शनिवार, 25 जून 2011

प्रधानमंत्री जी को अखिल भारतीय संयुक्त अभियान समिति का पत्र.

 देश की मौजूदा आर्थिक और सामाजिक बदहाली के लिए जिम्मेदार प्रतिगामी आर्थिक नीतियों के खिलाफविगत कई महीनों से एटकऔर सीटू यूनियन  लगातार देश भर में संयुक संघर्ष  चला रहीं थी.इन संगठनो पर  दक्षिण पंथी श्रम संगठनो और मीडिया का आरोप था कि ये तो कम्युनिस्ट पार्टियों और वामपंथी विचारधारा के  अनुषंगी श्रम संगठनो का संघर्ष है. जब विगत २३ फरवरी को इन श्रम संगठनों ने सारे देश के मेहनतकशों का दिल्ली में घेरा डालने का आह्वान कियाथा, तो कांग्रेस समर्थित "इंटक" ने अपनी पार्टी और अपनी  यु पी ये सरकार की जन-विरोधी ,मजदूर विरोधी महंगाई-भृष्टाचार बढाने वाली आर्थिक नीतियों के खिलाफ इन संघर्ष शील श्रम संगठनो से एका कर पार्लियामेंट मार्च में हिस्सेदारी की थी.इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव जी को केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी की ओर से धमकी दी गई थी कि वामपंथ समर्थित श्रम संगठनो का साथ दिया तो इंटक अध्यक्ष पद और राज्य सभा सीट छें ली जायेगी.संजीव जी ने निर्भयता से देश के करोड़ों कामगारों का साथ दिया और ज्यादा शिद्दत से नकारात्मक आर्थित्क नीतियों से लड़ने में 'संयुक्त अभियान समिति'का साथ दे रहे हैं.
       विगत अप्रैल -मई में संगठित श्रम संगठनो को तब और बल मिला जब आर एस एस समर्थित 'भारतीय मजदूर संघ 'ने इस संयुक्त अभियान समिति में शामिल होकर देश के मजदूरों-किसानो और
हैरान -परेशान आवाम की संगठित लामबंदी में अपने सहयोग का ऐलान किया.अब भाजपा ,कांग्रेस और वामपंथ भले ही वर्तमान दौर की  जर-जर व्यवस्था पर एकजुट कार्यवाही के लिए एक जाजम पर न आ सकें किन्तु समस्त केन्द्रीय श्रम संगठन तो अपने 'कामन मिनिमम प्रोग्राम 'पर एकजुट कार्यवाही का संकल्प ले ही चुके हैं.
          विगत २३ जून-२०११ को बी एम् एस ,इंटक,एटक,सीटू,एच एम् एस ,बैंक,बीमा,बी एस एन एल ,केन्द्रीय कर्मचारी,राज्य सरकारों के कर्मचारी,सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों समेत देश भर के किसान मजदूर संगठनो की ओर से "अखिल भारतीय संयुक्त अभियान समिति"ने माननीय मनमोहनसिंह जी ,प्रधान मंत्री ,भारत सरकर ,७ रेसकोर्स रोड ,नई दिल्ली को ज्ञापन प्रस्तुत कर दिया है. ज्ञापन का मज़मून निम्नानुसार है:-
     
    माननीय प्रधान मंत्री जी ,
                                               जैसा कि आपको सुविदित है कि केन्द्रीय श्रम संगठनो द्वारा २००९ से निम्नांकित मुद्दों को लेकर  निरंतर जन-अभियान चलाया जा रहा है.इस अभियान के तहत आज २३ जून -२०११ को हम राष्ट्र व्यापी विरोध प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करते हैं कि विश्यान्तार्गत उचित कार्यवाही करें.इन मुद्दों में विशेष कर  महंगाई के मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक कार्यवाही कर उस पर तत्काल अंकुश लगाए जाने की जरुरत है.कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने  की दशा में 'संयुक्त अभियान समिति' उग्र आन्दोलन करने को बाध्य होगी.जिसकी समस्त जिम्मेदारी स्थानीय प्रशाशन,प्रांतीय प्रशाशन और भारत सरकर की होगी.

१-देश में महंगाई  निरंतर बढ्ती जा रही है ,पेट्रोलियम उत्पादों में तेजी से वृद्धि की जा रही है.बढ़ती हुई महंगाई के कारण आम आदमी का जीवन यापन दुश्वार हो गया है.अतः महंगाई पर रोक लगाने के लिए अपने अधिकारों का उचित उपयोग करें.

२-देश में श्रम कानूनों का पालन ठीक से नहीं हो रहा है ,मजदूर-कर्मचारियों का बदतर शोषण हो रहा है,असंगठित क्षेत्र में न्यनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है,निवेदन है कि श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के कदम उठायें.

३-विद्द्य्मान स्थायी किस्म के रोजगार को  तेजी से समाप्त  किया जा रहा है स्थाई किस्म के कामों को ठेका पद्धति से निष्पादित किया जा रहा है .असंगठित क्षेत्र के लिए जो भी सामाजिक सुरक्षा सम्बन्धी कानूनी प्रावधान सन २००८ में किये गए थे उनका पालन नहीं हो रहा है.मुआवजे की राशी प्राप्त करना अब कामगारों के लिए टेडी खीर बन गया है.नाममात्र का मुआवजा भी बड़े लें-देन का शिकार हो चूका है.संगठित क्षेत्र की तरह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है.

४-सार्वजनिक उपक्रम भिलाई स्टील तथा अन्य दूसरे उपक्रम जो लाभ में चल रहे हैं उनका विनिवेश करना उचित नहीं.उनके शेयर भी निजी हाथों में बेचे जा रहे हैं ,तत्काल रोक लगाईं जाए.

५-पेंशन राशी में वृद्धि एवं कर्मचारी भविष्यनिधि की धनराशी को शेयर बाज़ार में लगाने की योजना पर अमल न किया जाए.

६-बैंकों में निजीकरण आउट सोर्सिंग की खंडेलवाल समिति की सिफारिशें रद्द करनेकी मांग को लेकर   बैंक कर्मचारी ०७-जुलाई को हड़ताल पर जा रहे हैं ,सभी केन्द्रीय श्रम संगठन और संयुक्त अभियान समिति उनका समर्थन करती है.बीमा क्षेत्र और बी एस एन एल  में तथाकर्थित सुधारों के  नाम पर की जा रहीं प्रतिगामी सिफारसों का 'संयुक्त अभ्याँ समिति 'विरोध करती है

     उपरोक्त ज्ञापन में सन्निहित मांगों और सुझावों पर अविलम्ब कार्यवाही हेतु 'अखिल भारतीय संयुक्त अभियान समिति' आपसे विनम्र अनुरोध करती है.यथाशीघ्र  सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने की स्थिति में संयुक्त संघर्ष तेज होगा.

              अभिवादन  सहित ..........भवदीय ...................{संयुक्त अभियान समिति के सदस्य संघ}

    बी एम् एस          एटक        इंटक        सीटू         एच एम् एस

          {नोट ;-यह ज्ञापन विगत २३ जून को सारे देश में प्रदर्शनों और जुलूसों के साथ अपने -अपने जिलों में कमिश्नरों के माध्यम से प्रधानमंत्री जी  की ओर अग्रेषित किया गया}
              श्रीराम तिवारी

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