवराज।
दिग्गी- बैनी - बोलते ,अनचाहे अल्फाज।।
छप्य -दृश्य -पठ -मीडिया, पसर चुका चहुँ ओर।
प्रतिस्पर्धा क्षितिज पर ,विज्ञापन की भोर।।
पूंजीवादी मीडिया ,भृष्टाचार का बाप।
पीछे पड़ा जो 'आप' के , वो अन्ना अभिशाप।।
श्रीराम तिवारी -
१४-डी ,एस-४ ,स्कीम -७८
'अरण्य ' विजयनगर। इंदौर।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमुझे वोट डालना आता है __ मैंने वोट ड़ाल दिया_ ८ -९ तारीख को क्या होगा_ मुझे क्या ? सब के कहने पर आम नागरिक का कर्त्तव्य निभाया__ मुझे 'राम मंदिर' से क्या लेना देना__ मैं तो सुबह काम के लिए निकलते समय सभी मंदिर-मस्ज़िद-गुरूद्वारे-चर्च के आगे शीश झुकाता निकल जाता हूँ_ मैं अंदर जाकर क्या करूंगा_ मेरे पास समय भी नहीं है और न मैं उन लोगों जितना समझदार हूँ कि इबादत कैसे की जाती है__ मुझे नहीं मालूम कि रोड पर मस्ज़िद या मंदिर आने से क्या-क्या बाधाएं आती हैं_ मैं तो कच्चे रास्ते की धूल में अपनी फिक्र को उडाता हुआ चला जाता हूँ_ कल बस्ती मैं शराब बटीं, रोज कि तरह मैंने भी पी ली_ सरकार किसी की भी हो, दोनों अपना धर्म निभाती आ रहीं हैं-- कितने अच्छे हैं ये लोग_ भूखे पेट तो नींद नहीं आती लेकिन इनके द्वारा प्रायोजित नीलाम की गई दुकानो से प्राप्त सोमरस द्वारा भूख का पता भी नहीं चलता_ सपने भी अच्छे आते हैं_ अलसाया हुआ सुबह-सुबह वोट डालने गया_ भीड़ भी नहीं थी_ रात में परोसा गया सोमरस किसके द्वारा आया यह भी मुझे याद था_ लेकिन अचानक वोट डालते समय जोरदार 'भूख की याद' आ गई _होश में था ना_ 'नोटा' तक ही जैसे तैसे बेहाल 'भूखी-नंगी' ऊँगली पहुंची_ मैं भूख से प्रभावित, महंगाई से ग्रसित एक आम जवाबदार नागरिक था_ मैंने दोनों प्रमुख पार्टियों में से कोई भी नाराज़ न हो, इसलिए 'नोटा' बटन दबा दिया_ क्योंकि दोनों पार्टियां गरीबी हटाएं या न हटाएं _ सोमरस कि आसान उपलब्धि के द्वारा हमें नींद की दवा तो अच्छी देती है_ वास्तव में कौन लोग हमारे हितेषी हैं यह भी दोनों सोचने नहीं देते_ क्योंकि ये लोग इतने अच्छे हैं कि सोचने का टेंशन भी नहीं देना चाहते_ साथ में पञ्च वर्ष में एक पर एक फ्री_ मैं हूँ एक बहुसंख्यक अति गरीब आदमी। (by Yeshwant Kaushik, Indore)
जवाब देंहटाएं