पाखंडी बाबाओं की कुण्डलियाँ ।
चौथे पन की परम्परा , ध्यान -योग सन्यास .
भौतिक सुख की लालसा , देती केवल त्रास . .
देती केवल त्रास , धूर्त -पाखंडी बाबाओं को.
मूरख करें सलाम ,पूजते भव -बाधाओं को. .
भले हो गुरु घंटाल ,चरण रज धरती माथे .
होते हैं बदनाम , आये दिन तीसरे-चौथे . .
उम्र चौहत्तर साल की ,जागा मन में काम .
इसीलिये तो सड़ रहा , जेल में आसाराम . .
जेल में आसाराम , भयातुर लग्गू-भग्गू .
कामुक संत के संग, साध्वियां बैठीं -अग्गू . .
कल तक जो थे शेर आज जेल में बड़े विनम्र .
सश्रम कारावास , भोगना होगा बापू ताउम्र . .
रोज-रोज अब खुल रही , बाबाओं की पोल .
बनें आश्रम सेकड़ों ,नहीं खरीदे मोल . .
नहीं खरीदे मोल , धर्म के नाम कब्जाए .
कनक कामिनी हेतु ,ऐय्यासी के किले बनाए .
करते कालाबाजारी, ढोंगी -पाखंडी मौज .
फिर जाते हैं जेल सभी पापी अपराधी इक रोज .
श्रीराम तिवारी
चौथे पन की परम्परा , ध्यान -योग सन्यास .
भौतिक सुख की लालसा , देती केवल त्रास . .
देती केवल त्रास , धूर्त -पाखंडी बाबाओं को.
मूरख करें सलाम ,पूजते भव -बाधाओं को. .
भले हो गुरु घंटाल ,चरण रज धरती माथे .
होते हैं बदनाम , आये दिन तीसरे-चौथे . .
उम्र चौहत्तर साल की ,जागा मन में काम .
इसीलिये तो सड़ रहा , जेल में आसाराम . .
जेल में आसाराम , भयातुर लग्गू-भग्गू .
कामुक संत के संग, साध्वियां बैठीं -अग्गू . .
कल तक जो थे शेर आज जेल में बड़े विनम्र .
सश्रम कारावास , भोगना होगा बापू ताउम्र . .
रोज-रोज अब खुल रही , बाबाओं की पोल .
बनें आश्रम सेकड़ों ,नहीं खरीदे मोल . .
नहीं खरीदे मोल , धर्म के नाम कब्जाए .
कनक कामिनी हेतु ,ऐय्यासी के किले बनाए .
करते कालाबाजारी, ढोंगी -पाखंडी मौज .
फिर जाते हैं जेल सभी पापी अपराधी इक रोज .
श्रीराम तिवारी
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