इसे कहते हैं ' गाँव वसा नहीं सूअर-कुत्ते-भिखमंगे पहले से आ जुटे.' ओसामा के मारे जाने की खबर आते ही दुनिया जहान की हकीकत से वास्ता रखने वाले समझ गए थे कि ये मौत अब आसानी से विदा होने वाली नहीं है.बल्कि अभी तो कई अनुत्तरित प्रश्नों से जूझना होगा.ये सवाल न केवल अमेरिका बल्कि पाकिस्तान से पूंछे जायेंगे.भारत का सरोकार सिर्फ इतना हीनहीं है कि सांडों कि लड़ाई में उसका अहित न हो.बल्कि अब जो कुछ भी करना है भारत को ही करना है.
लादेन को अमरीकी फौजों के हाथोंअपनी नापाक जमीन पर मरवाने का सरंजाम करने वाले पाकिस्तानी हुक्मरान किम्कर्त्व्यविमूढ़ होकर लगभग अवसाद कि स्थिति में पहुँच चुके थे कि 'अंधों के हाथ बटेर लग गई' और भारत के मीडिया ने अपने सेना प्रमुख से सिर्फ इतना ही तो जानना चाहा था कि क्या भारत कि सेना में भी इतनी कूबत है कि उसके फरार आतंकवादी जो पकिस्तान में बैठे -बैठे गुल-छर्रे उड़ा रहे हैं;उन्हें नेत्नाबूद करने का माद्दा भारतीय फ़ौज में है?एक विशाल प्रजातान्त्रिक राष्ट्र कि रक्षा का भार जिनके कन्धों पर हो वे इससे इनकार कैसे करते ? उनके मुख से निकले दो शब्दों ने पाकिस्तान के हुक्मरानों को लगभग सन्निपात कि स्थिति में लाकर जग हंसाई का पात्र बना दिया है.पाकिस्तान की जनता को गुमराह करने का बहाना मिल गया है.अपनी कायरता और अमेरिकी चापलूसी करने के लिए -भारत को उकसाया जा रहा है.
पाकिस्तानी विदेश सचिव बशीर मियाँ फरमा रहे हैं; भारत से कि दम हो तोआतंकी केम्पों पर हमला करके दिखाओ! हम इस आलेख के मार्फ़त पूंछते हैं कि बशीर भाई{?] होश कि दवा करो.,और गिरेवान में झांकर जबाब दो.आप कहते हैं कि आपकी सेनाओं कि क्षमता को कम न आँका जाये.अरे जनाब आपकी मति मारी गई है क्या?यहाँ हम आग बुझाने में जुटे है और अपनों से गालियाँ खा रहे हैं कि हम भारत की आवाम को अहिंसा ,शांति,मैत्री और भाई चारे का पाठ कब तक पढ़ाते रहेगे? ,उधर आप लोग अमेरिका कि जूठन खाकर उसके द्वारा लतियाये जाने पर भी बजाय उसके साम्राज्वादी मंसूबों पर प्रतिक्रिया देने के अपने सनातन पड़ोसी भाइयों{भारतीयों}पर कुकरहाव कर रहे हो.आपकी फौजों में दम था {?}तो आपने लादेन को पकड़कर कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं की?.क्या वो आपका जमाई लगता था?और आप यदि जरा भी शर्मो हया रखते हो ,तो बताओ कि जब ४० अमेरिकन कमांडोज आपके घर में घुसकर आपकी अस्मत {संप्रभुता}लूट रहे थे तब आपकी जावांज फ़ौज{?] और आप कि वीरता कहाँ चली गई थी? तब आप कहाँ पर थे? और क्या कर रहे थे? आप कहते हैं कि आपने लादेन को पनाह नहीं दी थी , आपको तो उसके आने -ठहरने{आपके फौजी परिसर में} की भी खबर नहीं थी!आप क्या सोचते हैं कि भारतीय फोजें १९७१ कि विजय गाथा भूल चुकी हैं? नहीं! यदि आप पाकिस्तानी हुक्मरान सोचते हैं कि अमेरिका की खैरात में मिले हथियार और आपकी एशो आराम में डूबी हर्ल्ली फौज भारत की सामरिक शक्ति का मुकाबला कर सकती है तो आप समझ लीजिये की आप से बड़ा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं.क्या दो-चार भगोड़े-उन्मादी-उग्रवादियों को बचाने के लिए पाकिस्तान अपने सम्पूर्ण राष्ट्र को ही दांव प् लगा देना चाहता है.कहीं पाकिस्तान बाकई चार टुकड़ों में तो बंटने नहीं जा रहा?
भारत की ताकत उसके परमाणु बमों से ही नहीं,उसकी विशालकाय नेवी,विकट एयर फ़ोर्स या थल सेना से ही नहीं बल्कि उसकी शानदार विरासत-अहिंसा, विश्वबंधुत्व,प्रजातंत्र,धर्मनिरपेक्षता,राष्ट्रीय-सार्व-भौमिकता और पाकिस्तान को हर चीज में फना करने की ताकत रखने के वावजूद उसे अपने जैसा ही बेहतरीन प्रजातांत्रिक राष्ट्र बनाये जाने की तमन्ना में ,भारत को सर्वश्रेष्ठ बढ़त हासिल है, हम भारत के लोग पाकिस्तान की जनता को उस नजर से नहीं देखते जिस नजर से पाकिस्तान के हुक्मरान सदा भारत को देखा करते हैं .
पाकिस्तानी हुक्मरानों सुनो! भारत के कुछ लोग तो लादेन के शव को अमेरिका द्वारा बेइज्जत किये जाने जैसी निकृष्ट कार्य्प्रनान्ली पर भी अंगुली उठाकर आपके आंसूं ही पोंछना चाहते थेउसके लिए अकेले दिग्विजयसिंह ही नहीं बल्कि और भी मानवतावादी गंभीरता से आपके साथ थे.,किन्तु तुम्हारी हीन हरकत ने फिजा में ज़हर घोलने का जो काम किया वो न केवल भारत के उन चिंतन शील भद्रजनों को बिचलित कर रहा है जो पाकिस्तान और हिन्दुस्तान की दोस्ती के लिए अनथक प्रयाश करते रहते हैं,अपितु दोनों देशों के बीच जारी द्वीपक्षीय वार्ताओं को अवरुद्ध करने में भी ये उकसावे पूर्ण वयांबाजी नाकाबिले वर्दास्त है.
हम जानते हैं कि आज पाकिस्तान की जनता आप पाकिस्तानी हुक्मरानोंसे और अमेरिका से बेहद नाराज है.आपसे ऐसें सवाल पूंछे जा रहे हैं जिनका जबाब आप नहींदे पा रहे.इसमें भारत का क्या दोष है?क्या भारत में कहर बरपाने बालेआतंकी पकिस्तान में सदा के लिए महफूज रह सकेंगे? यदि अमेरिका को हानि पहुँचाने वाला पाकिस्तान में लाख कोशिशों के वावजूद मारा जा सकता है तो भारत को नुक्सान पहुँचाने वाले भी अपने अंजाम के लिए तैयार रहें.वे चाहे पाकिस्तान में छिपें ,भारत में हों या दुनिया के किसी भी कोने में हों,उन्हें अपने गुनाहों कि सजा मिलनी ही चाहिये
चूँकि मौत ने आतंकवादियों का घर देख लिया है अतेव अब पाकिस्तान तो क्या उसका सरपरस्त अमेरिका भी गुनाहगारों को नहीं बचा सकेगा.भारत कि जनता और भारतीय नेत्रत्व को सारे संसार के सभ्य समाज का समर्थन है क्योकि यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जबकि पाकिस्तान को सारी दुनिया ने शैतान का गढ़ मान लिया है .अब शैतानियत को कुचलने को जिन वीरों के हाथ मचल रहे हैं वे सिर्फ भारत के ही सपूत नहीं हैं बल्कि सम्पूर्ण विश्व विरादरी भी पाकिस्तान को इस रूप में तो स्वीकार नहीं कर सकती . ओसामा की मौत कि परछाई ही काफी है पाकिस्तान को गर्त में धकेलने के लिए.भारत का हौआ खड़ा करके पाकिस्तान में बैठे इंसानियत के दुश्मन बच नहीं सकेंगे.
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें