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आज प्रातः 05.30 पर इंदौर नगर की एक सुनसान स्ट्रीट पर एक अकेला मैं और मेरे 'सिर की चांद' पर कार्तिक पूर्णिमा का थका हुआ *अस्ताचलगामी पूर्णचंद्र*!
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