विभिन्न न्यूज चेनल्स पर दो तस्वीरें और तत्संबंधी दो अलग -अलग व्यक्तियों के वक्तव्य भी सुने.मामला रामलीला मैदान में, दिल्ली पर बाबा रामदेव के अनशन; दिनांक ०४-०६-११ की आधी रात का है.आज ०५-०६-११ को बाबाजी हरिद्वार में मीडिया को बता रहें हैं कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के भय से वे {रामदेव}मंच से कूंदे और वहाँ उपस्थित "चेलियों"के बीच छिप गए.उन्हें भय था कि शायद पुलिस उन्हें मुठभेड़ में कहीं मार ही न दे सो उन्होंने किसी महिला के कपडे पहिन लिए {घूघट भी डाला था कि नई?}और अपने आपको अनेक ललनाओं के बीच छिपा लिया.यह तस्बीर और तत्संबंधी बाबा रामदेव का वयान बिलकुल सही लगता है.
दूसरी तस्बीर में बाबा की एक चेली चीख-चीख कर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगा रही है कि पुलिस ने बाबा को मंच से नीचे फेंका था और पुलिस ने बाबा और उनके चेले-चेलियों को डंडों से पीटा है. इस महिला के वयान पर मुझे कतई विश्वाश नहीं,क्योंकि बाबाजी ने जो कहा वो तो ये कि में स्वयम जान बचाने के लिए कुंदा था.दूसरी सबसे बड़ी प्रमाणिकता ये है कि पूरे ३५ घंटे चले इस 'रामदेव लीला'काण्ड में किसी पुलिस वाले ने बाबा रामदेव तो छोडो उनके एक भी चेले या चेली पर हाथ नहीं उठाया.यदि उठाया है और जैसा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व बाबा के अनशन में पलीता लगने से खिसयाकर केंद्र सरकार और यूपीए कि चेयर पर्सन पर मिथ्या आरोप लगा रहे हैं यदि उनके पास सबूत हैं तो दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को क़ानून के घेरे में लेने का उपक्रम क्यों नहीं करते?
यह सच है कि आज के पूंजीवादी शोषणकारी शासन-तंत्र में भृष्टाचार सर्वव्यापी नासूर कि तरह स्थाई हो चूका है.भारत में तो इस भृष्टाचार ने विगत १० साल में ६७ मिलियेनार्स खड़े कर दिए हैं.दूसरी ओर देश में ६०%आबादी को दर-दर कि ठोकरें खानी पड़ रही हैं.आज देशके १० प्रान्तों में भाजपा और १० में कांग्रेस का राज है.बाकि में मिली जुली या केंद्र कि तरह गठबंधन सरकारें हैं .एकमात्र त्रिपुरा में सी पी एम् की सरकार को छोड़ बाकी सभी में या तो भाजपा या कांग्रेस का सीधा दखल है.एक प्रकार से देश में एक ही वर्ग अर्थात पूंजीपति वर्ग का राजनीती में वर्चस्व हो चूका है.कांग्रेस और भाजपा में फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेस में वोट कबाडू शीर्ष नेत्रत्व है और भाजपा में अटलजी के बाद शीर्ष पर कोई चमकदार चेहरा नहीं ;जो आम चुनावो में जन-मानस को उद्देलित करते हुए भाजपा को केंद्र की सत्ता पर बिठा दे!आदरणीय आडवानी जी उम्रदराज हो चुके हैं,सुष्माजी ,जेटलीजी .राजनाथजी ,यशवंत सिन्हाजी और शौरीजी सब एक दुसरे से बढ़-चढ़कर हैं सो संघ ने इनके ऊपर उनसे छोटा नितिन गडकरी सर पे बिठा दिया.क्षेत्रीय क्षत्रपों की महत्वाकांक्षाओं का ओर-छोर नहीं है.अतेव संघ ने बाबा रामदेव और उनके भारत स्वाभिमान आन्दोलन में अपने स्वयम सेवकों को भेजकर बाबाजी को योग से राजयोग की ओर चलने में उत्प्रेरण का काम किया.कांग्रेस के शातिर मेकियावेलियों और चाणक्यों के सामने साम्प्रदायिक विपक्ष के हथकंडे कामयाब नहीं हो पा रहे हैं.जब कांग्रेस को पहली पारी में वामपंथ ने झटका दिया था तो भाजपा ने अपने कुछ सांसद गैर हाजिर कर कांग्रेस को बचा लिया था {देखें २८ जुलाई -२००८ की संसदीय कार्यवाही ,अध्यक्षता -सोमनाथ चटर्जी ने की थी } अब जबकि २-जी ,कामनवेल्थ ,आदर्श सोसायटी और विदेशी बैंकों में जमा कालेधन पर सम्पूर्ण विपक्ष ने यूपीए द्वतीय पर हल्ला बोला तो कांग्रेस को बचाने के लिए पुराने गांधीवादी अन्नाजी हजारे जन्तर-मंतर पर अवतरित हो गए.कहने को ,देखने -दिखाने को ,उन्हीने युपीऐ और कांग्रेस को भृष्टाचार के लिए कोसा भी और 'जन-लोकपाल विधेयक 'के हेतु कांग्रेस से नूरा- कुश्ती की किन्तु ये पब्लिक है सब जानती है की अन्नाजी का मतलब क्या है?संघ और भाजपा की शह पर रामदेव ने भी उन्ही मुद्दों पर अपने लोम-विलोम कर्ताओं को दिल्ली के रामलीला मैदान में आहूत कर भाजपा की बेटरी चार्ज करने की कोशिश भरपूर की किन्तु कांग्रेसी मायावियों के मुकाबले में वे राजनैतिक फिसड्डी सावित हुए और परिणाम ये है की आज बाबाजी का योग और बाबाजी का अथाह धन{११ हजार करोड़} कोई काम नहीं आ रहा है ,उलटे लगता है की उनकी ये दोनों ही खूबियाँ उन्हें जेल भिजवाने का कारण बन सकती हैं.
देश का विद्वत वर्ग और ईमानदार जन-मानस भी यही चाहता है कि इस महा भ्रष्ट व्यवस्था से उन्हें निजात मिले किन्तु जनता अब किसी चमत्कारी बाबा,योगी या समाज सेवक पर विश्वास कैसे करे जबकि उसे हर बार कोई न कोई महाचालू आकर ठग जाता है.
बहुरुपिया बाबाओं की पोल खुलते ही जनता का समर्थन भी ऐंसे क्षीण हो जाता है जैसे की गधे के सर से सींग'
विगत ४-५ जून की दरम्यानी रात को दिल्ली पुलिस ने बाबाजी के पास राम लीला मैदान में योग शिविर वावत परमीसन की समय सीमा याद दिलाने हेतु जब लिखित सूचना भेजी तो बाबाजी ने बजाय क़ानून का पालन करने के मंच से देश के संविधान और संवैधानिक रूप से जनता द्वारा चुनी गई सरकार को चुनौती तक दे डाली कि जो कुछ उखाड़ना हो सो उखाड़ लो हम तो अभी और मजमा लगायेंगे.जनता कि तालियों और मूर्खों द्वारा जय-जैकार के भूंखे बाबाजी के योग का भूत खाकी वर्दी देखकर ही भाग खड़ा हुआ और बाबाजी ने भगवा वस्त्र उतर कर लेडीज वस्त्रों में अपनी जान बचाई. बड़ी -बड़ी बातें करने वाले ,अमर शाहेदों को आदर्श मानने वाले ,ईंट से ईंट बजाने और महाक्रान्ति का शंखनाद करने वाले बाबा राम,देव आपतो महा कायर और झूंठे निकले.आप जो ये बार -बार आंसू बहाकर मीडिया के सामने बखान कर रहे हैं कि आपको अमुक से अपनी जान का खतरा है वो स्पष्ट दर्शाता है कि आपको उन पवित्र और महान उद्देश्यों से - जिनके लिए गणेश शंकर विद्द्यार्थी ,भगत सिंह ,महतमा गाँधी ,इंदिरा गाँधी और कामरेड अजीत सरकार जैसें लाखों बलिदानियों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया है-अपनी जान ज्यादा प्यारी है.आपको ये हक़ नहीं कि आप अपने मंच पर शहीदों के चित्र लगाएं.आपको देशभक्ति के प्र्बचन का कोई नैतिक अधिकार नहीं..हाँ!यदि आप दिल्ली पुलिस से कहते कि आप अपनी ड्यूटी कीजिये तो भी हम आपको कम से कम देश का नागरिक तो मान ही लेते.यदि आप सिंह गर्जना के साथ हुंकार भरते और देश के गद्दारों को ललकारते हुए वहीं मंच पर डटेरहते तो आपको देश के महर्षियों में गिना जाता.आपने दूसरी बड़ी गलती यह की कि आपने स्पस्ट झूंठ बोला.आप शाम ०७.०० बजे तक यह कहते हए मंच के पीछे चले गए कि आपकी और सरकार की मीटिंग होने जा रही है.जबकि आपके और सरकार के बीच तो पहले से ही समझौता हो चूका था कि आपको सिर्फ सत्याग्रह का नाटक ४ जून कि शाम तक ही करना है और जब आप अपना नाटक पूरा कर लें तो आपको सरकार की ओर से आपकी मांगों को पूरा किये जाने का ऐलान भर करना है ,स्वयम आपके निर्देश पर आचार्य बाल्क्रष्ण जी ने यह लिखित पत्र श्री कपिल सिब्बल {केन्द्रीय कानून एवं संचार मंत्री}कोदिया था.आपने बड़ी बेशर्मी से
मीडिया के सामने एक बार नहीं अनेक बार झूंठ पर झूंठ बोला है.जैसे आप वैसे आपके चेले -चेलियाँ .तभी तो जब आप कहते हैं कि में मंच से कुंदा और महिलाओं में छिप गया तब आपकी चेलियाँ और मीडिया का ढपोरशंखी धड़ा कह रहा है कि बाबा रामदेव को पुलिस ने मंच से नीचे फेंका .
बाबा रामदेव आप तेजी से रसातल की ओर जा रहे हो.जिस अन्ना हजारे की आप नक़ल करते हुए भारत में भ्रुस्ताचार मिटने का स्वांग कर रहे थे वो अन्ना हजारे और उनकी मंडली भले ही ऊपर से आपकी ऐसी की तैसी किये जाने पर सरकार को कोस रही है किन्तु आपका समार्थन कर उन्होंने अपनी पोजीशन मजबूत कर ली है.
कहने का मतलब ये है कि अन्ना हजारे के नेत्रत्व में देश कि जनता भ्रुस्थ्चार कि लड़ाई लड़ेगी और बाबाजी आप अपना मजमा अब न एन .सी .आर . में लगाएं या जेल में आपका मान -सम्मान तो गया ही ,बल्कि देश का भी कुछ -कुछ नुक्सान हुआ है क्योकि देश कि जनता का एक बड़ा हिस्सा आपको अपना आधुनिक ब्रांड मानने लगा था .अब सब ओर सन्नाटा पसरा है.शेष है राजनीती कि .सत्ता कि असीम ताकत .आपने बार-बार सरकार की उदारता का फायदा उठाया अब सरकार और क़ानून को भी समझने कि कोशिश करो .इसी में तुम्हारी भलाई है. श्रीराम तिवारी
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