जय जगदम्बे जय जगदम्बे
सुरसा जैसी महंगाई से जन गन की लाचारी है ।
दाल तेल शक्कर चावल में .सट्टे का व्यापारी है ।
भूंख कुपोषण दानव बन गए /दीन दुखी के पल छि न लम्बे ।
जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।
अफसर मंत्री करते एका ,दादा गुंडे लेते ठेका ।
कदाचार के महिखासुर ने आज धरे हैं रूप अनेका ।
मॉल मिलावट ,रिश्वतखोरी नौकरशाही ढेरों फंदे ।
क्रान्तिरूप धरो माँ आंबे , जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।
मुफ्त की बिजली मुफ्त का पानी ,आरक्षण की अकथ कहानी ।
मंदिर मस्जिद बिकल हुए सब ,थोथा ज्ञान बघारें ज्ञानी ।
तीज त्यौहार की ढेरों तिथियाँ .पडवाती क्यों पुलिस के डंडे ।
जय जगदम्बे जय जगदम्बे ...
कार्पोरेट कीमाया देखो .कार्यपालिका पानी भर्ती ।
दायें मीडिया बाएँ कचहरी .व्यवस्थापिका आरती करती ।
निर्धन जन के नहीं काम के , लोकतंत्र के चारों खम्बे ।
क्रांति रूप धारण कर माता ,जय जगदम्बे जय जगदम्बे ।
- श्रीराम तिवारी
Sach kaha Sir aapne, Ab to Kraanti roop dhaaran kar hee lena Chahiye MAA ko..
जवाब देंहटाएंaapki tippni ne gagar men sagar bhar diya or mujhe sahityik dharatal pr agrsar hone ka sambal diya .aapka shukriya.
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