सोमवार, 19 मई 2025

 अपि स्वर्णमयी लंका  न मे लक्ष्मण रोचते । 

जननी जन्मभूमिश्च  स्वर्गादपि गरीयस।। 


:-मर्यादा पुरशोत्तम  श्रीराम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें