गुरुवार, 15 जुलाई 2010

अब तो बोलो जय जगदम्बे .


जय जगदम्बे जय जगदम्बे


सुरसा जैसी महंगाई से जन गन की लाचारी है ।


दाल तेल शक्कर चावल में .सट्टे का व्यापारी है ।


भूंख कुपोषण दानव बन गए /दीन दुखी के पल छि न लम्बे ।


जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।


अफसर मंत्री करते एका ,दादा गुंडे लेते ठेका ।


कदाचार के महिखासुर ने आज धरे हैं रूप अनेका ।


मॉल मिलावट ,रिश्वतखोरी नौकरशाही ढेरों फंदे ।


क्रान्तिरूप धरो माँ आंबे , जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।


मुफ्त की बिजली मुफ्त का पानी ,आरक्षण की अकथ कहानी ।


मंदिर मस्जिद बिकल हुए सब ,थोथा ज्ञान बघारें ज्ञानी ।


तीज त्यौहार की ढेरों तिथियाँ .पडवाती क्यों पुलिस के डंडे ।


जय जगदम्बे जय जगदम्बे ...


कार्पोरेट कीमाया देखो .कार्यपालिका पानी भर्ती ।


दायें मीडिया बाएँ कचहरी .व्यवस्थापिका आरती करती ।


निर्धन जन के नहीं काम के , लोकतंत्र के चारों खम्बे ।


क्रांति रूप धारण कर माता ,जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।


- श्रीराम तिवारी

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