सोमवार, 23 मई 2011

पाकिस्तान की अमन पसंद जनता को सिर्फ़ भारत ही बचा सकता है.

 स्वाधीन भारत की जनता ने अपने अतीत के झंझावतों,विदेशी आक्रमणों,जन-आकांक्षाओं,स्वाधीनता-संग्राम की अनुपम अद्वतीय नसीहतों से भले ही  बहुत कम सीखा है.भले ही आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक असमानता और ज्यादा विद्रूप और भयावह हो चुकी हो किन्तु एक मायने में भारत की वैचारिक परिपक्वता वेमिसाल है;भारत ने अपने तथाकथित स्वर्णिम अतीत से यह निश्चय ही सीखा है की हम भागते हुए कायरों पर वार नहीं करते.हम किसी संकटग्रस्त व्यक्ति {जैसे की ओसामा या दाउद}या संकटग्रस्त राष्ट्र {जैसे की पाकिस्तान}पर छिपकर वार {जैसे की अमेरिका ने किया} नहीं करते.हमें  अपनी तमाम खामियों,तमाम दुश्वारियो,तमाम चूकों के वावजूद अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर नाज है.हमें अपनी तमाम राजनैतिक पार्टियों में बैठे कतिपय निहित स्वार्थियों के वावजूद शीर्षस्थ नेतृत्व की सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता पर नाज़ है.
        जब संसद पर हमला हुआ,जब कारगिल-द्रास-बटालिक और पूंछ पर हमला हुआ तो कुछ भावुक भारतीयों ने दवाव बनाया की पाकिस्तान पर हमले करने का वक्त आ गया है किन्तु देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई  ने देश की नीति का अनुशरण करते हुए सब्र से काम लिया.जब कंधार अपहरण काण्ड हुआ तब भी  हमले की बात उठी किन्तु आदरणीय जसवंतसिंह जी ने अपने देश के नागरिकों को जीवित भारत लाकर एक शानदार काम किया था भले तब अटलजी को मजबूरन ही सही सेकड़ों आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था. किन्तु बडबोले ढपोर शंखियों ने उनकी और एन डी ये की जमकर लानत-मलानत की थी.तब कांग्रेस विपक्ष में थी और जोर-शोर से पाकिस्तान पर भारत के हमले का आह्वान कर रही थी.जब मुंबई में दौउद,करीम लाला,हाजी मस्तान और कसाब ने हमला किया तो सत्ता में कांग्रेस थी और विपक्ष में भाजपा के वयानवीर लगातार चिल्ला रहे हैं की-नक़्शे पर से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का"
        यह एक राजनैतिक स्थाई भाव है अतः लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सहज संभाव्य है किन्तु देश में शिक्षित मूर्खों का  भी एक खास किस्म का स्थाई भाव है की अमन और शांति ,विकाश और खुशहाली,का एजेंडा दूर हटाओ -चलो अब एक काम करें -धधकती आग में कूंद पड़ें याने पाकिस्तान पर हमला कर उसे नेस्त नाबूद कर दें! इन आधे अधूरे अर्ध विक्षिप्त मानसिकता के अंध-राष्ट्रवादियों को चाहिए की वे चाहें तो शौक से अपनी हसरत पूरी करें और जिस तरह जातक कथा के बन्दर ने नाइ की देखा -देखीं उस  के उस्तरे से अपनी गर्दन काट ली थी ;उसी तरह इन स्वनाम धन्य देशभक्तों को कानूनन  छूट मिलनी चाहिए कीअमेरिका की देखा-देखी पाकिस्तान या जहां कहीं भी भारत के दुश्मन व्यक्ति ,समूह या राष्ट्र मिलें वो उन्हें नष्ट करने के लिए या स्वयम को रणाहूत करने के लिए प्रस्थान कर सकें.लेकिन यह भारतीय सिद्धांत नहीं हो सकता क्योकि भारत अमेरिका नहीं है.क्योंकि रिसर्च अनालेसिस विंग याने रा सी आई ये नहीं हैं.आई एस आई ने अमेरिका की जो मदद की वो भारत की मदद क्यों करेगी?अमेरिका ने ओसामा को पाला,अमेरिका ने आई एस आई को पाला,अमेरिका ने पाकिस्तानी फौज को पाला और अमेरिका ने पाकिस्तान को पाला.भारत ने इनमें से किसी को नहीं पाला.भारत ने सिर्फ आस्तीनों में सांप पाले हैं .भारत का दर्द पाकिस्तान नहीं है भारत का दर्द चीन नहीं है.भारत का दर्द भारत के अन्दर है.
 कस्तूरी कुंडल बसे ,मृग ढूंढे वन माहि ....
 ऐंसे घट-घट राम हैं ,दुनिया जाने नाहिं.......
    
       अभी २२ मई की आधी रात को पाकिस्तान के कराची स्थित नौसेना वेस पर तहरीके तालिवान के २२ आतंकवादियों ने हमला किया और दर्जनों पाकिस्तानी फौजी मारे गए.यह बताने कीजरुरत नहीं की उन जेहादियों ने १८ घंटे तक पाकिस्तानी फौज से लोहा लिया.और अंत में जन्नत को प्रस्थान करते हुए पाकिस्तान में मर्मान्तक चीत्कार छोड़ गए हैं.अमेरिका के हाथों ओसामा-बिन-लादेन की मौत के बाद अब तक पाकिस्तान में लगभग बीस हमले हो चुके हैं.ये हमले या तो अमेरिका के ड्रोन हेलीकाप्टरों ने किये या पाकिस्तान स्थित आतंकियों ने.यह सिलसिला तब और तेज हो गया जब आई एस आई के चीफ शुजा पाशा ने और विदेश सचिव ने यह फ़रमाया की अब यदि किसी ने ऐंसी गुस्ताखी {जैसी अमेरिका ने ओसामा को मरने में की} की तो हम भी जबाब देंगे.
                    भारत के नेत्रत्व ने इस नाज़ुक वक्त में काफी सूझ बूझ का परिचय दिया है.यदि भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविर नष्ट करने की कोशिश की होती या कहीं भी रंच मात्र छेड़-छाड़ की होती तो पूरा पाकिस्तान जो आज आपस में बुरी तरह विभाजित है -एक हो जाता.आतंकी भी पाकिस्तान को नहीं भारत को ही  निशाना बनाते.अमेरिका-चीन और भारत के सभी पड़ोसी भारत को आँख दिखाते.पाकिस्तान की लिजलिजी दरकती-सरकती हुई बदरंग सी तस्वीर को चमकाने का मौका भारत ने नहीं दिया यह भारत की बेहतरीन रणनीति है और पाकिस्तानी हुक्मरानों ने भारत जैसे संयमी सहिष्णु राष्ट्र को भ्रतात्व भाव से न देखकर अमेरिका और चीन की चालों का मोहरा बनकर अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मारी है.ये पाकिस्तान की बदकिस्मती है.
        यदि हम भारत के लोग पाकिस्तान की अमन पसंद जनता तक दोस्ती और भाईचारे का पैगाम पहुंचाएंगे तो भारत में छिपे  आश्तीन के साँपों को दूध पिलाने वाली आई एस आई और भारत से सनातन बैर रखने वाली पाकिस्तानी फौज को जैचंद और मीरजाफरों का टोटा पड़ जाएगा..
      होशियारी वह नहीं की आव देखा न ताव और मख्खी को मारने के लिए किसी का हाथ ही काट दें.शुजा पाशा ने ,कियानी ने या मालिक साहब ने सोचा होगा की एव्टावाद में खोई राष्ट्रीय अस्मिता की जलालत से छुटकारा पाने का काश भारत कोई मौका दे दे और फिर पाकिस्तान में फौजी हुकूमत कायम की जाये.भले ही भारत की फौजें पाकिस्तान के चार टुकड़े कर दें.कम से कम इस जिल्लत और बदनामी से छुटकारा तो मिले की उधर "ओसामाजी" को छुपाने के अपराध में दुनिया पाकिस्तान के हुक्मरानों को झूंठा मान चुकी है ,इधर ओसामाजी को जान बूझकर मरवाने के आरोप में विश्व इस्लामिक आतंकवाद ने पाकिस्तान को बर्बाद करने का संकल्प ले लिया है.
            आतंकवादी यदि पाकिस्तान पर कब्ज़ा कर लें तो भारत को खुश  होने की जरुरत नहीं.उस सूरत में भारत और पाकिस्तान की आवाम पर आतंकियों के हमले और तेज होते चले जायेंगे.इस लिए वर्तमान दौर की लोकतान्त्रिक हुकूमत{पाकिस्तान की}और भारत की लोकतंत्रात्मकधर्मनिरपेक्ष
ताकतों को चाहिए की अभी अपनी-अपनी उर्जा अनावश्यक व्यय न करें.ताकि उस दौर में जब आतंकवाद चरम पर हो तो डटकर मुकाबला किया जा सके.भारत इअसी रास्ते पर निरंतर प्रयत्नशील है.पाकिस्तान में भी काफी लोग हैं जो अमनपसंद हैं किन्तु आई एस आई और फौज की विस्वशनीयता तार तार हो चुकी है.सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया?
                                                             श्रीराम तिवारी
         

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें