[कविता]
चैतन्य है तो चेतना है ,चेतना है तो प्राण है .
बुद्धि है तो विवेक है , विवेक है तो त्राण है . .
ह्रदय है तो प्रेम है ,प्रेम है तो संवेदना है .
योग है तो क्षेम है , भोग है तो वेदना है . .
वेदना है तो काव्य है ,काव्य है तो साहित्य है .
साहित्य है तो जाग्रति है ,क्रांति का आदित्य है . .
आदित्य है तो शौर्य है , शौर्य है तो विजय है .
जो मन पर विजय है तो, मानव की जय -जय है . .
सभ्यता है तो संस्कृति है , संस्कृति है तो अमन है .
अमन है तो विकाश है ,विकाश है तो चमन है . .
चमन है तो कलरव है ,कलरव है तो गीत है .
गीत है तो लय है, शब्द है , साज है संगीत है . .
संगीत है तो धुन है , अनहद का नाद है .
नाद ही तो ब्रह्म है . यही अध्यात्मवाद है . .
' दर्शन' है तो दृष्टि है , अंतर्दृष्टि विहंगम है..
अंतरदृष्टि विहंगम है, तो मन में आनन्दम है. .
श्रीराम तिवारी
१४-डी ,एस -४ स्कीम-७८ ,विजयनगर
इंदौर -४५२०१०
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